(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2: संघ एवं राज्यों के कार्य तथा उत्तरदायित्व, संघीय ढाँचे से संबंधित विषय एवं चुनौतियाँ, स्थानीय स्तर पर शक्तियों व वित्त का हस्तांतरण तथा उसकी चुनौतियाँ) |
संदर्भ
हिमाचल प्रदेश मंत्रिमंडल ने शहरी स्थानीय निकाय (Urban Local Bodies: ULBs) चुनावों में अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के लिए आरक्षण को मंजूरी दी।
मंत्रिमंडल का हालिया निर्णय
- मंत्रिमंडल ने हाल के न्यायिक निर्देशों और संवैधानिक प्रावधानों के अनुरूप शहरी स्थानीय निकाय चुनावों में ओ.बी.सी. के लिए 27% आरक्षण को मंजूरी दी है।
- यह स्थानीय चुनावों में ओ.बी.सी. आरक्षण लागू करने के लिए सर्वोच्च न्यायालय द्वारा निर्धारित त्रिस्तरीय परीक्षण (Triple Test) के पूरा होने के बाद हुआ है।
ओ.बी.सी. आरक्षण के लिए संवैधानिक प्रावधान
अनुच्छेद 243T
- इस अनुच्छेद में नगरपालिकाओं में आरक्षण के लिए प्रावधान का उल्लेख किया गया है।
- इसके अनुसार :
- प्रत्येक नगरपालिका में अनुसूचित जातियों (SCs) और अनुसूचित जनजातियों (STs) के लिए सीटें आरक्षित की गई हैं।
- कुल सीटों का एक-तिहाई हिस्सा महिलाओं के लिए आरक्षित है जिनमें अनुसूचित जातियों एवं अनुसूचित जनजातियों की महिलाएँ भी शामिल हैं।
- इस भाग की कोई भी बात किसी राज्य के विधानमंडल को किसी नगरपालिका में पिछड़े वर्ग के नागरिकों के पक्ष में सीटों के आरक्षण के लिए कोई प्रावधान करने से नहीं रोकेगी।
- यह राज्य विधानमंडल को शहरी स्थानीय निकायों (ULBs) में अन्य पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण प्रदान करने में सक्षम बनाता है किंतु यह अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति की तरह अनिवार्य नहीं है।
सर्वोच्च न्यायालय द्वारा अनिवार्य त्रिस्तरीय परीक्षण
- सर्वोच्च न्यायालय ने अपने विभिन्न निर्णयों में स्थानीय निकायों में ओ.बी.सी. समुदाय को आरक्षण प्रदान करने के लिए ट्रिपल टेस्ट को अनिवार्य कर दिया जिसमें शामिल हैं :
- पिछड़ेपन की जाँच के लिए एक समर्पित आयोग का गठन
- अनुभवजन्य आँकड़ों का संग्रह
- कुल 50% सीमा (अनुसूचित जाति/जनजाति सहित) के भीतर आरक्षण की सीमा
प्रमुख न्यायिक निर्णय
- इंद्रा साहनी वाद (1992) : स्थानीय निकायों में आरक्षण को बाहर रखा गया किंतु मानदंड के रूप में सामाजिक एवं शैक्षिक पिछड़ेपन पर ज़ोर दिया गया।
- के. कृष्ण मूर्ति बनाम भारत संघ (2010) : अनुच्छेद 243डी(6) और 243टी(6) के तहत स्थानीय निकायों में ओ.बी.सी. आरक्षण की अनुमति दी गई।
- विकास किशनराव गवली बनाम महाराष्ट्र राज्य (2021) : स्थानीय चुनावों में ओ.बी.सी. कोटा लागू करने से पहले त्रिस्तरीय परीक्षण की शुरुआत की गई।
महत्त्व
- सामाजिक न्याय सुनिश्चित करने के लिए यह शहरी शासन संरचनाओं में ओ.बी.सी. की राजनीतिक भागीदारी और प्रतिनिधित्व को बढ़ाता है।
- शासन के लिए यह त्रिस्तरीय परीक्षण के अनुपालन से जूझ रहे अन्य राज्यों के लिए एक आदर्श बन सकता है।