(प्रारंभिक परीक्षा : राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ, आर्थिक एवं सामाजिक विकास) (मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3 : भारतीय अर्थव्यवस्था तथा योजना, संसाधनों को जुटाने, प्रगति, विकास तथा रोज़गार से संबंधित विषय) |
संदर्भ
भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) द्वारा फिक्स्ड इनकम मनी मार्केट एंड डेरिवेटिव्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (FIMMDA) को वित्तीय बाज़ार में एक स्व-नियामक संगठन (Self-Regulatory Organisation : SRO) के रूप में मान्यता दी है।

FIMMDA के बारे में
- परिचय : फिक्स्ड इनकम मनी मार्केट एंड डेरिवेटिव्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (FIMMDA) अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों, सार्वजनिक वित्तीय संस्थानों, प्राथमिक डीलरों एवं बीमा कंपनियों का एक संघ है।
- स्थापना : इसकी स्थापना 4 मई, 1998 को कंपनी अधिनियम, 1956 की धारा 25 के अंतर्गत एक कंपनी के रूप में की गई थी।
- प्रकृति : एक विनियामक संस्था नहीं है बल्कि एक स्वैच्छिक सदस्य आधारित संस्था है जो भारत के बॉन्ड, मनी मार्केट एवं डेरिवेटिव्स मार्केट के हितधारकों का प्रतिनिधित्व करती है।
- सदस्य : अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक, प्राथमिक डीलर, सार्वजनिक वित्तीय संस्थाएँ, बीमा कंपनियाँ एवं अन्य वित्तीय संस्थाएँ
FIMMDA के उद्देश्य
- भारत में स्थायी आय (Fixed Income) वाले उपकरणों के लिए व्यवस्थित एवं पारदर्शी बाजार का विकास
- मनी मार्केट, बॉन्ड मार्केट एवं डेरिवेटिव्स में व्यापार प्रथाओं व आचार संहिता का निर्धारण
- रेट बेंचमार्क्स और मूल्य निर्धारण मानदंडों का विकास व प्रकाशन
- बाज़ार सहभागियों के लिए ट्रेनिंग एवं वर्कशॉप्स का आयोजन
- RBI, SEBI जैसे नियामकों के साथ नीति-निर्माण में सहयोग
RBI द्वारा SRO फ्रेमवर्क की मान्यता
RBI ने अगस्त 2024 में वित्तीय बाजारों में SRO की मान्यता के लिए व्यापक रूपरेखा जारी की थी, जिसमें निम्नलिखित प्रमुख पहलुओं को शामिल किया गया था-
- क्या है SRO : RBI के अनुसार, स्व-नियामक संगठन (SRO) वह संस्था होती है जो अपने सदस्यों के व्यवहार, कार्यप्रणाली एवं आचार संहिता पर बिना सीधे सरकारी हस्तक्षेप के निगरानी रखती है और उन्हें दिशा-निर्देश प्रदान करती है।
- उद्देश्य : वित्तीय बाजारों में आचरण मानकों, पारदर्शिता एवं संचालन दक्षता को बढ़ावा देना
- पात्रता : कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 8 के तहत पंजीकृत एक गैर-लाभकारी कंपनी के रूप में स्थापित
- आवेदक के पास न्यूनतम 10 करोड़ रुपए की निवल संपत्ति होनी चाहिए।
- इसके अलावा संचालन अनुभव, विविध सदस्यता, सुदृढ़ प्रशासनिक ढांचा होना चाहिए।
- उत्तरदायित्व
- सदस्यों के लिए आचार संहिता तय करना
- प्रशिक्षण, डाटा मानकीकरण और शिकायत निवारण
- RBI के साथ सहयोग एवं निगरानी में भागीदारी
- संचालन का ढांचा
- लोकतांत्रिक एवं पारदर्शी गवर्नेंस
- समुचित लेखा परीक्षण एवं रिपोर्टिंग प्रणाली
- हितों के टकराव से बचाव
FIMMDA को SRO मान्यता के प्रभाव
- बाजार की पारदर्शिता में वृद्धि : FIMMDA को अब औपचारिक रूप से निगरानी और मार्गदर्शन की भूमिका दी गई है, जिससे लेनदेन एवं दर निर्धारण की प्रक्रियाएँ अधिक पारदर्शी होंगी।
- विनियमन में सहयोगात्मक दृष्टिकोण : यह कदम सरकारी एवं निजी नियामकों के बीच एक सहयोगी तंत्र स्थापित करता है जिससे RBI के भार में कमी होगी और बाजार स्व-नियमन की ओर अग्रसर होगा।
- डाटा मानकीकरण एवं प्रशिक्षण : FIMMDA अब अपने सदस्यों को प्रशिक्षण एवं सर्वोत्तम प्रथाएँ साझा कर वित्तीय उत्पादों की समझ व निष्पादन क्षमता को बढ़ा सकेगा।
- हितधारकों के विश्वास में वृद्धि : स्व-नियामक संस्था होने के कारण इसकी निगरानी भूमिका संस्थागत निवेशकों और वैश्विक वित्तीय संस्थानों के लिए भरोसेमंद होगी।