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परमाणु ऊर्जा मिशन (Nuclear Energy Mission) : भारत की ऊर्जा आत्मनिर्भरता की दिशा में ऐतिहासिक पहल

 GS paper -III:  Energy and Environment

केंद्रीय बजट 2025-26 में भारत सरकार ने एक महत्वाकांक्षी “परमाणु ऊर्जा मिशन” (Nuclear Energy Mission) की घोषणा की। इसका उद्देश्य है — 2047 तक 100 गीगावाट (GW) परमाणु विद्युत क्षमता प्राप्त करना।
यह मिशन भारत की दीर्घकालिक ऊर्जा परिवर्तन रणनीति (Energy Transition Strategy) और “विकसित भारत @2047” दृष्टिकोण का अभिन्न हिस्सा है।

वर्तमान स्थिति और लक्ष्य

घटक

स्थिति / लक्ष्य

वर्तमान स्थापित क्षमता (2025)

8.18 GW (22 परमाणु रिएक्टरों से)

2031-32 तक लक्ष्य

22.48 GW

2047 तक दीर्घकालिक लक्ष्य

100 GW

मुख्य एजेंसियाँ

भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (BARC), NPCIL, DAE

मुख्य प्रौद्योगिकी फोकस

BSRs (Bharat Small Reactors) और SMRs (Small Modular Reactors)

मिशन की मुख्य विशेषताएँ

  1. स्मॉल मॉड्यूलर रिएक्टर (SMR) पहल:
    • SMR ≤ 300 MW क्षमता वाले नवीनतम रिएक्टर हैं, जिन्हें सुरक्षित, लचीला और त्वरित-स्थापना योग्य बनाया गया है।
    • BARC का लक्ष्य है कि 2033 तक कम से कम पाँच SMRs चालू हों।
  2. भारत स्मॉल रिएक्टर (BSRs):
    • 220 MW क्षमता वाले कॉम्पैक्ट प्रेसराइज्ड हेवी वॉटर रिएक्टर (PHWR), पूरी तरह स्वदेशी डिज़ाइन पर आधारित।
    • इन्हें कैप्टिव उपयोग (औद्योगिक परिसर या बंद कोयला संयंत्रों के पुनःउपयोग हेतु) के लिए विकसित किया जा रहा है।
  3. निजी क्षेत्र की भागीदारी:
    • सरकार परमाणु ऊर्जा अधिनियम, 1962 एवं सिविल दायित्व अधिनियम, 2010 में संशोधन कर निजी निवेश को प्रोत्साहन दे रही है।
    • उद्देश्य है — निवेश, अनुसंधान व परियोजना निष्पादन में सार्वजनिक-निजी साझेदारी (PPP) मॉडल लागू करना।
  4. स्वदेशी प्रौद्योगिकी और अनुसंधान:
    • भारत थोरियम-आधारित ईंधन चक्र में विश्व अग्रणी बनने की क्षमता रखता है।
    • BARC और NPCIL मिलकर Advanced Heavy Water Reactor (AHWR) एवं Fast Breeder Reactors पर कार्य कर रहे हैं।

भारत के लिए परमाणु ऊर्जा का महत्व

  1. निरंतर और स्थिर ऊर्जा आपूर्ति:
    • सौर और पवन जैसी नवीकरणीय ऊर्जा अस्थिर होती हैं, जबकि परमाणु ऊर्जा 24×7 बेस-लोड सप्लाई देती है।
  2. कम भूमि उपयोग:
    • आर्थिक सर्वेक्षण 2023 के अनुसार, सौर ऊर्जा संयंत्रों को समान मात्रा में बिजली उत्पादन हेतु परमाणु संयंत्रों की तुलना में लगभग 300 गुना अधिक भूमि चाहिए।
  3. कम कार्बन उत्सर्जन और अपशिष्ट:
    • परमाणु ऊर्जा में उत्सर्जन लगभग शून्य है तथा ठोस अपशिष्ट सीमित मात्रा में उत्पन्न होता है।
  4. थोरियम भंडार का लाभ:
    • भारत के पास विश्व का लगभग 25% थोरियम भंडार है, जो दीर्घकालिक ऊर्जा सुरक्षा की कुंजी है।
  5. ऊर्जा आत्मनिर्भरता और नेट-ज़ीरो लक्ष्य:
    • स्वदेशी रिएक्टरों और ईंधन-प्रसंस्करण तकनीक के माध्यम से भारत जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता घटा सकता है।

प्रमुख चुनौतियाँ

  1. जन-सुरक्षा और सामाजिक स्वीकृति:
    • चर्नोबिल व फुकुशिमा जैसी घटनाओं के कारण जन-मानस में भय; सुरक्षा-संचार तंत्र की आवश्यकता।
  2. यूरेनियम व खनिज निर्भरता:
    • भारत के पास सीमित यूरेनियम भंडार; आयात पर निर्भरता बनी हुई।
    • सल्फ्यूरिक एसिड की कमी यूरेनियम निष्कर्षण में बाधक है।
  3. प्रौद्योगिकी एकाधिकार:
    • अत्याधुनिक रिएक्टर प्रौद्योगिकी पर अमेरिका, रूस, जापान व फ्रांस का प्रभुत्व।
  4. वित्तीय और नियामकीय जटिलताएँ:
    • परमाणु संयंत्रों की लागत अत्यधिक; परियोजनाएँ दीर्घकालिक।
    • लाइसेंसिंग और पर्यावरणीय स्वीकृति की प्रक्रिया जटिल।
  5. ईंधन-आपूर्ति श्रृंखला पर निर्भरता:
    • परमाणु ईंधन का अंतरराष्ट्रीय नियंत्रण (Nuclear Suppliers Group – NSG) के कारण आपूर्ति-अनिश्चितता।

आगे की राह

  1. विनियामक ढाँचे का सरलीकरण:
    • SMRs के लिए मानकीकृत लाइसेंसिंग, सुरक्षा और अपशिष्ट प्रबंधन नियम बनाए जाएँ।
  2. ग्रीन फाइनेंस और टैक्सोनॉमी:
    1. परमाणु ऊर्जा को ग्रीन टैक्सोनॉमी में शामिल कर कम-लागत वित्तीय सहायता उपलब्ध कराना।
  3. अंतरराष्ट्रीय सहयोग और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण:
    • IAEA के सहयोग से सुरक्षा-मानदंड और तकनीकी परीक्षण सुनिश्चित करना।
    • फ्रांस, रूस, यूएसए, जापान आदि देशों के साथ संयुक्त अनुसंधान को बढ़ावा देना।
  4. थोरियम आधारित तीसरे चरण को गति देना:
    • Advanced Heavy Water Reactor (AHWR)Fast Breeder Reactor परियोजनाओं को प्राथमिकता दी जाए।
  5. जन-भागीदारी और पारदर्शिता:
    • स्थानीय समुदायों के साथ परामर्श, सुरक्षा प्रशिक्षण और लाभ-साझेदारी मॉडल अपनाना।

निष्कर्ष

  • भारत के पास विश्व-स्तरीय वैज्ञानिक संस्थान, विशाल थोरियम भंडार और सुदृढ़ नीतिगत दृष्टि मौजूद है।
  • परमाणु ऊर्जा मिशन इन संसाधनों को एकीकृत कर भारत को “ऊर्जा आत्मनिर्भर” और “नेट-ज़ीरो उत्सर्जन राष्ट्र” बनाने का मार्ग प्रशस्त करता है।
  • यदि सरकार नियामक सुधार, वित्तीय नवाचार और स्वदेशी तकनीकी विकास को संतुलित रूप से लागू करे,तो भारत 2047 तक न केवल 100 GW परमाणु क्षमता प्राप्त कर सकेगा,बल्कि विश्व-स्तर पर सुरक्षित, स्वच्छ और स्थायी ऊर्जा उत्पादन में नेतृत्वकारी भूमिका निभाएगा।
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