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‘विकसित भारत @ 2047’ : भारत की आर्थिक महाशक्ति बनने की महत्वाकांक्षा

भारत ने स्वतंत्रता की शताब्दी-2047-तक स्वयं को एक विकसित राष्ट्र के रूप में स्थापित करने का संकल्प लिया है।  ‘विकसित भारत @ 2047’ का उद्देश्य भारत को लगभग 30 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था, $20,000–25,000 प्रति व्यक्ति आय, न्यूनतम गरीबी और उच्च जीवन-स्तर वाले राष्ट्र में परिवर्तित करना है।  यह लक्ष्य केवल आर्थिक विस्तार नहीं, बल्कि समावेशी, टिकाऊ और तकनीक-संचालित विकास की परिकल्पना करता है।

विकसित भारत 2047 :-

क्षेत्र

लक्ष्य

GDP

$30 ट्रिलियन

प्रति व्यक्ति आय

विकसित देशों के समान

निर्धनता

< 1%

महिला कार्यबल भागीदारी

50–70%

कुल निर्यात

$10 ट्रिलियन

नवीकरणीय ऊर्जा

1500 GW

साक्षरता

100%

विकसित भारत 2047 : प्रमुख लक्ष्य

  • भारत सरकार ने वर्ष 2047 तक देश को एक विकसित राष्ट्र बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया है। इस दृष्टि के अंतर्गत भारत को लगभग 30 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था में परिवर्तित करने की परिकल्पना की गई है। 
  • विकसित देशों के समकक्ष उच्च प्रति व्यक्ति आय प्राप्त करना इस लक्ष्य का केंद्रीय बिंदु है।
  • इसके साथ ही, भारत में निर्धनता का स्तर 1% से भी कम करने, महिला कार्यबल भागीदारी को 50–70% तक बढ़ाने तथा $10 ट्रिलियन के कुल निर्यात का लक्ष्य रखा गया है। 
  • ऊर्जा क्षेत्र में, 1500 गीगावॉट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता विकसित करने और 100% साक्षरता प्राप्त करने को भी विकसित भारत के अनिवार्य मानकों के रूप में देखा गया है।

वर्तमान स्थिति और आवश्यक छलांग

  • विश्व बैंक के अनुसार भारत वर्तमान में एक निम्न-मध्यम आय वाला देश है, जिसकी प्रति व्यक्ति आय लगभग 2,612 डॉलर है। 
  • विकसित राष्ट्र का दर्जा प्राप्त करने के लिए भारत को अपनी प्रति व्यक्ति सकल राष्ट्रीय आय (GNI) में लगभग छह गुना वृद्धि करनी होगी।
  • यह लक्ष्य तभी संभव है जब भारत अगले दो दशकों तक लगातार 8% या उससे अधिक की वास्तविक आर्थिक वृद्धि दर बनाए रखने में सफल हो। 
  • यह आवश्यकता भारत की विकास रणनीति को असाधारण रूप से महत्वाकांक्षी बनाती है।

आर्थिक संवृद्धि के प्रमुख इंजन

1. कृषि क्षेत्र

  • कृषि क्षेत्र ने वित्त वर्ष 2025 में लगभग 3.8% की वृद्धि दर्ज की है। 
  • यह क्षेत्र भारत की खाद्य सुरक्षा का आधार है तथा उद्योगों के लिए कच्चे माल का प्रमुख स्रोत भी प्रदान करता है। 
  • संतुलित विकास के लिए कृषि की उत्पादकता में वृद्धि आवश्यक है।

2. सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (MSMEs)

  • MSMEs भारत के कुल निर्यात में लगभगि लगभग 45% योगदान देते हैं और 15 करोड़ से अधिक लोगों को रोजगार प्रदान करते हैं। 
  • यह क्षेत्र औद्योगिक उत्पादन की रीढ़ माना जाता है और समावेशी विकास में इसकी भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है।

3. निवेश

  • वित्त वर्ष 2025 में सकल स्थिर पूंजी निर्माण (GFCF) में लगभग 7.1% की वृद्धि दर्ज की गई है। 
  • निवेश आर्थिक विकास, रोजगार सृजन और उत्पादकता वृद्धि का मूल आधार है।

4. निर्यात

  • भारत ने वित्त वर्ष 2025 में $824.98 बिलियन का रिकॉर्ड निर्यात किया है। 
  • निर्यात में वृद्धि से वैश्विक बाजारों में भारत की प्रतिस्पर्धात्मक स्थिति मजबूत होती है और विदेशी मुद्रा अर्जन बढ़ता है।

5. अवसंरचना

  • भारत में वित्त वर्ष 2024 के दौरान प्रति दिन 33.8 किलोमीटर राष्ट्रीय राजमार्गों का निर्माण किया गया। 
  • इसके साथ ही, देश की पोर्ट क्षमता 1,630 मिलियन टन प्रति वर्ष तक पहुँच चुकी है, जिससे लॉजिस्टिक्स लागत में कमी आई है।

6. डिजिटल अर्थव्यवस्था

  • डिजिटल अर्थव्यवस्था का योगदान भारत की GDP में लगभग 13.42% है। 
  • भारत विश्व के 55% ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर्स (GCCs) की मेजबानी करता है, जिससे वित्तीय समावेशन और उत्पादकता दोनों को बढ़ावा मिला है।

7. जनसांख्यिकीय लाभांश

  • भारत की 66% जनसंख्या 35 वर्ष से कम आयु की है। 
  • यह जनसांख्यिकीय लाभ तभी आर्थिक शक्ति बनेगा जब AI, हरित ऊर्जा और कौशल विकास पर समुचित निवेश किया जाए।

भारत की प्रमुख सामर्थ्य

  • भारत 2025 में विश्व की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका है और इसकी वास्तविक GDP वृद्धि लगभग 6.5% है। नाममात्र GDP लगभग 331 लाख करोड़ है।
  • 2030 तक भारत की कार्यशील आयु की जनसंख्या 100 करोड़ तक पहुँचने की संभावना है, जिससे भारत वैश्विक कुशल श्रम बाजार में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
  • इसके अतिरिक्त, भारत विश्व का दूसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता बाजार है, जहाँ प्रति व्यक्ति आय के बढ़ने से घरेलू मांग में निरंतर वृद्धि हो रही है।
  • IT, BPO और वित्तीय सेवाओं के कारण सेवा क्षेत्र भारत का एक मजबूत स्तंभ बना हुआ है। 
  • नियंत्रित मुद्रास्फीति और विवेकपूर्ण राजकोषीय प्रबंधन ने भारत को मैक्रो-आर्थिक स्थिरता प्रदान की है।
  • China+1 रणनीति के तहत भारत वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में एक प्रमुख विनिर्माण केंद्र के रूप में उभर रहा है।

विकसित राष्ट्र बनने की प्रमुख चुनौतियाँ

  • भारत के सामने सबसे बड़ी चुनौती पर्याप्त उच्च वृद्धि दर बनाए रखना है, क्योंकि वर्तमान अनुमान 6.3–6.8% के बीच हैं, जबकि आवश्यकता 8% से अधिक की है।
  • इसके अतिरिक्त, भारत को मध्य-आय जाल का जोखिम भी है, जहाँ निम्न-मजदूरी आधारित मॉडल से उच्च-मूल्य उद्योगों में संक्रमण नहीं हो पाता।
  • संरचनात्मक रूप से, आज भी 46% कार्यबल कृषि में कार्यरत है, जबकि GDP में कृषि का योगदान केवल 18% है।
  • रोजगार और कौशल संकट भी गंभीर है, क्योंकि केवल 4.4% युवाओं को औपचारिक प्रशिक्षण प्राप्त है और मात्र 51% स्नातक ही रोजगार योग्य माने जाते हैं।
  • निवेश के क्षेत्र में, GDP का बड़ा भाग उपभोग पर आधारित है और निजी निवेश व बॉन्ड मार्केट अपेक्षाकृत अविकसित हैं।

2047 के लिए आवश्यक रणनीतिक कार्य

  • भारत को निजी निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार की भूमिका को Facilitator, not Regulator के रूप में विकसित करना होगा।
  • मानव पूंजी विकास हेतु शिक्षा, स्वास्थ्य और कौशल प्रशिक्षण में बड़े पैमाने पर निवेश आवश्यक है।
  • 2035 तक विनिर्माण क्षेत्र का GDP में योगदान 25% तक बढ़ाने, कृषि के आधुनिकीकरण, तथा China+1 रणनीति के अंतर्गत वैश्विक वैल्यू चेन में गहन एकीकरण पर बल देना होगा।
  • डिजिटल प्लेटफॉर्म, भारत ट्रेडनेट, एयर कार्गो और वेयरहाउसिंग अवसंरचना में सुधार से व्यापार को और सुगम बनाया जा सकता है।

निष्कर्ष (Conclusion)

  • विकसित भारत @ 2047’ केवल एक आर्थिक लक्ष्य नहीं, बल्कि भारत के सभ्यतागत पुनरुत्थान की व्यापक परिकल्पना है। 
  • यह लक्ष्य तभी प्राप्त किया जा सकता है जब उच्च आर्थिक वृद्धि के साथ-साथ समावेशिता, स्थिरता, तकनीकी नवाचार और मानव-केंद्रित विकास को समान प्राथमिकता दी जाए।
  • नीति आयोग जैसे संस्थानों का सुदृढ़ीकरण, निजी क्षेत्र की सक्रिय भागीदारी और हरित औद्योगीकरण भारत को न केवल एक आर्थिक महाशक्ति, बल्कि ग्लोबल साउथ के लिए विकास मॉडल के रूप में स्थापित कर सकता है।
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