हाल ही में, केंद्रीय बंदरगाह, जहाजरानी एवं जलमार्ग मंत्री ने मुंबई में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय समुद्री नौवहन सहायता संगठन (IALA) की परिषद के तीसरे सत्र का वर्चुअल रूप से उद्घाटन किया।
अंतर्राष्ट्रीय समुद्री नौवहन सहायता संगठन के बारे में
- इसकी स्थापना 1957 में एक गैर-सरकारी संगठन (NGO) के रूप में हुई थी। वर्ष 2024 में 34 देशों द्वारा अनुमोदित एक सम्मेलन के आधार पर इसने आधिकारिक तौर पर अपनी स्थिति को गैर-सरकारी संगठन (NGO) से अंतर-सरकारी संगठन (IGO) में बदल दिया।
- इसका उद्देश्य वैश्विक समुद्री नौवहन प्रणालियों में सामंजस्य स्थापित करना, समुद्री सुरक्षा पहलों को बढ़ावा देना और समुद्री सुरक्षा एवं पर्यावरण संरक्षण में उभरती चुनौतियों से निपटने के लिए सदस्य देशों, अंतरराष्ट्रीय संगठनों व उद्योग के हितधारकों के साथ सहयोग करना है।
- इसका आदर्श वाक्य ‘सफल जलयात्राएँ, धारणीय ग्रह (Successful Voyages, Sustainable Planet)’ है। IALA परिषद समुद्री नौवहन सहायता के लिए जिम्मेदार अंतरसरकारी संगठन का प्रमुख निर्णयकारी निकाय है।
- इसमें 200 सदस्य हैं जिनमें से 80 राष्ट्रीय प्राधिकरण और 60 वाणिज्यिक फर्म हैं। भारत 1957 से इस संगठन का सदस्य है। इसका मुख्यालय फ्रांस में ‘सेंट-जर्मेन-एन-लाए’ है।
अंतर्राष्ट्रीय समुद्री नौवहन सहायता संगठन का उद्देश्य
- विश्व भर में नौवहन में सहायक उपकरणों में सुधार और सामंजस्य स्थापित करके तथा अन्य उपयुक्त साधनों के माध्यम से जहाजों की सुरक्षित, किफायती व कुशल आवाजाही को बढ़ावा देना
- नवीन गतिविधियों को प्रोत्साहित करना, समर्थन करना व उनका संचार करना; सदस्यों के बीच घनिष्ठ कार्य संबंधों और सहायता को बढ़ावा देकर अंतर्राष्ट्रीय सहयोग विकसित करना
- नेविगेशन में सहायता करने वाले उपकरणों का उपयोग करने वाले उपयोगकर्ताओं का प्रतिनिधित्व करने वाले संगठनों के साथ सूचनाओं के पारस्परिक आदान-प्रदान को बढ़ाना