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रामसर अभिसमय (Ramsar Convention)

चर्चा में क्यों ?

  • हाल ही में भारत में कई नई आर्द्रभूमियों को ‘रामसर स्थल’ का दर्जा दिया गया है। 
  • इनको जोड़ने के बाद भारत में कुल 94  रामसर स्थल हो गए हैं। 

रामसर अभिसमय:-

रामसर अभिसमय (1971) आर्द्रभूमियों के संरक्षण और विवेकपूर्ण (Wise) उपयोग हेतु एक अंतर-सरकारी संधि है।

  • इसे ईरान के रामसर शहर में अपनाया गया तथा 1975 में लागू किया गया।
  • इसके अंतर्गत “विवेकपूर्ण उपयोग” को आर्द्रभूमि के पारिस्थितिक चरित्र को बनाए रखते हुए सतत विकास के संदर्भ में पारिस्थितिकी तंत्र आधारित प्रबंधन के रूप में परिभाषित किया गया है।

रामसर सूची

इसमें ऐसे आर्द्रभूमियों को शामिल किया जाता है जिनका अंतर्राष्ट्रीय महत्व हो तथा जो कन्वेंशन द्वारा निर्धारित नौ मानदंडों में से कम से कम एक को पूरा करती हों — जैसे

  • संकटग्रस्त/अतिसंकटग्रस्त प्रजातियों को आश्रय,
  • महत्वपूर्ण पारिस्थितिक तंत्र का संरक्षण,
  • जलपक्षियों की बड़ी आबादी का समर्थन आदि।

भारत में प्रमुख रामसर स्थल

  • पहले रामसर स्थल (1981):
    • चिल्का झील (ओडिशा)
    • केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान (राजस्थान)
  • नवीनतम रामसर स्थल (2025):
    •  गोकुल जलाशय (बक्सर, बिहार93वां रामसर स्थल)
    • बिहार के कटिहार ज़िले में स्थित गोगाबील झील(94 )

Wetland City Accreditation (WCA-29)

भारत के दो शहर—

  • इंदौर
  • उदयपुर: को वेटलैंड-फ्रेंडली शहर के रूप में यह मान्यता प्राप्त है।

Montreux Record

यह उन रामसर स्थलों की सूची है जहाँ मानव गतिविधियों, प्रदूषण या इंफ्रास्ट्रक्चर विकास के कारण पारिस्थितिक चरित्र में हानि का जोखिम है।
भारत में:

  • लोकटक झील (मणिपुर)
  • केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान (राजस्थान)

रामसर अभिसमय का महत्व

1. सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) में योगदान

आर्द्रभूमियाँ SDG-6 (स्वच्छ जल), SDG-13 (जलवायु कार्रवाई), SDG-14/15 (जैव विविधता संरक्षण) से सीधे जुड़ी हैं।
ये जल गुणवत्ता, ग्राउंड वाटर रिचार्ज, बाढ़ नियंत्रण, खाद्य सुरक्षा और जलवायु सहनशीलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।

2. वैज्ञानिक अनुसंधान और डेटा साझेदारी

कन्वेंशन सदस्य देशों के बीच—

  • अनुसंधान सहयोग,
  • वेटलैंड प्रबंधन प्रशिक्षण,
  • डेटा एवं सर्वोत्तम प्रथाओं का आदान-प्रदान को बढ़ावा देता है, जिससे संरक्षण रणनीतियाँ बेहतर होती हैं।

3. अंतर्राष्ट्रीय सहयोग

वित्तीय, तकनीकी सहायता के माध्यम से उन समुदायों की मदद की जाती है जो आर्द्रभूमियों पर निर्भर हैं (जैसे मत्स्य-समुदाय, कृषि-आधारित समुदाय)।

4. पारिस्थितिकी और मानव विकास का संतुलन

रामसर अभिसमय प्रकृति और समाज के बीच पारस्परिक संबंध को स्वीकार करता है और संरक्षण को सामाजिक-आर्थिक विकास से जोड़ता है।

मुख्य चुनौतियाँ

1. क्रियान्वयन में बाधाएँ

कई सदस्य देश

  • राष्ट्रीय कानूनों की समीक्षा,
  • पारदर्शी रिपोर्टिंग,
  • डेटा साझेदारी
    जैसे दायित्वों को पूरा करने में अनिच्छुक रहते हैं।

2. अस्पष्टता

अभिसमय के टेक्स्ट में ‘आर्द्रभूमि पुनर्बहाली’ और दायित्वों की स्पष्टता का अभाव है, जिससे प्रभावी कार्यान्वयन में अड़चन आती है।

3. विवाद समाधान तंत्र का अभाव:  कन्वेंशन में कोई औपचारिक विवाद-निपटान तंत्र नहीं है; इससे अनुपालन और जवाबदेही कमजोर होती है।

4. राष्ट्रीय स्तर पर पहचान और संरक्षण में कमी

  • भूमि उपयोग परिवर्तन
  • शहरीकरण
  • प्रदूषण
  • अवैध अतिक्रमण: अक्सर रामसर स्थलों के बावजूद जारी रहते हैं।

आगे की राह (Way Forward)

1. क्षेत्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय सहयोग का विस्तार

पक्षकार देशों को तकनीकी मार्गदर्शन, संयुक्त मॉनिटरिंग और प्रशिक्षण कार्यक्रमों को बढ़ाना चाहिए।

2. स्थानीय समुदायों की भागीदारी

वेटलैंड संरक्षण तभी सफल होगा जब:

  • स्थानीय समुदायों,
  • नगर निकायों,
  • किसानों और मछुआरों को इसका हितधारक बनाया जाए।

3. जागरूकता और सामाजिक सहमति

आर्द्रभूमियों के महत्व पर जन-जागरूकता बढ़ाना आवश्यक है क्योंकि अधिकांश विनाश स्थानीय स्तर पर होता है।

4. निगरानी और पर्यावरणीय मूल्यांकन

ड्रेजिंग, निर्माण, वानिकी, कृषि विस्तार जैसी गतिविधियों के लिए अनिवार्य EIA (Environmental Impact Assessment) और नियमित मॉनिटरिंग अपनाई जानी चाहिए।

निष्कर्ष

आर्द्रभूमियाँ महत्वपूर्ण पारिस्थितिक सेवाएँ प्रदान करती हैं-

  • बाढ़ नियंत्रण
  • जल शुद्धिकरण
  • जलवायु नियमन
  • जैव विविधता संरक्षण

ये सेवाएँ महँगे आपदा प्रबंधन और जल उपचार की लागत को कम कर स्थानीय एवं राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाती हैं। रामसर अभिसमय इस दिशा में वैश्विक सहयोग, वैज्ञानिक प्रबंधन और सतत उपयोग का महत्वपूर्ण मंच प्रदान करता है। भारत जैसे जैव-विविध और आर्द्रभूमि-समृद्ध देश के लिए यह अभिसमय जल, जलवायु और जैव-विविधता सुरक्षा की अनिवार्य शर्त है।

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