(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2: स्वास्थ्य, शिक्षा, मानव संसाधनों से संबंधित सामाजिक क्षेत्र/सेवाओं के विकास और प्रबंधन से संबंधित विषय) |
संदर्भ
भारत, राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 और वैश्विक विकास लक्ष्यों के अनुरूप प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल एवं शिक्षा (Early Childhood Care and Education: ECCE) में एक व्यापक बदलाव के दौर से गुजर रहा है।
क्या है प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल एवं शिक्षा
- ECCE का तात्पर्य 0 से 8 वर्ष की आयु तक के बच्चों को प्रदान की जाने वाली देखभाल, पोषण, स्वास्थ्य सेवाएँ तथा प्रारंभिक शिक्षा से है।
- यह बच्चों के सामाजिक, भावनात्मक, संज्ञानात्मक एवं शारीरिक विकास की नींव रखती है।
ई.सी.सी.ई. का महत्त्व
- 6 वर्ष की आयु तक 85% मस्तिष्क का विकास हो जाता है।
- बुनियादी शिक्षा भविष्य के शैक्षिक परिणामों, संज्ञानात्मक क्षमता एवं उत्पादकता को प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करती है।
प्रमुख सरकारी पहलें
एन.ई.पी. 2020
- सार्वजनिक क्षेत्र का ई.सी.सी.ई. बुनियादी ढाँचा लगभग 14 लाख आंगनवाड़ी केंद्रों पर आधारित था।
- एन.ई.पी. द्वारा सरकारी स्कूलों में तीन प्री-स्कूल कक्षाओं (बालवाटिका- 1, 2, 3) का मार्ग प्रशस्त करने के साथ सार्वजनिक ई.सी.सी.ई. कक्षाओं की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि होगी।
- वर्ष 2030 तक 3-6 वर्ष की आयु के सभी बच्चों के लिए ई.सी.सी.ई. को सार्वभौमिक बनाने का लक्ष्य है।
- कक्षा में 5+3+3+4 आयु संरचना की शुरुआत की गयी है।
मिशन सक्षम आंगनवाड़ी और पोषण 2.0
- ये पोषण, स्वास्थ्य, प्रारंभिक शिक्षा एवं अभिभावकों की भागीदारी पर ध्यान केंद्रित करते हैं।
- आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के प्रशिक्षण एवं पाठ्यक्रम संशोधन पर बल देता है।
राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा- आधारभूत चरण 2022:
- गतिविधि-आधारित, खेल-उन्मुख शिक्षाशास्त्र
- मातृभाषा एवं सामाजिक-भावनात्मक विकास पर बल
डिजिटल उपकरण का उपयोग
- दीक्षा प्लेटफ़ॉर्म आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और अभिभावकों के लिए ई.सी.सी.ई. मॉड्यूल प्रदान करता है।
- ई.सी.सी.ई. वितरण में प्रौद्योगिकी को एकीकृत करने के लिए स्मार्ट आंगनवाड़ियों का उपयोग।
बजट आवंटन
- शिक्षा मंत्रालय ने समग्र शिक्षा योजना के तहत ई.सी.सी.ई. के लिए बजट आवंटित करना शुरू कर दिया है।
- कई राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने सरकारी स्कूलों में प्रीस्कूल कक्षाएँ शुरू करने के लिए इस प्रावधान का उपयोग शुरू कर दिया है।
चुनौतियाँ
- अत्यधिक कार्यभार और कम प्रशिक्षित आंगनवाड़ी कार्यकर्ता
- ग्रामीण एवं आदिवासी क्षेत्रों में बुनियादी ढाँचे की कमी
- शिक्षा और स्वास्थ्य मंत्रालय के बीच समन्वय का अभाव
- राज्यों में असमान कार्यान्वयन
आगे की राह
- अग्रिम पंक्ति के कार्यकर्ताओं की क्षमता निर्माण पर बल
- सामुदायिक भागीदारी और अभिभावकों की जागरूकता को मज़बूत करना
- पोषण, स्वास्थ्य और प्री-स्कूल शिक्षा को समग्र रूप से एकीकृत करना
- महिला एवं बाल विकास मंत्रालय और शिक्षा मंत्रालय के बीच भूमिका स्पष्ट करना