सुनामी से निपटने के लिए तैयार गांवों की पहचान कार्यक्रम के अंतर्गत भारत जल्द ही हिंद महासागर क्षेत्र में 100 से अधिक ऐसे गांवों की पहचान करेगा, जो सुनामी जैसी आपदाओं का सामना करने के लिए पूरी तरह तैयार होंगे।
यूनेस्को-आईओसी सुनामी तत्परता मान्यता कार्यक्रम
- यह कार्यक्रम यूनेस्को के अंतरसरकारी महासागरीय आयोग (IOC) द्वारा विकसित एक अंतरराष्ट्रीय, समुदाय-आधारित मान्यता पहल है।
- इसका उद्देश्य जागरूकता बढ़ाने और प्रभावी तैयारी रणनीतियों के माध्यम से ऐसे सशक्त और लचीले समुदाय तैयार करना है जो विभिन्न क्षेत्रों में सुनामी से जीवन, आजीविका व संपत्ति की रक्षा कर सकें।
- इस पहल का मुख्य लक्ष्य तटीय समुदायों की सुनामी के प्रति तैयारियों को मजबूत करना और आपदा की स्थिति में जान-माल के नुकसान को न्यूनतम करना है।
- यह लक्ष्य निर्धारित संकेतकों के एक मानकीकृत ढांचे के अंतर्गत सामूहिक और सहयोगात्मक प्रयासों से प्राप्त किया जाता है।
कार्यप्रणाली
- इस मान्यता को हासिल करने के लिए किसी समुदाय को आकलन, तैयारी एवं प्रतिक्रिया से जुड़े सभी 12 निर्धारित संकेतकों को पूरा करना अनिवार्य होता है।
- इन मानकों की पूर्ति के बाद ही यूनेस्को/आई.ओ.सी. द्वारा उस समुदाय को ‘सुनामी के लिए तैयार’ के रूप में औपचारिक मान्यता दी जाती है।
- सुनामी-तैयार गांव का प्रमाणन उन गांवों को प्रदान किया जाता है जहाँ सुनामी जोखिम, खतरे की पहचान और मानचित्रण, निकासी मार्गों के मानचित्रों का सार्वजनिक प्रदर्शन, 24×7 चेतावनी प्रणाली की उपलब्धता तथा नियमित मॉक ड्रिल में समुदाय की सक्रिय भागीदारी जैसी व्यवस्थाएँ मौजूद होती हैं।
- इस मान्यता को प्रत्येक चार वर्ष में नवीनीकृत किया जा सकता है।