भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) तथा बेंगलुरु स्थित कंपनी प्रोटोप्लेनेट ने चंद्रमा एवं मंगल ग्रह पर संभावित मानवयुक्त अंतरिक्ष मिशनों की तैयारी के लिए लद्दाख के त्सो कार में ‘मानव बाह्य ग्रह अन्वेषण (Human Outer Planet Exploration: HOPE)’ मिशन शुरू किया है।
होप मिशन की विशेषताएँ
- होप एक शोध केंद्र होगा जहाँ चयनित ‘चालक दल’ को बारी-बारी से ‘आइसोलेशन’ के तहत इस स्टेशन में रखा जाएगा।
- वे गहन अंतरिक्ष वातावरण जैसी परिस्थितियों में मानव अनुकूलनशीलता और लचीलेपन का आकलन करने के लिए व्यापक शारीरिक व मनोवैज्ञानिक अध्ययनों से गुजरेंगे।
- इन अध्ययनों से प्राप्त अंतर्दृष्टि पृथ्वी से परे निरंतर मानव उपस्थिति के लिए मज़बूत प्रोटोकॉल एवं तकनीकें विकसित करने में सहायक होगी।
उद्देश्य
- जीवन-रक्षक प्रणालियों, आवासों और गतिशीलता उपकरणों का परीक्षण
- चरम स्थितियों के प्रति मानव अनुकूलनशीलता का अध्ययन
- भारत के गगनयान और संभावित मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रमों के तहत भविष्य के चंद्रमा/मंगल मिशनों के लिए स्वदेशी तकनीक विकसित करना
लद्दाख के चयन का कारण
- लद्दाख की अत्यधिक ठंड, ऊँचाई, निम्न वायुमंडलीय दाब और चट्टानी भूभाग चंद्र एवं मंगल ग्रह के परिदृश्यों से काफी मिलते-जुलते हैं।
- ये खगोल जीव विज्ञान, रोबोटिक्स एवं जीवन-रक्षक प्रयोगों के लिए आदर्श परिस्थितियाँ निर्मित करते हैं।
होप की तरह अन्य देशों के मिशन
- मार्स डेजर्ट स्टेशन (अमेरिका)
- फ्लैशलाइन मार्स आर्कटिक रिसर्च स्टेशन (कनाडा)
- BIOS-3 अनुसंधान केंद्र (रूस)
अन्य तथ्य
- भारत ने वर्ष 2035 तक अपने भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन और वर्ष 2040 तक एक मानवयुक्त चंद्रमा मिशन की घोषणा की है।
- नासा ने वर्ष 2030 के दशक में मंगल ग्रह पर मानवयुक्त मिशन की संभावना का संकेत दिया है।