रामसर अभिसमय (1971) आर्द्रभूमियों के संरक्षण और विवेकपूर्ण (Wise) उपयोग हेतु एक अंतर-सरकारी संधि है।
इसमें ऐसे आर्द्रभूमियों को शामिल किया जाता है जिनका अंतर्राष्ट्रीय महत्व हो तथा जो कन्वेंशन द्वारा निर्धारित नौ मानदंडों में से कम से कम एक को पूरा करती हों — जैसे
भारत के दो शहर—
यह उन रामसर स्थलों की सूची है जहाँ मानव गतिविधियों, प्रदूषण या इंफ्रास्ट्रक्चर विकास के कारण पारिस्थितिक चरित्र में हानि का जोखिम है।
भारत में:
1. सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) में योगदान
आर्द्रभूमियाँ SDG-6 (स्वच्छ जल), SDG-13 (जलवायु कार्रवाई), SDG-14/15 (जैव विविधता संरक्षण) से सीधे जुड़ी हैं।
ये जल गुणवत्ता, ग्राउंड वाटर रिचार्ज, बाढ़ नियंत्रण, खाद्य सुरक्षा और जलवायु सहनशीलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
2. वैज्ञानिक अनुसंधान और डेटा साझेदारी
कन्वेंशन सदस्य देशों के बीच—
3. अंतर्राष्ट्रीय सहयोग
वित्तीय, तकनीकी सहायता के माध्यम से उन समुदायों की मदद की जाती है जो आर्द्रभूमियों पर निर्भर हैं (जैसे मत्स्य-समुदाय, कृषि-आधारित समुदाय)।
4. पारिस्थितिकी और मानव विकास का संतुलन
रामसर अभिसमय प्रकृति और समाज के बीच पारस्परिक संबंध को स्वीकार करता है और संरक्षण को सामाजिक-आर्थिक विकास से जोड़ता है।
1. क्रियान्वयन में बाधाएँ
कई सदस्य देश
2. अस्पष्टता
अभिसमय के टेक्स्ट में ‘आर्द्रभूमि पुनर्बहाली’ और दायित्वों की स्पष्टता का अभाव है, जिससे प्रभावी कार्यान्वयन में अड़चन आती है।
3. विवाद समाधान तंत्र का अभाव: कन्वेंशन में कोई औपचारिक विवाद-निपटान तंत्र नहीं है; इससे अनुपालन और जवाबदेही कमजोर होती है।
4. राष्ट्रीय स्तर पर पहचान और संरक्षण में कमी
1. क्षेत्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय सहयोग का विस्तार
पक्षकार देशों को तकनीकी मार्गदर्शन, संयुक्त मॉनिटरिंग और प्रशिक्षण कार्यक्रमों को बढ़ाना चाहिए।
2. स्थानीय समुदायों की भागीदारी
वेटलैंड संरक्षण तभी सफल होगा जब:
3. जागरूकता और सामाजिक सहमति
आर्द्रभूमियों के महत्व पर जन-जागरूकता बढ़ाना आवश्यक है क्योंकि अधिकांश विनाश स्थानीय स्तर पर होता है।
4. निगरानी और पर्यावरणीय मूल्यांकन
ड्रेजिंग, निर्माण, वानिकी, कृषि विस्तार जैसी गतिविधियों के लिए अनिवार्य EIA (Environmental Impact Assessment) और नियमित मॉनिटरिंग अपनाई जानी चाहिए।
आर्द्रभूमियाँ महत्वपूर्ण पारिस्थितिक सेवाएँ प्रदान करती हैं-
ये सेवाएँ महँगे आपदा प्रबंधन और जल उपचार की लागत को कम कर स्थानीय एवं राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाती हैं। रामसर अभिसमय इस दिशा में वैश्विक सहयोग, वैज्ञानिक प्रबंधन और सतत उपयोग का महत्वपूर्ण मंच प्रदान करता है। भारत जैसे जैव-विविध और आर्द्रभूमि-समृद्ध देश के लिए यह अभिसमय जल, जलवायु और जैव-विविधता सुरक्षा की अनिवार्य शर्त है।
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