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प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना: कृषक राहत कवर में वृद्धि

(प्रारंभिक परीक्षा: समसामयिक घटनाक्रम)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3: प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष कृषि सहायता तथा न्यूनतम समर्थन मूल्य से संबंधित विषय)

संदर्भ 

केंद्र सरकार ने किसानों को बड़ी राहत देते हुए प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) के अंतर्गत जंगली जानवरों के हमलों और बाढ़-प्रवण क्षेत्रों में पड्डी (धान) फसल डूबने से होने वाली क्षति को कवर करने के लिए नए प्रावधान जारी किए हैं। ये प्रावधान खरीफ 2026 से देशभर में लागू होंगे।

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) के बारे में

  • इसकी शुरुआत वर्ष 2016 में किसानों को प्राकृतिक आपदाओं, कीटों, बीमारियों एवं मौसम संबंधी जोखिमों से सुरक्षा देने के लिए की गई थी।
  • इस तकनीक-आधारित, पारदर्शी व किसान-हितैषी फसल बीमा मॉडल का उद्देश्य किसानों की आय सुरक्षा एवं कृषि जोखिम प्रबंधन को मजबूत बनाना है।

मुख्य विशेषताएँ

  • PMFBY कम प्रीमियम पर व्यापक फसल बीमा कवरेज प्रदान करती है।
  • बीमा दावों के आकलन में ड्रोन, सैटेलाइट, मोबाइल ऐप जैसी आधुनिक तकनीकों का प्रयोग किया जाता है।
  • राज्यों व केंद्र सरकार द्वारा प्रीमियम का बड़ा हिस्सा वहन किया जाता है।
  • स्थानीयकृत आपदाओं, पोस्ट-हार्वेस्ट नुकसान और व्यापक प्राकृतिक आपदाओं को कवर किया जाता है।
  • योजना का उद्देश्य किसानों को फसल जोखिम से मुक्त कर कृषि निवेश और उत्पादन बढ़ाना है।

फसल हानि के लिए नए प्रावधान

  1. जंगली जानवरों के हमले को पाँचवाँ ऐड-ऑन कवर: अब जंगली हाथी, नीलगाय, जंगली सूअर, हिरण, बंदर आदि के हमले से हुई फसल हानि भी बीमा के अंतर्गत आएगी। राज्यों को ऐसे जानवरों की सूची जारी करनी होगी और ऐतिहासिक डेटा के आधार पर संवेदनशील जिलों/बीमा इकाइयों की पहचान करनी होगी।
  2. पड्डी (धान) नुकसान पुन: शामिल: वर्ष 2018 में नैतिक जोखिम एवं मूल्यांकन की कठिनाइयों के कारण इसे हटाया गया था। बाढ़-प्रवण और तटीय राज्यों में धान फसल के बार-बार डूबने की समस्या को देखते हुए इसे दोबारा ‘स्थानीयीकृत आपदा’ श्रेणी में शामिल किया गया है।
  3. तकनीक-आधारित दावा प्रक्रिया: किसानों को फसल नुकसान की सूचना 72 घंटे के भीतर ‘क्रॉप इंश्योरेंस ऐप’ पर जियोटैग्ड तस्वीरें अपलोड करके देनी होगी। दावों का आकलन वैज्ञानिक, पारदर्शी और समयबद्ध तरीके से किया जाएगा।

लाभ

  • जंगली जानवरों से प्रभावित किसानों (विशेषकर वन क्षेत्रों, पहाड़ी इलाकों व वाइल्डलाइफ कॉरिडोर में रहने वाले) को पहली बार सीधी बीमा सुरक्षा मिलेगी।
  • धान उगाने वाले बाढ़-प्रभावित राज्यों के किसानों को बड़ा सहारा मिलेगा।
  • PMFBY और अधिक समावेशी, लचीला एवं किसान-अनुकूल बनेगा।
  • तकनीक-आधारित त्वरित निपटान से किसानों का भरोसा बढ़ेगा।
  • कृषि जोखिम प्रबंधन मजबूत होगा और किसानों की आजीविका स्थिर होगी।

चुनौतियाँ

  • जंगली जानवरों के नुकसान का सटीक व त्वरित आकलन करना कई बार कठिन होता है।
  • दूर-दराज क्षेत्रों में मोबाइल नेटवर्क व तकनीक की कमी रिपोर्टिंग प्रक्रिया को प्रभावित कर सकती है।
  • फसल नुकसान के मूल्यांकन में भौगोलिक विविधता एक चुनौती बन सकती है।
  • राज्यों पर प्रशासनिक बोझ, विशेषकर निगरानी, सत्यापन एवं सूचना प्रबंधन में बढ़ेगा।

आगे की राह

  • राज्यों को स्थानीय परिस्थितियों के अनुसार प्रभावी मॉनिटरिंग सिस्टम विकसित करना होगा।
  • ड्रोन, सैटेलाइट, AI-आधारित फसल आकलन तकनीकों को अधिक मजबूत तरीके से जोड़ना होगा।
  • किसानों को रिपोर्टिंग प्रक्रिया में प्रशिक्षित व जागरूक करना आवश्यक होगा।
  • केंद्र-राज्य समन्वय और पारदर्शिता को बढ़ाने से बीमा दावों का भुगतान तेज व विश्वसनीय होगा। 
  • इस योजना को निरंतर अपडेट कर उभरते कृषि जोखिमों, जैसे- जलवायु परिवर्तन, वन्यजीव संघर्ष एवं चरम मौसम घटनाओं का समाधान सुनिश्चित किया जा सकता है।
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