New
GS Foundation (P+M) - Delhi : 22nd August, 3:00 PM Independence Day Offer UPTO 75% Off, Valid Till : 15th Aug 2025 GS Foundation (P+M) - Prayagraj : 24th August, 5:30 PM Independence Day Offer UPTO 75% Off, Valid Till : 15th Aug 2025 GS Foundation (P+M) - Delhi : 22nd August, 3:00 PM GS Foundation (P+M) - Prayagraj : 24th August, 5:30 PM

आकाशीय बिजली की बढ़ती घटनाएँ 

(प्रारंभिक परीक्षा- सामान्य विज्ञान)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 1 : भूकंप, सुनामी, ज्वालामुखीय हलचल, चक्रवात आदि जैसी महत्त्वपूर्ण भू-भौतिकीय घटनाएँ)

संदर्भ 

हाल ही में, बिहार और राजस्थान में आकाशीय बिजली के कारण कई मौतें हो गई है। राजस्थान में आमेर का किला इसकी चपेट में आ गया। 

आकाशीय बिजली से होने वाली मौतें

  • भारत में हर साल औसतन 2,000-2,500 मौतें आकाशीय  बिजली गिरने से होती हैं। प्राकृतिक कारणों से होने वाली आकस्मिक मौतों का सबसे बड़ा कारण आकाशीय बिजली है। आकाशीय बिजली से होने वाली मौतों का रिकॉर्ड गैर-लाभकारी संगठन ‘क्लाइमेट रेजिलिएंट ऑब्ज़र्विंग सिस्टम्स प्रमोशन काउंसिल’ (CROPC) द्वारा तैयार किया जाता है।
  • इसके बावजूद आकाशीय बिजली देश में सबसे कम अध्ययन की जाने वाली वायुमंडलीय घटनाओं में से एक है। पुणे स्थित ‘इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ ट्रॉपिकल मैनेजमेंट’ में वैज्ञानिकों का सिर्फ एक समूह ही गरज और आकाशीय बिजली पर पूर्णकालिक कार्य करता है। वैज्ञानिकों के पास इस पर शोध करने के लिये पर्याप्त  डाटा नहीं है।
  • ‘इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ ट्रॉपिकल मैनेजमेंट’ के अनुसार, पिछले 20 वर्षों में, विशेषकर हिमालय की तलहटी के पास के क्षेत्रों में, बिजली गिरने की घटनाओं में वृद्धि हुई है।

आकाशीय बिजली

  • आकाशीय बिजली उच्च वोल्टेज और बहुत कम अवधि के लिये बादल और स्थल के बीच या बादल के भीतर प्राकृतिक रूप से विद्युत निस्सरण (Eelectrical Discharge) की प्रक्रिया है। इस प्रक्रिया में तीव्र प्रकाश, गरज, चमक और आवाज़ होती है।
  • ‘इंटर क्लाउड’ (अंतर मेघ) या ‘इंट्रा क्लाउड’ (अंतरा मेघ- IC) आकाशीय बिजली हानिरहित होती है, जबकि ‘क्लाउड टू ग्राउंड’ (CG: बादल से पृथ्वी तक आने वाली) आकाशीय बिजली 'हाई इलेक्ट्रिक वोल्टेज और इलेक्ट्रिक करंट' के कारण हानिकारक होती है।

आकाशीय बिजली की प्रक्रिया

  • आकाशीय बिजली लगभग 10 से 12 किमी. की ऊँचाई पर आर्द्रतायुक्त बादलों से पैदा होती है। आमतौर पर इन बादलों का निचला आधार पृथ्वी की सतह से 1 से 2 किमी. की ऊँचाई पर और ऊपरी शीर्ष 12 से 13 किमी. की ऊँचाई पर होता है। अधिकतम ऊँचाई पर तापमान -35 से -45 °C के मध्य होता है।
  • इन बादलों में जलवाष्प जैसे-जैसे ऊपर की ओर बढ़ती है, वैसे-वैसे तापमान कम होने के कारण यह संघनित होती जाती है। इस प्रक्रिया में उत्पन्न ऊष्मा जल के अणुओं को और ऊपर धकेल देती है।
  • जैसे ही ये अणु 00C के नीचे पहुँचते हैं, जल की बूंदें बर्फ के छोटे-छोटे क्रिस्टलों में बदल जाती हैं। जैसे-जैसे ये क्रिस्टल ऊपर की ओर जाते हैं, उनके द्रव्यमान में वृद्धि होती रहती है और एक समय के बाद अत्यधिक भारी होने के कारण वे नीचे गिरने लगते हैं।
  • इस प्रकार, एक ऐसी प्रणाली का निर्माण हो जाता है जहाँ बर्फ के छोटे क्रिस्टल ऊपर की ओर जबकि बड़े क्रिस्टल नीचे की ओर आने लगते हैं। परिणामस्वरूप इनके टक्कर से इलेक्ट्रॉन मुक्त होते हैं जो विद्युत चिंगारी (Electric Sparks) उत्पन्न होने जैसी ही प्रक्रिया है।
  • मुक्त हुए इलेक्ट्रॉनों की गति के कारण टक्कर की संख्या में वृद्धि हो जाती है। इस प्रक्रिया के परिणामस्वरूप ऐसी स्थिति उत्पन्न होती है, जिसमें बादल की शीर्ष परत धनात्मक जबकि मध्य परत ऋणात्मक रूप से आवेशित हो जाती है।
  • इससे इन दो परतों के बीच बहुत अधिक विभावंतर (Electrical Potential Difference) उत्पन्न हो जाता है और काफी कम समय में ही, दोनों परतों के बीच विद्युत धारा का अत्यधिक प्रवाह प्रारंभ हो जाता है। इससे ऊष्मा उत्पन्न होती है, जिससे बादल की दोनों परतों के बीच वायु स्तंभ गर्म हो जाता है। इन गर्म वायु स्तंभों के प्रसार से ‘शॉक वेव’ उत्पन्न होती है, जिसके परिणामस्वरूप मेघगर्जन और बिजली उत्पन्न होती है।
  • पृथ्वी बिजली की एक अच्छी संवाहक है परंतु वैद्युत रूप से उदासीन है। हालाँकि, बादल की मध्य परत की तुलना में यह धनात्मक रूप से आवेशित हो जाती है। परिणामस्वरूप, विद्युत धारा का प्रवाह पृथ्वी की ओर होने लगता है।
  • विदित है कि वेनेज़ुएला में माराकीबो (Maracaibo) झील के तट पर सबसे अधिक बिजली गिरने की घटनाएँ होती हैं।

समस्याएँ व सावधानियाँ 

  • सामान्यतः आकाशीय बिजली लोगों को सीधे प्रभावित नहीं करती, किंतु इसका प्रभाव घातक होता है। लोग प्राय: सबसे अधिक ‘ग्राउंड कर्रेंट्स’ से प्रभावित होते हैं। आकाशीय बिजली का निश्चित स्थान व समय पर पूर्वानुमान लगाना संभव नहीं है। 
  • यह विद्युत ऊर्जा पृथ्वी पर किसी बड़ी वस्तु (जैसे पेड़ आदि) से टकराने के बाद कुछ दूरी तक जमीन पर फैल जाती है और इससे लोगों को बिजली के झटके लगते हैं। जमीन गीली होने या धातु व अन्य संवाहक सामग्री होने पर ये और भी खतरनाक हो जाती है। कई लोग बाढ़ युक्त धान के खेतों में रहने के कारण आकाशीय बिजली के चपेट में आ जाते हैं।

सावधानियाँ-

  • किसी पेड़ के नीचे शरण नहीं लेना चाहिये।
  • जमीन पर सपाट लेटने से बचना चाहिये। 
  • इस दौरान लोगों को घर के अंदर रहना चाहिये किंतु बिजली की फिटिंग, तार, धातु और पानी को छूने से बचना चाहिये।
  • लाइटनिंग रेज़ीलियंट इंडिया अभियान में अत्यधिक भागीदारी के साथ-साथ आकाशीय बिजली के जोखिम प्रबंधन में अधिक व्यापकता की आवश्यकता है।
    • संबंधित पूर्वानुमान और चेतावनी संदेश मोबाइल पर सभी क्षेत्रों और सभी भाषाओं में उपलब्ध कराना चाहिये।
    • आकाशीय बिजली संरक्षण उपकरण (Lightning Protection Devices) स्थापित करने चाहिये।
    • आकाशीय बिजली गिरने की घटनाएँ एक निश्चित अवधि के दौरान और एक समान पैटर्न में लगभग समरूप भौगोलिक स्थानों में होती हैं। कालबैसाखी- नॉरवेस्टर्स (आकाशीय बिजली के साथ तड़ित झंझा) से पूर्वी भारत में मौतें होती हैं, जबकि प्री-मानसून में बिजली गिरने से होने वाली मौतें ज्यादातर बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़ और उत्तर प्रदेश में होती हैं।
    « »
    • SUN
    • MON
    • TUE
    • WED
    • THU
    • FRI
    • SAT
    Have any Query?

    Our support team will be happy to assist you!

    OR
    X