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नवीकरणीय ऊर्जा की मांग और जंगलों की कटाई

(मुख्य परीक्षा सामान्य अध्ययन पेपर-3) 

चर्चा में क्यों?

21 दिसंबर 2025 को नेचर कम्युनिकेशंस में प्रकाशित एक अध्ययन में बताया गया कि नवीकरणीय ऊर्जा के लिए बढ़ती खनिज मांग वैश्विक स्तर पर वनों की कटाई का एक मुख्य कारण बन सकती है। यह अध्ययन 2001 से 2023 तक 236,028 खनन स्थलों का विश्लेषण करता है और वनों की हानि के पैटर्न को वैश्विक स्तर पर दर्शाता है।

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प्रमुख निष्कर्ष

  • खनन से वनों की कटाई का प्रतिशत:
    • 2001–2012: खनन क्षेत्रों में वनों की कटाई का 66.20% हिस्सा नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन वाले खनिजों के क्षेत्रों में हुआ।
    • 2012 के बाद: नवीकरणीय ऊर्जा खनिजों वाले क्षेत्रों में 74.88% वनों की कटाई हुई, जबकि गैर-नवीकरणीय ऊर्जा खनन क्षेत्रों में केवल 25.11%।
  • खनिजों का उदाहरण:
    • इलेक्ट्रिक वाहनों की बैटरी और ऊर्जा भंडारण प्रणालियों के लिए निकेल और अन्य धातुएँ।
    • इन खानों में बड़े पैमाने पर भूमि परिवर्तन और जैव विविधता से समृद्ध क्षेत्रों में वनों की कटाई शामिल है।
  • वन हानि और CO2 उत्सर्जन:
    • 2001–2023: खनन से 19,765 वर्ग किलोमीटर वनों की कटाई हुई।
    • कुल कार्बन उत्सर्जन: 0.75 Pg CO
    • उष्णकटिबंधीय वन सबसे प्रभावित: 10,824 वर्ग किमी, 0.56 Pg CO
    • शीतोष्ण और समशीतोष्ण क्षेत्रों में क्रमशः 5,162 और 3,470 वर्ग किमी वनों की कटाई।
  • देशवार स्थिति
    • टॉप 10 देश वैश्विक खनन-संबंधी वनों की कटाई का 78.99% हिस्सा।
    • इंडोनेशिया: 4,292.33 वर्ग किमी वनों की कटाई (21.72%)
    • रूस: 10.81%, ब्राजील: 10.58%
    • अवैध खनन ने उष्णकटिबंधीय देशों में कटाई में महत्वपूर्ण योगदान दिया (पेरू: 99.95%, म्यांमार: 98.26%, वेनेजुएला: 94.43%)।
  • संरक्षित क्षेत्रों पर प्रभाव:
    • 7,441 वैश्विक संरक्षित क्षेत्र खनन से प्रभावित।
    • अवैध सोने और कोयले के खनन से वनों का गंभीर क्षरण।
    • पर्यावरणीय और स्थानीय स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव।
  • सामाजिक और आर्थिक पहलू:
    • निम्न और मध्यम आय वाले देशों में 40–150 मिलियन लोग कृत्रिम लघु-स्तरीय खनन पर निर्भर।
    • कम आय वाले देशों में वन-अनुकूल खनन नीतियों को बढ़ावा देना आवश्यक।

नवीकरणीय ऊर्जा

नवीकरणीय ऊर्जा वे ऊर्जा स्रोत हैं जो प्राकृतिक रूप से पुनः उत्पन्न होते रहते हैं और जिनका दोहन करने से उनका स्थायी क्षय नहीं होता। ये ऊर्जा स्रोत पर्यावरण के लिए अपेक्षाकृत स्वच्छ होते हैं और ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन कम करने में सहायक होते हैं।

प्रमुख उदाहरण:

  • सौर ऊर्जा
  • पवन ऊर्जा
  • जलविद्युत
  • बायोमास ऊर्जा
  • भू-तापीय ऊर्जा
  • ज्वारीय एवं समुद्री ऊर्जा

नवीकरणीय ऊर्जा का वैश्विक महत्व

  • जलवायु परिवर्तन से निपटने का प्रमुख साधन
  • जीवाश्म ईंधनों पर निर्भरता में कमी
  • ऊर्जा सुरक्षा और ऊर्जा विविधीकरण
  • सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) की प्राप्ति में सहायक
  • पेरिस समझौते के लक्ष्यों को हासिल करने का आधार

भारत में नवीकरणीय ऊर्जा की स्थिति:

  • भारत विश्व के अग्रणी नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादक देशों में शामिल है।
  • भारत का लक्ष्य: 2030 तक 500 GW गैर-जीवाश्म ईंधन क्षमता
  • अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA) की पहल भारत द्वारा
  • सौर और पवन ऊर्जा में तीव्र वृद्धि
  • ग्रीन हाइड्रोजन मिशन की शुरुआत

प्रमुख नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत

  • सौर ऊर्जा:
    • सौर ऊर्जा सूर्य के विकिरण से प्राप्त होने वाली अक्षय ऊर्जा है।
    • इसका उत्पादन मुख्यतः फोटोवोल्टिक (PV) तकनीक और सोलर थर्मल तकनीक के माध्यम से किया जाता है।
    • फोटोवोल्टिक तकनीक में सूर्य के प्रकाश को सीधे विद्युत ऊर्जा में बदला जाता है।
    • सोलर थर्मल तकनीक में सूर्य की ऊष्मा से भाप बनाकर टरबाइन चलाई जाती है।
    • भारत की उष्णकटिबंधीय भौगोलिक स्थिति के कारण यहाँ सौर ऊर्जा की अपार संभावनाएँ हैं।
    • भारत में वर्ष के अधिकांश समय पर्याप्त सूर्य प्रकाश उपलब्ध रहता है।
  • चुनौतियाँ:
    • सौर ऊर्जा संयंत्रों के लिए बड़ी मात्रा में भूमि की आवश्यकता होती है।
    • सूर्य प्रकाश पर निर्भरता के कारण ऊर्जा भंडारण (स्टोरेज) एक बड़ी समस्या है।
  • पवन ऊर्जा :
    • पवन ऊर्जा हवा की गति से प्राप्त की जाने वाली अक्षय ऊर्जा है।
    • इसमें पवन टरबाइनों के माध्यम से यांत्रिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में बदला जाता है।
    • भारत में पवन ऊर्जा की अच्छी संभावनाएँ तटीय और पठारी क्षेत्रों में हैं।
    • तमिलनाडु, गुजरात और महाराष्ट्र पवन ऊर्जा उत्पादन के प्रमुख राज्य हैं।
    • यह स्वच्छ और कम-कार्बन ऊर्जा स्रोत है, लेकिन हवा की अनियमितता इसकी सीमा है।
  • जलविद्युत  
    • जलविद्युत बहते या गिरते जल की गतिज ऊर्जा का उपयोग कर उत्पन्न की जाती है।
    • बड़े बाँधों और जलाशयों के माध्यम से बिजली उत्पादन किया जाता है।
    • यह ऊर्जा स्रोत दीर्घकालिक और विश्वसनीय माना जाता है।
    • बड़े बाँधों से विस्थापन, वन क्षरण और जैव विविधता हानि जैसी सामाजिक-पर्यावरणीय चुनौतियाँ उत्पन्न होती हैं।
    • छोटे जलविद्युत परियोजनाएँ अपेक्षाकृत कम हानिकारक मानी जाती हैं।
  • बायोमास ऊर्जा  
    • बायोमास ऊर्जा कृषि अवशेष, गोबर और जैविक कचरे से प्राप्त की जाती है।
    • इसमें बायोगैस, बायो-फ्यूल और ठोस बायोमास का उपयोग किया जाता है।
    • यह ऊर्जा ग्रामीण क्षेत्रों में आसानी से उपलब्ध होती है।
    • ग्रामीण अर्थव्यवस्था, स्वच्छ ईंधन और अपशिष्ट प्रबंधन के लिए अत्यंत उपयोगी है।
    • अनुचित दहन से वायु प्रदूषण की समस्या हो सकती है।
  • उभरते ऊर्जा स्रोत  
    • ग्रीन हाइड्रोजन: नवीकरणीय ऊर्जा से जल के विद्युत अपघटन द्वारा निर्मित स्वच्छ ईंधन।
    • ज्वारीय एवं समुद्री ऊर्जा: समुद्री ज्वार-भाटा और तरंगों की ऊर्जा का उपयोग।
    • भू-तापीय ऊर्जा: पृथ्वी के भीतर मौजूद ऊष्मा से ऊर्जा उत्पादन।
    • ये स्रोत भविष्य की कम-कार्बन और टिकाऊ ऊर्जा प्रणाली में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।

निष्कर्ष

  • यह वैश्विक अध्ययन स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि नवीकरणीय ऊर्जा की ओर बढ़ता वैश्विक संक्रमण अपने साथ एक गंभीर पर्यावरणीय विरोधाभास लेकर आया है। 
  • जहाँ एक ओर नवीकरणीय ऊर्जा जलवायु परिवर्तन से निपटने और कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए आवश्यक है, वहीं दूसरी ओर इससे जुड़े खनिजों की बढ़ती मांग वनों की कटाई, जैव विविधता क्षरण और कार्बन उत्सर्जन को तेज कर रही है। 
  • विशेष रूप से उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में अवैध और अलिखित खनन गतिविधियाँ वन हानि का प्रमुख कारण बनकर उभरी हैं, जिससे संरक्षित क्षेत्रों और स्थानीय समुदायों पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। 
  • अतः आवश्यक है कि नवीकरणीय ऊर्जा विस्तार को वन-अनुकूल, सतत और कड़े पर्यावरणीय मानकों के साथ आगे बढ़ाया जाए, ताकि हरित ऊर्जा का लक्ष्य प्रकृति और आजीविका की कीमत पर प्राप्त न हो, बल्कि एक संतुलित और दीर्घकालिक विकास मॉडल स्थापित किया जा सके।

प्रश्न. निम्नलिखित में से कौन-से खनिजों का उल्लेख नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन के लिए किया गया है?

(a) तांबा और सीसा

(b) निकेल और अन्य धातुएँ

(c) कोयला और पेट्रोलियम

(d) आयरन और जिंक

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