(प्रारंभिक परीक्षा: राष्ट्रीय घटनाक्रम) (मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2: शासन व्यवस्था, पारदर्शिता और जवाबदेही के महत्त्वपूर्ण पक्ष, पारदर्शिता एवं जवाबदेही और संस्थागत तथा अन्य उपाय) |
संदर्भ
युवा कार्य एवं खेल मंत्रालय ने भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) जैसी उच्च-स्तरीय संस्थाओं सहित खेल निकायों के प्रशासन में अधिक पारदर्शिता, जवाबदेही एवं नैतिक आचरण सुनिश्चित करने के लिए राष्ट्रीय खेल प्रशासन विधेयक, 2025 लोकसभा में प्रस्तुत किया।
विधेयक की मुख्य विशेषताएँ
राष्ट्रीय खेल बोर्ड का गठन
- एक राष्ट्रीय खेल बोर्ड (National Sport Board: NSB) की स्थापना की जाएगी, जिसके पास खेल संगठनों को मान्यता देने, निलंबित करने या पंजीकरण रद्द करने की शक्तियाँ होंगी।
- इसकी शक्तियों में ये भी शामिल हैं
- खिलाड़ियों के कल्याण, देश में खेलों के विकास या सार्वजनिक धन के दुरुपयोग से संबंधित मामलों की जाँच करना
- खेल निकायों द्वारा आचार संहिता के लिए दिशानिर्देश जारी करना, प्रशासनिक निकायों का गठन करना
- महिलाओं, नाबालिग एथलीटों और अन्य लोगों की सुरक्षा के लिए सुरक्षित खेल नीति तैयार करना
- राष्ट्रीय खेल चुनाव पैनल का रोस्टर बनाए रखना, जो राष्ट्रीय खेल निकायों की कार्यकारी समितियों और एथलीट समिति के स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनावों की देखरेख करेगा।
- इस बोर्ड के पास नियम बनाने और बी.सी.सी.आई. सहित सभी महासंघों के कामकाज की निगरानी करने के व्यापक अधिकार होंगे।
- एन.एस.बी. द्वारा मान्यता प्राप्त सभी खेल संगठनों को उनके कार्यों, कर्तव्यों एवं शक्तियों के प्रयोग के संबंध में सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 के अंतर्गत एक सार्वजनिक प्राधिकरण माना जाएगा।
- कोई भी खेल संगठन जो अपने पंजीकृत नाम, संचालन नाम, लोगो या अन्य किसी भी भाषा में ‘भारत’ या ‘भारतीय’ या ‘राष्ट्रीय’ शब्द या किसी भी राष्ट्रीय चिह्न या प्रतीकों का उपयोग करना चाहता है तो उसे केंद्र सरकार से अनापत्ति प्रमाण पत्र प्राप्त करना होगा।
राष्ट्रीय खेल न्यायाधिकरण की स्थापना
- विधेयक के अनुसार, विवादों के लिए पहला संपर्क बिंदु आंतरिक विवाद समाधान कक्ष है, जिसके बाद अपील के लिए न्यायाधिकरण है। यह अंतर्राष्ट्रीय खेल विवाद समाधान संरचनाओं के अनुरूप है।
- राष्ट्रीय खेल न्यायाधिकरण के पास खिलाड़ियों के चयन से लेकर महासंघों के चुनावों तक के विवादों का निपटारा करने के लिए एक सिविल न्यायालय के समान अधिकार होंगे।
- न्यायाधिकरण के निर्णयों के विरुद्ध अपील सर्वोच्च न्यायालय में की जा सकेगी।
- यह न्यायाधिकरण ओलंपिक खेलों, पैरालंपिक खेलों, राष्ट्रमंडल खेलों, एशियाई खेलों आदि जैसे अंतर्राष्ट्रीय महासंघों द्वारा आयोजित आयोजनों के दौरान विवादों पर निर्णय नहीं दे सकता है।
- इसके पास किसी राष्ट्रीय खेल निकाय की आंतरिक विवाद समाधान समिति, अन्य न्यायाधिकरणों, किसी अंतर्राष्ट्रीय महासंघ या खेल पंचाट न्यायालय द्वारा निपटाए गए मामलों पर भी अधिकार क्षेत्र नहीं है।
- यह डोपिंग से संबंधित विवादों और अंतर्राष्ट्रीय चार्टरों एवं विधियों के शामिल होने पर निर्णय नहीं दे सकता है।
चुनाव पैनल का गठन
- सेवानिवृत्त मुख्य/राज्य चुनाव आयुक्त और अन्य ऐसे निर्वाचन अधिकारियों से युक्त एक राष्ट्रीय खेल चुनाव पैनल का गठन किया जाएगा।
- प्रत्येक खेल संगठन अपनी चुनाव प्रक्रिया की देखरेख के लिए पैनल से एक निर्वाचन अधिकारी नियुक्त करेगा।
अनिवार्य पंजीकरण एवं अनुपालन
सभी राष्ट्रीय खेल महासंघों (NSF) एवं BCCI जैसे प्रमुख खेल निकायों को मान्यता और सरकारी सहायता के पात्र होने के लिए राष्ट्रीय खेल विकास संहिता (NSDC) के साथ पंजीकरण कराना होगा तथा प्रशासनिक मानदंडों का पालन करना होगा।
BCCI को सूचना के अधिकार अधिनियम के अंतर्गत शामिल करना
- विधेयक में भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) को सूचना के अधिकार अधिनियम (RTI) के अंतर्गत लाने का प्रस्ताव है।
- BCCI को राष्ट्रीय महत्त्व और सार्वजनिक संसाधनों से राजस्व सृजन के कारण एक ‘सार्वजनिक प्राधिकरण’ बताया गया है।
एथलीट प्रतिनिधित्व
खिलाड़ी-केंद्रित निर्णय लेने को सुनिश्चित करने के लिए राष्ट्रीय खेल महासंघों के शासी निकायों में पूर्व एथलीटों का 25% प्रतिनिधित्व अनिवार्य है।
कार्यकाल और आयु सीमाएँ
पदाधिकारियों के लिए कार्यकाल सीमाएँ और सेवानिवृत्ति आयु सीमाएँ लागू की गईं हैं ताकि लंबे कार्यकाल पर अंकुश लगाया जा सके और नेतृत्व परिवर्तन को बढ़ावा दिया जा सके।
पारदर्शिता और नैतिकता
वित्तीय जानकारी, डोपिंग रोधी अनुपालन, यौन उत्पीड़न नीतियों और आंतरिक शिकायत निवारण तंत्र का खुलासा अनिवार्य है।
राष्ट्रीय खेल प्रशासन विधेयक की आवश्यकता
- व्यापक राष्ट्रीय खेल नीति, 2007 के मसौदे में एक खेल नियामक की आवश्यकता का उल्लेख किया गया था।
- राष्ट्रीय खेल बोर्ड ने खेलों के लिए एक एकीकृत राष्ट्रीय ढाँचा स्थापित करने के उद्देश्य से सेबी के समान एक संस्था के निर्माण का प्रस्ताव रखा है।
- राष्ट्रीय खेल बोर्ड की स्थापना से खेलों में सरकार की नियामक क्षमता बढ़ेगी। इस संस्था के पास एक बजट होगा और यह कानूनी एवं लेखा परीक्षा विशेषज्ञता वाले विशेषज्ञ कर्मचारियों को नियुक्त कर सकेगी
- राष्ट्रीय खेल बोर्ड को एक वैधानिक सार्वजनिक संस्था के रूप में स्थापित करने से सार्वजनिक जाँच और पारदर्शिता बढ़ेगी।
संबंधित मुद्दे
स्वायत्तता बनाम विनियमन
बी.सी.सी.आई. सहित आलोचकों का तर्क है कि यह विधेयक अत्यधिक सरकारी नियंत्रण को बढ़ावा दे सकता है जिससे ओलंपिक चार्टर का उल्लंघन होता है जो खेल निकायों की स्वायत्तता को अनिवार्य करता है।
बी.सी.सी.आई. की विधिक स्थिति
बी.सी.सी.आई. का दावा है कि वह सरकारी निकाय नहीं है और उसे वित्तीय सहायता नहीं मिलती है जिससे आर.टी.आई. की प्रयोज्यता विवादास्पद हो जाती है।
केंद्रीकृत निगरानी
खेल संचालन में अति-केंद्रीकरण और नौकरशाही हस्तक्षेप का जोखिम संभावित रूप से नवाचार एवं स्वतंत्रता को बाधित कर सकता है।
सरकार का पक्ष
- युवा कार्य एवं खेल मंत्रालय का दावा है कि यह विधेयक सर्वोत्तम अंतर्राष्ट्रीय प्रथाओं के अनुरूप है।
- यह सुनिश्चित करता है कि जनहित और खिलाड़ियों के कल्याण को निजी हितों व अनियंत्रित शक्ति पर प्राथमिकता दी जाए।
निष्कर्ष
राष्ट्रीय खेल प्रशासन विधेयक, 2025 का उद्देश्य भारत में खेल प्रशासन का लोकतांत्रिकरण और पेशेवरीकरण करना है। हालाँकि, इसे निगरानी और स्वायत्तता के बीच एक नाज़ुक संतुलन बनाना होगा, ताकि संस्थागत स्वतंत्रता को बाधित किए बिना पारदर्शिता सुनिश्चित हो सके।