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गैर-प्राकृतिक कारणों से होने वाली हाथियों की मौतें 

(प्रारंभिक परीक्षा- राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र-1 : वनस्पति एवं प्राणिजगत में परिवर्तन और इस प्रकार के परिवर्तनों के प्रभाव)

संदर्भ

पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने वर्ष 2010-20 के दशक के दौरान गैर-प्राकृतिक कारणों से होने वाली हाथियों की मौत सम्बंधी आँकड़ा प्रस्तुत किया है।

मौत के प्रमुख कारण

  • पिछले 10 वर्षों में 31 दिसंबर, 2020 तक प्राकृतिक कारणों के अतिरिक्त अन्य कारणों से देश में 1,160 हाथियों की मौत हुई है। सर्वाधिक मौतें विद्युत करेंट से हुई है, जबकि ट्रेन की चपेट में आने और अवैध शिकार मौत के अन्य प्रमुख कारण रहे है। 
  • विद्युत करेंट के कारण होने वाली मौतों में कर्नाटक और ओडिशा पहले स्थान पर हैं, जबकि असम दूसरे स्थान पर है। ट्रेन के कारण होने वाली मौतों में असम पहले स्थान पर है। 
  • पिछले 10 वर्षों में अवैध शिकार के कारण कुल 169 हाथियों की मौत हुई है, जिसमें ओडिशा प्रथम और केरल दूसरे स्थान पर है। हाथियों को जहर देने की सर्वाधिक घटना असम में हुई। 

भारत में हाथियों की संख्या 

  • वर्ष 2017 के एक आकलन के अनुसार भारत में जंगली हाथियों की कुल संख्या 29,964 थी। सर्वाधिक हाथी दक्षिणी भारत में पाए जाते हैं, जिसमें तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक, अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह, आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र शामिल हैं। हाथियों की  संख्या के मामले में उत्तर-पूर्व क्षेत्र दूसरे स्थान पर है। 
  • सर्वाधिक हाथी कर्नाटक में पाए जाते है, जबकि इस मामले में असम व केरल क्रमशः दूसरे और तीसरे स्थान पर हैं।  

प्रोजेक्ट एलीफैंट 

  • केंद्र प्रायोजित 'प्रोजेक्ट एलीफैंट' योजना को वर्ष 1992 में प्रारंभ किया गया था। इसके तहत प्रमुख हाथी राज्यों को वित्तीय और तकनीकी सहायता प्रदान की जाती है। 
  • इसका प्रमुख उद्देश्य निम्नलिखित है- 
    • मानव-हाथी संघर्ष जैसे मुद्दों को संबोधित करना
    • पालतू/बंदी हाथियों (जैसे चिड़ियाघर, अभयारण्य, सर्कस या शिविर में रखे गए) का कल्याण 
    • हाथी, उनके आवास और गलियारों की रक्षा 
    • हाथियों को उनके दांतों से होने वाले नुकसान को कम करना 

हाथियों के संरक्षण के अन्य उपाय  

  • विदित है कि मंत्रालय ने अक्टूबर 2017 में मानव-हाथी संघर्ष के प्रबंधन के लिये दिशानिर्देश जारी किये थे। 
  • मानव-हाथी संघर्ष को कम करने और मानव द्वारा जंगली हाथियों की मौत को रोकने के लिये स्थानीय समुदायों को हाथियों के कारण होने वाले संपत्ति और जीवन के नुकसान के लिये मुआवजा प्रदान किया जाता है।
  • ट्रेन के कारण होने वाली हाथियों की मौत को रोकने के लिये रेल मंत्रालय और पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के बीच एक स्थायी समन्वय समिति का गठन किया गया है।
  • हाथियों के संरक्षण के साथ-साथ संघर्ष को कम करने के लिये हाथियों के महत्वपूर्ण आवासों को 'हाथी रिजर्व' के रूप में अधिसूचित किया गया है। इसके लिये प्रमुख हाथी राज्यों में लगभग 30 हाथी अभ्यारण्य स्थापित किये गए हैं।
  • वास्तविक समय पर जानकारी के संग्रह और सही समय पर मानव-हाथी टकरावों से निपटने के लिये सुरक्ष्यानामक राष्ट्रीय पोर्टल आंकड़ा संग्रह प्रोटोकॉल, डाटा ट्रांसमिशन पाइपलाइन और डाटा विज़ुअलाइज़ेशन टूल सेट करने में मदद करता है।
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