चर्चा में क्यों ?
हाल ही में केंद्र सरकार ने ‘सस्टेनेबल हार्नेसिंग एंड एडवांसमेंट ऑफ़ न्यूक्लियर एनर्जी फॉर ट्रांसफॉर्मिंग इंडिया (SHANTI/शांति विधेयक), 2025’ को संसद में प्रस्तुत किया है। इस विधेयक का उद्देश्य भारत में परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग को बढ़ावा देना तथा निजी क्षेत्र की भागीदारी को सक्षम बनाना है।

क्या है परमाणु ऊर्जा ?
- अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) के अनुसार,
- परमाणु के केंद्रक (न्यूक्लियस) से प्राप्त ऊर्जा को परमाणु ऊर्जा कहा जाता है।
- यह ऊर्जा दो प्रक्रियाओं से प्राप्त होती है-
- न्यूक्लियर फिशन (विखंडन):
- भारी परमाणुओं (जैसे यूरेनियम-235) का न्यूक्लियस टूटकर छोटे न्यूक्लियस में विभाजित होता है, जिससे भारी मात्रा में ऊर्जा निकलती है।
- न्यूक्लियर फ्यूजन (संलयन):
- हल्के न्यूक्लियस आपस में जुड़ते हैं। यह तकनीक अभी अनुसंधान चरण में है।
- वर्तमान में दुनिया भर में बिजली उत्पादन केवल न्यूक्लियर फिशन से किया जा रहा है।
परमाणु ऊर्जा संयंत्र कैसे काम करता है ?
- परमाणु रिएक्टर में नियंत्रित चेन रिएक्शन के माध्यम से उत्पन्न ऊष्मा का उपयोग पानी को भाप में बदलने के लिए किया जाता है।
- यह भाप टर्बाइन को घुमाती है, जिससे जनरेटर सक्रिय होता है और कम कार्बन उत्सर्जन वाली बिजली पैदा होती है।
- यह प्रक्रिया कोयला या गैस आधारित ताप विद्युत संयंत्रों जैसी ही होती है, फर्क केवल ऊष्मा के स्रोत का होता है।
भारत को परमाणु ऊर्जा की आवश्यकता क्यों ?
- भारत की ऊर्जा जरूरतें तेज़ी से बढ़ रही हैं।
- अभी जीवाश्म ईंधनों (कोयला, तेल, गैस) पर अधिक निर्भरता है।
- तेल और गैस का बड़ा हिस्सा आयात पर आधारित है।
- प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन की चुनौती बढ़ती जा रही है।
- 2070 तक नेट-ज़ीरो उत्सर्जन लक्ष्य प्राप्त करना है।
- सरकार के अनुसार, परमाणु ऊर्जा 24×7 उपलब्ध रहने वाला बेस-लोड ऊर्जा स्रोत है।
- सौर और पवन ऊर्जा के समान कम कार्बन उत्सर्जन करती है।
- दीर्घकाल में ऊर्जा आत्मनिर्भरता सुनिश्चित कर सकती है।
भारत में परमाणु ऊर्जा की वर्तमान स्थिति:
- कुल बिजली उत्पादन में हिस्सेदारी लगभग 3.1% है।
- स्थापित परमाणु क्षमता 8,780 मेगावॉट है।
- वर्ष 2024-25 में उत्पादन 56,681 मिलियन यूनिट है।
- वैश्विक तुलना में यह आंकड़ा काफ़ी कम है।
भारत परमाणु ऊर्जा में पीछे क्यों रहा ?
- पूर्ण सरकारी नियंत्रण
- परमाणु क्षेत्र लंबे समय तक पूरी तरह सरकार के नियंत्रण में रहा है।
- निजी और विदेशी निवेश का अभाव रहा है।
- कानूनी और दायित्व संबंधी बाधाएँ
- परमाणु दुर्घटना दायित्व कानून को लेकर अस्पष्टता बरकरार रही है।
- इस क्षेत्र में विदेशी कंपनियों की सीमित रुचि है।
- उच्च पूंजी लागत
- परमाणु संयंत्रों की स्थापना में अत्यधिक निवेश होता है।
- इसकी लंबी निर्माण अवधि होती है।
SHANTI विधेयक 2025 के प्रमुख उद्देश्य:
- 2047 तक 100 गीगावॉट परमाणु क्षमता हासिल करना है।
- न्यूक्लियर एनर्जी मिशन (NEM) की घोषणा।
- स्वदेशी और विदेशी सहयोग से नए रिएक्टर बनाना है।
- निजी क्षेत्र की भागीदारी को सक्षम बनाना।
- NPCIL द्वारा 54 गीगावॉट क्षमता जोड़ने की योजना को शुरू करना है।
विधेयक का विरोध क्यों हो रहा है ?
- विपक्ष की प्रमुख आपत्तियाँ:
- निजी कंपनियों को परमाणु क्षेत्र में प्रवेश को लेकर।
- दुर्घटना दायित्व सीमा (लगभग 410–460 मिलियन डॉलर) को अपर्याप्त बताया गया।
- भोपाल गैस त्रासदी से तुलना की गई।
- परमाणु ऊर्जा नियामक बोर्ड की स्वतंत्रता पर सवाल उठाए गए ।
- प्रभावित समुदायों को शिकायत दर्ज कराने का अधिकार न होना।
- शशि थरूर ने इसे “निजीकृत परमाणु विस्तार की दिशा में खतरनाक छलांग” बताया।
सुरक्षा और रेडियोएक्टिव कचरे को लेकर चिंताएँ:
- चेर्नोबिल (1986) और फुकुशिमा (2011) जैसी दुर्घटनाएँ को लेकर आज भी डर है।
- रेडियोएक्टिव वेस्ट का दीर्घकालिक निस्तारण न हो पाना।
- हालाँकि IAEA द्वारा सख्त वैश्विक निगरानी भारत का सुरक्षा रिकॉर्ड मजबूत स्वदेशी परमाणु पनडुब्बी तकनीक भारत की क्षमता दर्शाती है।
वैश्विक परिदृश्य:
- 31 देशों में 416 परमाणु रिएक्टर हैं।
- कुल वैश्विक क्षमता 376 गीगावॉट है।
- 71% क्षमता केवल 5 देशों के पास हैं।
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देश
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स्थिति
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अमेरिका
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94 रिएक्टर, 19% बिजली परमाणु से
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फ्रांस
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57 रिएक्टर, ऊर्जा का आधार
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चीन
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सबसे तेज़ विस्तार
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रूस
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तकनीक का सबसे बड़ा निर्यातक
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दक्षिण कोरिया
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ऊर्जा सुरक्षा पर केंद्रित नीति
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निष्कर्ष:
- SHANTI विधेयक 2025 भारत के लिए ऊर्जा आत्मनिर्भरता और स्वच्छ ऊर्जा संक्रमण की दिशा में एक बड़ा कदम हो सकता है।
- हालाँकि, सुरक्षा, दायित्व, नियामक स्वतंत्रता और जनहित से जुड़े प्रश्नों का संतुलित समाधान आवश्यक है।
- यदि सही निगरानी और पारदर्शिता के साथ इसे लागू किया गया, तो परमाणु ऊर्जा भारत की ऊर्जा जरूरतों, जलवायु लक्ष्यों और आर्थिक विकास में निर्णायक भूमिका निभा सकती है।
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प्रश्न. भारत में वर्तमान में परमाणु ऊर्जा का प्रशासनिक दायित्व किस संस्था के पास है ?
(a) नीति आयोग
(b) परमाणु ऊर्जा आयोग
(c) ऊर्जा मंत्रालय
(d) नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय
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