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भारत–नेपाल पारगमन संधि में संशोधन

(प्रारंभिक परीक्षा: समसामयिक घटनाक्रम)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र-2: भारत एवं इसके पड़ोसी देशों से संबंध)

चर्चा में क्यों

भारत और नेपाल ने 13 नवंबर 2025 को पारगमन संधि (Treaty of Transit) में महत्वपूर्ण संशोधन किए हैं। 

भारत–नेपाल पारगमन संधि में संशोधन

  • भारत के वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल और नेपाल के उद्योग, वाणिज्य एवं आपूर्ति मंत्री अनिल कुमार सिन्हा ने नई दिल्ली में बैठक कर संशोधन पत्रों का आदान-प्रदान किया।
  • संशोधन के तहत जोगबनी (भारत) – बिराटनगर (नेपाल) के बीच रेलमार्ग से बल्क कार्गो सहित सभी प्रकार के माल की ढुलाई सुगम होगी।
  • यह संशोधन पारगमन संधि के प्रोटोकॉल को अपडेट करता है और रेल परिवहन की विस्तारित परिभाषा को शामिल करता है।

प्रमुख प्रावधान

  • संशोधन से जोगबनी–बिराटनगर के बीच रेल माल ढुलाई औपचारिक रूप से मान्य होगी।
  • बल्क कार्गो, कंटेनर कार्गो सहित अधिक श्रेणियों के माल को अनुमति मिलेगी।
  • संधि के उदारीकरण का विस्तार निम्न मार्गों तक किया गया है:
    • कोलकाता–जोगबनी
    • कोलकाता–नौतनवां (सोनौली)
    • विशाखापत्तनम–नौतनवां (सोनौली)
  • यह कदम दोनों देशों के बीच मल्टीमोडल कनेक्टिविटी को मजबूत करेगा।

महत्व और प्रभाव

1. भारत–नेपाल व्यापारिक संबंधों को बढ़ावा

  • भारत पहले से ही नेपाल का सबसे बड़ा व्यापार और निवेश साझेदार है।
  • नया संशोधन आर्थिक संबंधों को और मजबूत करेगा।

2. नेपाल की वैश्विक व्यापार पहुंच में सुधार

  • समुद्री बंदरगाहों (कोलकाता, विशाखापत्तनम) तक बेहतर पहुंच से
    • लॉजिस्टिक लागत कम होगी
    • ट्रांजिट समय घटेगा
    • तीसरे देशों से व्यापार सुगम होगा

3. क्षेत्रीय कनेक्टिविटी में वृद्धि

  • भारत–नेपाल सीमा पर कस्टम और लॉजिस्टिक अधोसंरचना को बढ़ावा मिलेगा।
  • BIMSTEC और BBIN (Bangladesh-Bhutan-India-Nepal) उप-क्षेत्रीय सहयोग को भी मजबूती मिलेगी।

भारत के लिए रणनीतिक महत्व

  • नेपाल के साथ गहरे आर्थिक संबंध भारत की नेबरहुड फर्स्ट नीति को मजबूत करते हैं।
  • चीन की बढ़ती भूमिका को संतुलित करने में भी बेहतर कनेक्टिविटी सहायक है।
  • क्षेत्रीय आपूर्ति शृंखलाओं में भारत की भूमिका मजबूत होती है।

चुनौतियाँ

  • सीमा पर बुनियादी ढांचे और कस्टम प्रक्रियाओं में सुधार की आवश्यकता।
  • नेपाल में राजनीतिक स्थिरता और नीति निरंतरता का प्रश्न।
  • पर्यावरणीय और स्थानीय विरोध से जुड़े मुद्दे।

निष्कर्ष

पारगमन संधि में यह संशोधन भारत–नेपाल को आर्थिक रूप से और अधिक जोड़ता है। बेहतर कनेक्टिविटी न केवल द्विपक्षीय व्यापार को गति देगी, बल्कि नेपाल की वैश्विक व्यापार क्षमता को भी बढ़ाएगी। यह कदम क्षेत्रीय सहयोग, आर्थिक एकीकरण और पड़ोसी देशों के साथ भारत के रणनीतिक हितों को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

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