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खगोल वैज्ञानिक जयंत नार्लीकर का निधन

चर्चा में क्यों?

  • प्रसिद्ध खगोलभौतिक विज्ञानी और विज्ञान संप्रेषक डॉ. जयंत विष्णु नार्लीकर का 20 मई 2025 को पुणे में 87 वर्ष की आयु में निधन हो गया। 
  • जन्म: 19 जुलाई 1938, कोल्हापुर, महाराष्ट्र

प्रमुख वैज्ञानिक योगदान:

1. हॉयल- नार्लीकर गुरुत्वाकर्षण सिद्धांत

  • डॉ. नार्लीकर ने ब्रिटिश खगोलशास्त्री सर फ्रेड हॉयल के साथ मिलकर 1960 के दशक में "हॉयल- नार्लीकर सिद्धांत" विकसित किया।
  • यह आइंस्टीन के सापेक्षता सिद्धांत और माख के सिद्धांत का समन्वय करता है। 
  • यह सिद्धांत ब्रह्मांड की उत्पत्ति के लिए बिग बैंग सिद्धांत के विकल्प के रूप में प्रस्तुत किया गया था।

2. IUCAA की स्थापना

  • उन्होंने पुणे में इंटर-यूनिवर्सिटी सेंटर फॉर एस्ट्रोनॉमी एंड एस्ट्रोफिजिक्स (IUCAA) की स्थापना की।
  • यह भारत में खगोलशास्त्र और खगोलभौतिकी में उच्च शिक्षा और अनुसंधान का प्रमुख केंद्र है।

3. विज्ञान संप्रेषण

  • उन्होंने विज्ञान को आम जनता तक पहुँचाने के लिए कई किताबें, लेख और विज्ञान कथाएँ लिखीं। 
  • उन्होंने अंग्रेज़ी, हिंदी और मराठी में लेखन किया और रेडियो-टीवी कार्यक्रमों के माध्यम से विज्ञान को लोकप्रिय बनाया।

सम्मान और पुरस्कार

  • पद्म भूषण (1965)
  • पद्म विभूषण (2004)
  • कलिंग पुरस्कार (1996) – विज्ञान के जनप्रियकरण के लिए यूनेस्को द्वारा
  • महाराष्ट्र भूषण पुरस्कार (2011)
  • साहित्य अकादमी पुरस्कार (2014) – मराठी आत्मकथा "चार नगरांतले माझे विश्व" के लिए 

प्रश्न. डॉ. जयंत विष्णु नार्लीकर का संबंध निम्नलिखित में से किस क्षेत्र से था?

(a) पर्यावरण विज्ञान

(b) खगोलभौतिकी

(c) चिकित्सा विज्ञान

(d) जैव प्रौद्योगिकी

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