| (प्रारंभिक परीक्षा: समसामयिक घटनाक्रम) |
संदर्भ
थिरुवनंतपुरम स्थित इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ माइग्रेशन एंड डेवलपमेंट (IIMAD) और पॉपुलेशन फाउंडेशन ऑफ इंडिया (PFI) ने भारत के विभिन्न राज्यों की जनसंख्या से जुड़ी एक राष्ट्रीय रिपोर्ट जारी की है। इस रिपोर्ट में वर्ष 2021 से 2051 तक की जनसांख्यिकीय प्रक्षेपण दिए गए हैं। केरल के आंकड़े विशेष रूप से महत्वपूर्ण हैं क्योंकि यह राज्य भारत का सबसे बुजुर्ग राज्य बनता जा रहा है।
केरल: भारत का सबसे बुजुर्ग राज्य
- रिपोर्ट के अनुसार, 2051 में भी केरल सबसे पुराना (oldest) और बिहार सबसे युवा (youngest) राज्य बना रहेगा।
- इसका कारण कम जन्म दर, उच्च जीवन प्रत्याशा और जनसांख्यिकीय परिवर्तन की तेज रफ्तार है।
- रिपोर्ट ने भविष्य की अनिश्चितताओं को समझते हुए तीन प्रकार के प्रक्षेपण दिए हैं:
- मीडियम वेरिएंट: सबसे यथार्थवादी अनुमान (3.58 करोड़ → 3.55 करोड़)
- लो वेरिएंट: न्यूनतम अनुमान (3.57 करोड़ → 3.49 करोड़)
- हाई वेरिएंट: अधिकतम अनुमान (3.59 करोड़ → 3.61 करोड़)
- सभी वेरिएंट इस बात की पुष्टि करते हैं कि वर्ष 2041 के बाद जनसंख्या कम होने लगेगी।
रिपोर्ट के प्रमुख निष्कर्ष
केरल की जनसंख्या में बदलाव
- वर्ष 2011 में केरल की जनसंख्या 3.34 करोड़ थी।
- वर्ष 2026 में यह बढ़कर लगभग 3.58 करोड़ होने का अनुमान है।
- वर्ष 2041 तक जनसंख्या 3.62 करोड़ तक पहुँचेगी।
- इसके बाद धीरे-धीरे कमी शुरू होगी और वर्ष 2051 में जनसंख्या 3.55 करोड़ तक गिरने का अनुमान है।
- सभी प्रोजेक्शन वेरिएंट (लो, हाई और मीडियम) इस बात पर सहमत हैं कि वर्ष 2041 के बाद गिरावट तय है।
जीवन प्रत्याशा में तेज बढ़ोतरी
- वर्ष 2026 में केरल की औसत जीवन प्रत्याशा 75.1 वर्ष अनुमानित है।
- वर्ष 2051 तक यह 82.9 वर्ष तक पहुँच जाएगी।
- इससे स्पष्ट होता है कि केरल भारत का सबसे उम्रदराज राज्य बना रहेगा।
बुजुर्ग आबादी में तीव्र वृद्धि
- वर्ष 2026 में केरल की कुल आबादी में 60 वर्ष से ऊपर के लोग 18.6% थे।
- वर्ष 2051 तक यह बढ़कर 30.6% हो जाएगा, यानि हर 3 में से 1 व्यक्ति बुजुर्ग होगा।
- राज्य की मीडियन आयु वर्ष 2026 में 37 वर्ष थी, जो 2051 तक 47 वर्ष हो जाएगी।
- केरल में 80+ आयु वर्ग के लोग 2021 में करीब 2% थे, वर्ष 2051 में यह बढ़कर 6.4% होने का अनुमान है, जो भारत में सबसे अधिक होगा।
केरल में बच्चों की आबादी में तीव्र गिरावट
वर्ष 2021 में 0–14 वर्ष की आबादी का हिस्सा:
- बिहार: 30.3% (सबसे अधिक)
- केरल: 19.3% (सबसे कम)
- 2051 में अनुमान:
- बिहार: 22.6%
- केरल: 12.8% (सबसे कम)
- यह दर्शाता है कि केरल में जन्म दर बेहद कम हो रही है और राज्य फ्लोर TFR (1.4) के करीब पहुँच जाएगा।
तेजी से बढ़ता शहरीकरण
- वर्ष 2011 में केरल का शहरी–ग्रामीण अनुपात था:
- शहरी: 47.7%
- ग्रामीण: 52.3%
- वर्ष 2051 तक यह बढ़कर होने का अनुमान:
- शहरी: 91.1%
- ग्रामीण: 8.9%
- यह बताता है कि केरल देश के सबसे शहरीकृत राज्यों में बदल सकता है।
निष्कर्ष
केरल की जनसांख्यिकीय तस्वीर आने वाले दशकों में भारत के समक्ष उभरने वाली चुनौतियों और अवसरों की स्पष्ट झलक देती है। बच्चों की संख्या में कमी, बुजुर्ग आबादी का असाधारण बढ़ना और तेज शहरीकरण ऐसी प्रवृत्तियाँ हैं जो स्वास्थ्य सेवाओं, पेंशन सिस्टम, देखभाल ढाँचे, रोजगार और सामाजिक सुरक्षा तंत्र में बड़े बदलाव की मांग करेंगी।