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सारागढ़ी की लड़ाई

(प्रारंभिक परीक्षा- भारत का इतिहास और भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 1 : 18वीं सदी के लगभग मध्य से लेकर वर्तमान समय तक का आधुनिक भारतीय इतिहास- महत्त्वपूर्ण घटनाएँ, व्यक्तित्व, विषय)

संदर्भ 

12 सितंबर को सारागढ़ी की लड़ाई की 124वीं वर्षगांठ थी। इस लड़ाई ने देश और विदेश की कई सेनाओं, पुस्तकों व फिल्मों को अत्यधिक प्रेरित किया है। 

सारागढ़ी का युद्ध

  • सारागढ़ी की लड़ाई को दुनिया के सैन्य इतिहास में सबसे बेहतरीन अंतिम प्रतिकार में से एक माना जाता है। 8,000 से अधिक अफरीदी और ओरकजई आदिवासियों के विरुद्ध लड़ते हुए मात्र इक्कीस सैनिक सात घंटे तक किले की सुरक्षा करने में सफल रहे थे।
  • हवलदार ईशर सिंह के नेतृत्व में सिख सैनिकों ने 200 आदिवासियों को मार डाला और 600 लड़ाकों को घायल कर दिया था। पंजाब के मुख्यमंत्री और सैन्य इतिहासकार कैप्टन अमरिंदर सिंह ने अपनी पुस्तक 'द 36th सिख इन द तिराह कैंपेन 1897-98 - सारागढ़ी एंड डिफेन्स ऑफ द समाना फोर्ट्स' में इन सैनिकों की वीरता का जिक्र किया है।

सारागढ़ी और इसका महत्व

  • सारागढ़ी, फोर्ट लॉकहार्ट (Fort Lockhart) और फोर्ट गुलिस्तान (Fort Gulistan) के बीच संचार/संपर्क टावर (मीनार) था। ये दो किले उत्तर-पश्चिम सीमा प्रांत में थे, जो अब पाकिस्तान में है। महाराजा रणजीत सिंह द्वारा निर्मित इन किलों का नाम अंग्रेजों ने बदल दिया था।
  • यद्यपि, सारागढ़ी में आमतौर पर 40 सैनिकों का एक दस्ता होता था किंतु उस दिन केवल 21 सिख सैनिक और ‘दाद’ (Daad) नामक एक गैर-लड़ाकू पश्तून था, जिसने सैनिकों के लिये असाधारण कार्य किया था।
  • सारागढ़ी ने उन दो महत्त्वपूर्ण किलों को जोड़ने में मदद की, जिनमें उत्तर-पश्चिम सीमा प्रांत के ऊबड़-खाबड़ इलाके में बड़ी संख्या में ब्रिटिश सैनिक थे। फोर्ट लॉकहार्ट में ब्रिटिश अधिकारियों के परिवार भी रहते थे।

संबंधित घटना 

  • 12 सितंबर, 1897 को सारागढ़ी के पहरेदार ने धूल की धुंध को देखकर लगभग 8,000 से 15,000 आदिवासी लड़ाकों के सारागढ़ी की तरफ बढ़ने का अनुमान लगाया और कमांडिंग ऑफिसर को मोर्स कोड (Morse code) के माध्यम से इसकी जानकारी दी।
  • ये आदिवासी संचार लाइनों को काटकर इन दोनों किलों को अलग-थलग करना चाहते थे। कमांडिंग ऑफिसर ने सहायता से इंकार करते हुए यथास्थिति बनाए रखने को कहा।
  • तत्पश्चात हवलदार इशार सिंह के नेतृत्व में सैनिकों ने आत्मसमर्पण न करते हुए उनका प्रतिकार करने का निर्णय लिया। इनके पास गोला-बारूद भी सीमित मात्रा में ही थे।
  • इतिहासकारों के अनुसार, हेलियोग्राफ संचार प्रणाली के द्वारा मोर्स कोड़ का प्रयोग करने के लिये सामान्यतया तीन पहरेदारों की आवश्यकता होती थी, जबकि उस दिन केवल एक ही पहरेदार उपस्थित था। हेलियोग्राफ संचार प्रणाली में सूर्य की किरणों और दर्पण का उपयोग करते हुए संदेश भेजने, आने वाले संदेश को दूरबीन से पढ़ने और उन्हें लिखने की आवश्यकता होती थी।

        सम्मान 

        • मरणोपरांत वीरता पदक न देने की परंपरा से अलग महारानी विक्टोरिया ने 21 मृत सैनिकों को इंडियन ऑर्डर ऑफ मेरिट (विक्टोरिया क्रॉस के समकक्ष) से सम्मानित किया।
        • वर्ष 2017 में पंजाब सरकार ने 12 सितंबर को सारागढ़ी दिवस मनाने का निर्णय लिया है। पाकिस्तानी सेना की खैबर स्काउट्स रेजिमेंट आज भी एक गार्ड लगाती है और सारागढ़ी स्मारक को सलामी देती है।
        • ब्रिटिश सरकार ने इन सैनिकों के सम्मान में स्मारक-स्तंभ और अमृतसर व फिरोजपुर में गुरुद्वारों की स्थापना की। अभिनेता अक्षय कुमार की फिल्म ‘केसरी’ इसी घटना पर आधारित है।
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