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सौर तूफ़ान घटना: कारण, प्रभाव और विस्तार

(प्रारंभिक परीक्षा: विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी)

संदर्भ

हाल ही में संयुक्त राज्य की मौसम एजेंसी NOAA ने G4 स्तर की भू-चुंबकीय तूफ़ान चेतावनी जारी की है, जो अत्यंत गंभीर श्रेणी का संकेत है। सूर्य से उत्सर्जित तीव्र ऊर्जा विशेषकर कोरोनल मास इजेक्शन (CMEs) पृथ्वी से टकरा रही है, जिसके परिणामस्वरूप एक ओर शानदार ऑरोरा (Northern Lights) दिखाई दे रहे हैं, वहीं दूसरी ओर संचार एवं नेविगेशन प्रणालियों में अस्थायी व्यवधान की आशंका भी बनी हुई है।

सौर तूफ़ान के बारे में

सौर तूफ़ान सूर्य की सतह पर होने वाले तीव्र चुंबकीय उथल-पुथल का परिणाम होते हैं। जब ये ऊर्जा-युक्त कण पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र से टकराते हैं, तो यह घटना भू-चुंबकीय तूफ़ान का रूप ले लेती है।

सौर तूफ़ानों के दो प्रमुख स्वरूप

1. कोरोनल मास इजेक्शन (CMEs)

  • सूर्य की सतह से प्लाज़्मा और गैस के विशाल बादल का विस्फोटक उत्सर्जन।
  • गति: लगभग 1.6 मिलियन km/h या अधिक।
  • पृथ्वी तक पहुँचने का समय: 15 घंटे से लेकर 2–3 दिनों तक।

2. सौर ज्वाला (Solar Flares)

  • सूर्य से निकलने वाली तीव्र विद्युत-चुंबकीय चमक।
  • गति: प्रकाश की गति, लगभग 8 मिनट में पृथ्वी तक पहुँचती है।
  • अवधि: कुछ मिनटों से लेकर कई घंटों तक।

दोनों घटनाएँ सूर्य के चुंबकीय क्षेत्र में बदलाव (Magnetic Realignment) के कारण उत्पन्न होती हैं और कभी-कभी संयुक्त रूप से भी होती हैं।

हालिया तीव्र भू-चुंबकीय तूफ़ान

NOAA के अनुसार हाल के दिनों में सूर्य से लगातार कई शक्तिशाली CMEs उत्सर्जित हुए:

  • 9 और 10 नवंबर को निकले दो CMEs पहले ही पृथ्वी के मैग्नेटोस्फीयर को प्रभावित कर चुके हैं।
  • ये तूफ़ान पूर्वानुमान से कहीं अधिक शक्तिशाली रहे- G2 की जगह G4 स्तर तक।
  • 11 नवंबर को निकला तीसरा CME और भी अधिक ऊर्जावान बताया जा रहा है, जिसने यूरोप और अफ्रीका में अस्थायी रेडियो ब्लैकआउट उत्पन्न किया और अब पृथ्वी से पुनः टकराने की संभावना है।
  • इससे संकेत मिलता है कि सूर्य वर्तमान में अत्यधिक सक्रिय अवस्था में है।

NOAA के भू-चुंबकीय तूफ़ान चेतावनी स्तर (G-Scale)

  • G1 (Minor): ऊँचे अक्षांशों में हल्की ऑरोरा, सैटेलाइट और रेडियो पर मामूली प्रभाव।
  • G2 (Moderate): अधिक स्पष्ट ऑरोरा, GPS/रेडियो में हल्का व्यवधान, पावर ग्रिड में छोटे उतार-चढ़ाव।
  • G3 (Strong): मध्य अक्षांशों तक ऑरोरा, GPS और रेडियो में बार-बार रुकावट, सैटेलाइट संचालन प्रभावित।
  • G4 (Severe): व्यापक ऑरोरा, एयरलाइन संचार-GPS बाधित, पावर ग्रिड पर गंभीर दबाव और अस्थायी आउटेज संभव।
  • G5 (Extreme): निम्न अक्षांशों तक ऑरोरा, GPS/रेडियो व्यापक रूप से ठप, सैटेलाइट क्षति और बड़े पावर ग्रिड फेलियर का खतरा।

ऑरोरा के बारे में

  • जब सूर्य से आए उच्च-ऊर्जा कण पृथ्वी के ऊपरी वायुमंडल में मौजूद गैसों जैसे नाइट्रोजन और ऑक्सीजन से टकराते हैं, तो वे गैसों को प्रेरित (excite) करते हैं। 
  • यह ऊर्जा गैसों से रंगीन प्रकाश के रूप में निकलती है, जिसे हम ऑरोरा कहते हैं।
  • उत्तरी गोलार्ध में इसे ‘ऑरोरा बोरेलिस’ कहा जाता है।
  • दक्षिणी गोलार्ध में यह ‘ऑरोरा ऑस्ट्रेलिस’ कहलाती है।
  • ये रोशनियाँ प्रायः ध्रुवीय क्षेत्रों में ही दिखाई देती हैं, क्योंकि पृथ्वी का चुंबकीय क्षेत्र उन्हीं क्षेत्रों में सबसे अधिक संकेंद्रित होता है।
  • वर्तमान में, सूर्य अपने 11-वर्षीय चक्र के अधिकतम चरण (Solar Maximum) में है, जिसके कारण ऐसी घटनाओं की आवृत्ति बढ़ गई है।

सौर तूफ़ान के प्रभाव

  • यह सीधे तौर पर मानव जीवन के लिए हानिकारक नहीं हैं, पृथ्वी का वायुमंडल हमें इन विकिरणों से सुरक्षित रखता है।
  • अन्य प्रभाव 
    • GPS प्रणाली में व्यवधान
    • रेडियो संचार में बाधा
    • उपग्रह संचालन प्रभावित
    • विमानन संचार पर असर
    • बिजली ग्रिड में अस्थायी असंतुलन
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