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जनगणना में विलंब

प्रारंभिक परीक्षा – जनगणना
मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र 1, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र 2 – जनसंख्या एवं संबद्ध मुद्दे,  सरकारी नीतियों और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये हस्तक्षेप और उनके अभिकल्पन तथा कार्यान्वयन के कारण उत्पन्न विषय

सन्दर्भ 

  • भारत में अंतिम जनगणना 2011 में हुई थी, जिसके बाद अगली जनगणना 2021 में होनी थी, लेकिन कोविड महामारी के कारण इसका आयोजन निर्धारित समय पर नहीं किया जा सका है।

महत्वपूर्ण तथ्य 

  • जनगणना देश की आबादी के आकार, वितरण और सामाजिक-आर्थिक, जनसांख्यिकीय सम्बन्धी तथा अन्य विशेषताओं के बारे में जानकारी प्रदान करती है।
  • भारत में जनगणना का संचालन गृह मंत्रालय के अंतर्गत महारजिस्ट्रार एवं जनगणना आयुक्त कार्यालय द्वारा जनगणना अधिनियम, 1948 के प्रावधानों के अंतर्गत किया जाता है।
  • मार्च 2020 में जब कोविड महामारी को रोकने के लिए प्रतिबंध लगाए गए थे, तब देश के कई राज्यों में हाउस-लिस्टिंग ऑपरेशन शुरू होने वाले थे। 
  • कोविड महामारी के कारण हाउस-लिस्टिंग और इसके परिणामस्वरूप, जनसंख्या गणना चरण को स्थगित कर दिया गया।
  • जनगणना अधिनियम, 1948 जनगणना से संबंधित कई गतिविधियों के लिए इसकी आवधिकता के बारे में कुछ भी उल्लेख किए बिना कानूनी पृष्ठभूमि प्रदान करता है। 
    • इसके अनुसार, केंद्र सरकार जब भी वह ऐसा करना आवश्यक या वांछनीय समझे, जनगणना करने के अपने उद्देश्य की घोषणा कर सकती है जिसके बाद जनगणना की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।
  • जनगणना के आंकड़ों का उपयोग संसद, राज्य विधानसभाओं, स्थानीय निकायों के चुनावों और सरकारी सेवाओं में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित सीटों की संख्या निर्धारित करने के लिए किया जाता है। 
    • पंचायतों और नगर निकायों के मामले में, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए सीटों का आरक्षण जनसंख्या में उनके अनुपात पर आधारित है। 
  • जनगणना में बिलम्ब का अर्थ है, कि 2011 की जनगणना के डेटा का प्रयोग जारी रहेगा तथा कई कस्बों और पंचायतों में, जहां पिछले दशक में उनकी आबादी की संरचना में तेजी से बदलाव देखा गया है, या तो बहुत अधिक या बहुत कम सीटें आरक्षित की जाती रहेंगी।

ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

  • भारत में जनगणना के प्रारंभिक साक्ष्य 800-600 ईसा पूर्व ऋग्वेद से प्राप्त होते हैं। 
  • चाणक्य द्वारा तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व में लिखे गये अर्थशास्त्र के अनुसार  राज्य द्वारा कराधान के लिए नीति बनाने के लिए एक सन्दर्भ के रूप में जनसंख्या के आँकड़ों का प्रयोग किया जाता था।
  • अकबर के शासन काल के प्रशासनिक दस्तावेज आइने अकबरी में जनसंख्या, उद्योग, सम्पदा और अन्य कई विशेषताओं से संबंधित आँकड़े शामिल थे।
  • भारत में पहली जनगणना वायसराय लॉर्ड मेयो द्वारा 1872 में कराई गयी थी।
  • भारत की पहली समकालिक जनगणना 1881 में की गयी थी, जिसके बाद से प्रत्येक 10 वर्ष बाद जनगणना का आयोजन किया जाता है।

सामाजिक-आर्थिक और जातिगत जनगणना (SECC)

  • भारत में सामाजिक-आर्थिक और जातिगत जनगणना (SECC) का आयोजन 1931 के बाद पहली बार 2011 में किया गया।
    • साल 1931 तक भारत में जातिगत जनगणना होती थी, 1941 में जनगणना के समय जाति आधारित डेटा एकत्रित किया गया था, लेकिन उसका प्रकाशन नहीं किया गया।
    • वर्ष 1951 से 2011 तक की जनगणना में प्रत्येक बार अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति का डेटा एकत्रित किया गया तथा ओबीसी और दूसरी जातियों का नहीं।
  • SECC के अंतर्गत प्रत्येक भारतीय परिवार की सामाजिक-आर्थिक स्थिति तथा उनके जाति समूह के बारे में जानने का प्रयास किया जाता है। 

SECC तथा जनगणना में अंतर 

  • जनगणना भारतीय जनसंख्या का एक चित्र प्रदान करती है, जबकि SECC राज्य सहायता के लाभार्थियों की पहचान करने का एक उपकरण है।
  • जनगणना 1948 के जनगणना अधिनियम के अंतर्गत आती है, इसलिए सभी डेटा को गोपनीय माना जाता है, जबकि SECC में दी गई सभी व्यक्तिगत जानकारी सरकारी विभागों द्वारा परिवारों को लाभ प्रदान करने के लिए प्रयोग की जाती है।

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