New
GS Foundation (P+M) - Delhi : 15th Jan., 2026 New Year offer UPTO 75% + 10% Off | Valid till 03 Jan 26 GS Foundation (P+M) - Prayagraj : 15th Dec., 11:00 AM New Year offer UPTO 75% + 10% Off | Valid till 03 Jan 26 GS Foundation (P+M) - Delhi : 15th Jan., 2026 GS Foundation (P+M) - Prayagraj : 15th Dec., 11:00 AM

उत्सर्जन एवं नवीकरणीय ऊर्जा में उछाल

(प्रारंभिक परीक्षा: पर्यावरणीय पारिस्थितिकी, जैव-विविधता)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3: संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण, पर्यावरण प्रभाव का आकलन)

संदर्भ

विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) ने पुष्टि की है कि वैश्विक वायुमंडलीय कार्बन डाइऑक्साइड एक नए उच्चतम स्तर पर पहुँच गया है जो चरम मौसमी घटनाओं, बढ़ते वैश्विक तापमान तथा अस्थिर पारिस्थितिक तंत्रों को दर्शाता है।

वैश्विक ऊर्जा की प्रवृत्ति में बदलाव

  • एम्बर (Ember) की ‘ग्लोबल इलेक्ट्रिसिटी मिड-ईयर इनसाइट्स 2025’ के अनुसार, वर्ष 2025 की पहली छमाही में कोयले को पीछे छोड़ते हुए नवीकरणीय ऊर्जा विश्व की प्रमुख बिजली स्रोत के रूप में उभर कर सामने आया है।
  • सौर ऊर्जा पिछले तीन वर्षों में दोगुनी हो गई है। इसका मुख्य श्रेय चीन को जाता है जिसने वैश्विक वृद्धि का आधे से अधिक योगदान दिया साथ ही, भारत में भी राष्ट्रीय सौर मिशन जैसे सरकारी कार्यक्रमों ने स्थापित क्षमता को 90 गीगावाट से अधिक तक तेजी से बढ़ाया है।
  • हालाँकि, प्राकृतिक गैस आधारित उत्पादन में 1.6% की वृद्धि हुई है क्योंकि देश एआई डेटा सेंटरों की बढ़ती ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने तथा तीव्र हीटवेव के प्रभावों का मुकाबला करने के लिए जीवाश्म ईंधनों की ओर मुड़ रहे हैं।

चीन एवं भारत: दोधारी प्रगति

  • चीन सौर संस्थापना (Solar Deployment) का नेतृत्व करने के साथ-साथ 95 गीगावाट की नई कोयला क्षमता का निर्माण कर रहा है (कार्बनब्रीफ, 2025)।
  • भारत, सौर तथा हरित हाइड्रोजन पहलों में आगे बढ़ते हुए ग्रिड स्थिरता तथा ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कोयला क्षमता का विस्तार जारी रख रहा है।

इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) क्रांति

  • अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (IEA) की रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2024 में वैश्विक रूप से नई कार की बिक्री का 20% इलेक्ट्रिक था। इसमें चीन अग्रणी है और इसकी लगभग आधी नई कारें ई.वी. (EV) हैं।
  • भारत एक मजबूत क्षेत्रीय हितधारक के रूप में उभर रहा है जिसमें 30 लाख से अधिक ई.वी. पंजीकृत हैं (वाहन पोर्टल, 2025) तथा फेम-II (FAME-II) व राष्ट्रीय इलेक्ट्रिक मोबिलिटी मिशन प्लान जैसी नई नीतियाँ अपनाने को बढ़ावा दे रही हैं।
  • हालाँकि, भू-राजनीतिक टकराव परिदृश्य को नया आकार दे रहे हैं:
    • दुर्लभ पृथ्वी खनिजों तथा बैटरी आपूर्ति श्रृंखलाओं पर चीन के प्रभुत्व ने पश्चिमी राष्ट्रों को ई.वी. सब्सिडी पर पुनर्विचार करने तथा आंतरिक दहन इंजन (ICE) को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने की समय-सीमा को विलंबित करने के लिए मजबूर किया है।
    • लिथियम तथा ग्रेफाइट पर निर्यात प्रतिबंध आपूर्ति श्रृंखला की कमजोरियों को तीव्र कर रहे हैं जो वैश्विक विद्युतीकरण की गति को धीमा कर सकते हैं।

वित्तीय अंतर: परिवर्तन के लिए वास्तविक बाधा

  • अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) की विश्व आर्थिक परिदृश्य (2025) रिपोर्ट जलवायु परिवर्तन के आर्थिक असंतुलन को रेखांकित करती है जिसके अनुसार वर्ष 2000 के बाद पहली बार सबसे गरीब देश अब ऋण सेवा पर आधिकारिक विकास सहायता से अधिक व्यय कर रहे हैं।
  • इससे ऐसे राष्ट्र, जो जलवायु प्रभावों के प्रति सर्वाधिक संवेदनशील हैं, वे हरित प्रौद्योगिकियों में निवेश के लिए राजकोषीय अंतराल की कमी से जूझ रहे हैं जो उन्हें ऊर्जा गरीबी एवं निर्भरता के चक्र में फँसाए रखता है।
  • पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के अनुसार, अंतर्राष्ट्रीय जलवायु वित्तपोषण प्रतिज्ञाबद्ध स्तरों से काफी नीचे बना हुआ है जो पेरिस समझौते के लक्ष्यों को पूरा करने के प्रयासों को बाधित कर रहा है।

निष्कर्ष

विश्व तकनीकी आशावाद तथा आर्थिक संदेह के बीच चौराहे पर खड़ा है। नवीकरणीय ऊर्जा, इलेक्ट्रिक गतिशीलता तथा निम्न-कार्बन मार्ग अब भविष्य की संभावनाएँ नहीं हैं बल्कि वे वर्तमान की वास्तविकता हैं। हालाँकि, एक समन्वित वैश्विक वित्तीय ढाँचे, समान तकनीकी पहुँच तथा राजनीतिक साहस के बिना जलवायु परिवर्तन का जोखिम आधे रास्ते पर रुकने का खतरा है।

« »
  • SUN
  • MON
  • TUE
  • WED
  • THU
  • FRI
  • SAT
Have any Query?

Our support team will be happy to assist you!

OR