New
GS Foundation (P+M) - Delhi: 5 May, 3:00 PM GS Foundation (P+M) - Prayagraj: 11 May, 5:30 PM Call Our Course Coordinator: 9555124124 Request Call Back GS Foundation (P+M) - Delhi: 5 May, 3:00 PM GS Foundation (P+M) - Prayagraj: 11 May, 5:30 PM Call Our Course Coordinator: 9555124124 Request Call Back

लकुंडी एवं कल्याण चालुक्य धरोहर

(प्रारंभिक परीक्षा : कला एवं संस्कृति)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 1: भारतीय विरासत और संस्कृति, विश्व का इतिहास एवं भूगोल और समाज, भारतीय संस्कृति में प्राचीन काल से आधुनिक काल तक के कला के रूप, साहित्य और वास्तुकला के मुख्य पहलू)

संदर्भ 

कर्नाटक सरकार और भारतीय राष्ट्रीय कला एवं सांस्कृतिक विरासत ट्रस्ट (INTACH) ने लकुंडी (Lakkundi) तथा उसके आसपास स्थित चालुक्यकालीन मंदिरों व स्मारकों को यूनेस्को विश्व धरोहर स्थलों की टेंटेटिव सूची (संभावित सूची) में शामिल कराने के लिए एक डोज़ियर तैयार किया है।

क्या है यूनेस्को की टेंटेटिव सूची

  • यह वह प्रारंभिक सूची होती है जिसमें कोई देश उन स्थलों को सम्मिलित करता है जिन्हें वह भविष्य में विश्व धरोहर के रूप में नामांकित करना चाहता है।
  • किसी स्थल को यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल (UNESCO World Heritage Site) घोषित किए जाने के लिए उसका टेंटेटिव सूची में होना एक पूर्व शर्त है।

लकुंडी : एक सांस्कृतिक धरोहर

  • परिचय : लकुंडी गाँव एक ऐतिहासिक नगर है जो 10वीं से 12वीं शताब्दी ईस्वी के बीच कल्याण चालुक्य या पश्चिमी चालुक्य काल की स्थापत्य कला का प्रतिनिधित्व करता है।
  • स्थान : गडग जिला, कर्नाटक
  • कालखंड : 10वीं से 12वीं शताब्दी, कल्याण चालुक्य शासनकाल
  • महत्व : इस काल में निर्मित मंदिर, बावड़ियाँ (Stepped Tanks) और जैन व हिंदू स्थापत्य समुच्चय, उस युग के धार्मिक सह-अस्तित्व, जल-संरचना ज्ञान एवं स्थापत्य नवाचार का परिचायक हैं।
  • डोजियर में शामिल प्रमुख स्मारक : लकुंडी समूह के स्मारकों में 11वीं शताब्दी का काशी विश्वेश्वर मंदिर, मणिकेश्वर मंदिर, नन्नेश्वर मंदिर, ब्रह्मा जिनालय (लकुंडी में सबसे पुराना मंदिर) और मुसुकिना बावी शामिल हैं।

प्रमुख विशेषताएँ

  • स्थापत्य शैली की विशिष्टता : ये मंदिर वेसर स्थापत्य शैली में निर्मित हैं जो नागर एवं द्रविड़ शैलियों का समन्वय है जिनमें ऊर्ध्वाधर व क्षैतिज घटकों का संतुलन, गूढ़ मूर्तिकला तथा सजावटी योजनाएँ अत्यंत बारीकता से गढ़ी गई हैं।
  • जल प्रबंधन की उन्नत प्रणाली : लकुंडी में कई प्राचीन पुष्करणियाँ (Stepwells) हैं जो उस काल की जल संरक्षण प्रणाली एवं पर्यावरणीय ज्ञान का परिचायक हैं।
  • धार्मिक समरसता : लकुंडी में शैव, वैष्णव एवं जैन धर्मों के मंदिरों का सह-अस्तित्व मध्यकालीन भारत की धार्मिक सहिष्णुता व सांस्कृतिक बहुलता को उजागर करता है।

कर्नाटक के अन्य यूनेस्को संभावित स्थल

  • बादामी (Badami)
  • आइहोले (Aihole)
  • श्रीरंगपट्टण (Srirangapatna)
  • हिरे बेनकल (Hire Benakal)
  • दक्कन सुल्तान स्मारक (Deccan Sultanate Monuments)

कल्याणी के चालुक्य वंश

  • कालखंड : 973 ई. से 1189 ई. तक
  • राजधानी : कल्याणी (वर्तमान बसव कल्याण, कर्नाटक)
  • प्रभाव क्षेत्र : आधुनिक कर्नाटक, आंध्र प्रदेश एवं महाराष्ट्र का कुछ हिस्सा
  • प्रमुख शासक : तैलप II (संस्थापक), सोमेश्वर I एवं विक्रमादित्य VI (साहित्य एवं स्थापत्य में स्वर्णकाल)

स्थापत्य में योगदान

  • वेसर शैली का विकास : चालुक्यों ने द्रविड़ एवं नागर शैलियों का समन्वय करते हुए एक नई ‘वेसर शैली’ विकसित की।
    • इस शैली में द्रविड़ शैली की गर्भगृह एवं शिखर की संरचना तथा नागर शैली की सुंदर मूर्तिकला एवं मंडप की सज्जा का समावेश है।
  • मूर्तिकला एवं धातु शिल्प : चालुक्य मंदिरों में देवी-देवताओं की जीवंत मूर्तियाँ, दृश्यांकन एवं गाथा-कथाओं का प्रस्तुतीकरण अत्यंत सूक्ष्म व कलात्मक रूप से किया गया है।
    • लकुंडी में विकसित कांस्य मूर्तिशिल्प (Lost Wax Technique) ने बाद के होयसल व विजयनगर मूर्तिकला को भी प्रभावित किया।
  • धार्मिक समरसता एवं विविधता : चालुक्य शासकों ने शैव, वैष्णव व जैन धर्म को संरक्षण दिया। यह विविधता मंदिर स्थापत्य में स्पष्ट रूप से परिलक्षित होती है। उदाहरण के लिए लकुंडी का ब्रह्मजिनालय (जैन मंदिर) तथा काशी विश्वनाथ (शैव मंदिर)।

उत्तरकालीन प्रभाव

  • चालुक्य वेसर शैली ने बाद में होयसल, काकतीय एवं विजयनगर स्थापत्य पर गहरा प्रभाव डाला।
  • मंदिरों की संरचनात्मक तकनीक, स्तंभों की सज्जा एवं मंडप प्रणाली को आगे की वास्तु शैलियों में अपनाया गया।
« »
  • SUN
  • MON
  • TUE
  • WED
  • THU
  • FRI
  • SAT
Have any Query?

Our support team will be happy to assist you!

OR