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वैश्विक लैंगिक अंतराल रिपोर्ट, 2025

(प्रारंभिक परीक्षा: रिपोर्ट एवं सूचकांक)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2 व 3: स्वास्थ्य, शिक्षा, मानव संसाधनों से संबंधित सामाजिक क्षेत्र/सेवाओं के विकास और प्रबंधन से संबंधित विषय, समावेशी विकास तथा इससे उत्पन्न विषय)

रिपोर्ट के बारे में

  • जारीकर्ता : विश्व आर्थिक मंच (WEF)
  • वैश्विक लैंगिक अंतराल सूचकांक : यह रिपोर्ट वैश्विक लैंगिक अंतराल सूचकांक द्वारा प्रतिवर्ष चार प्रमुख आयामों (उप-सूचकांक) में लैंगिक समानता की वर्तमान स्थिति एवं विकास को मापता है: 
  1. आर्थिक भागीदारी एवं अवसर
  2. शैक्षणिक प्राप्ति
  3. स्वास्थ्य एवं उत्तरजीविता
  4. राजनीतिक सशक्तिकरण
  • इस सूचकांक का प्रारंभ वर्ष 2006 में किया गया था।
  • वर्ष 2025 में इस सूचकांक का 19वां संस्करण 148 अर्थव्यवस्थाओं में लैंगिक समानता को मापता है जो दुनिया की दो-तिहाई अर्थव्यवस्थाओं में लैंगिक समानता के विकास के विश्लेषण के लिए एक आधार प्रदान करता है। 
  • यह सूचकांक 100 अर्थव्यवस्थाओं के एक उपसमूह की जाँच करता है। 
  • वैश्विक लैंगिक अंतराल सूचकांक 0-1 के पैमाने पर स्कोर को मापता है और स्कोर की व्याख्या समानता की ओर तय की गई दूरी के रूप में की जा सकती है । 

Global-gender-gap

रिपोर्ट के प्रमुख निष्कर्ष 

भारत की स्थिति

  • वैश्विक लैंगिक अंतराल सूचकांक, 2025 में भारत को 148 देशों में से 131वां स्थान प्राप्त हुआ है जिसका कुल लैंगिक समानता स्कोर 64.4% है। यह वर्ष 2024 से तुलनात्मक रूप से कम है जब भारत 146 देशों में से 129वें स्थान पर था। 
  • इसका श्रेय ‘अन्य अर्थव्यवस्थाओं के प्रदर्शन’ को दिया गया है जबकि भारतीय अर्थव्यवस्था के समग्र प्रदर्शन में निरपेक्ष रूप से +0.3 अंकों का सुधार हुआ है।
  • जहाँ तक ‘राजनीतिक सशक्तीकरण’ का सवाल है, भारत में पिछले संस्करण की तुलना में समता में मामूली गिरावट (-0.6 अंक) दर्ज की गई है।
  • संसद में महिलाओं का प्रतिनिधित्व वर्ष 2025 में 14.7% से घटकर 13.8% हो गया है जिससे लगातार दूसरे वर्ष संकेतक स्कोर 2023 के स्तर से नीचे चला गया है। 
  • मंत्रिस्तरीय भूमिकाओं में महिलाओं की हिस्सेदारी 6.5% से घटकर 5.6% हो गई है जिससे संकेतक स्कोर (5.9%) वर्ष 2019 में अपने उच्चतम स्तर 30% से इस वर्ष और दूर चला गया है।

वैश्विक स्थिति

  • वैश्विक स्तर पर अभी तक किसी भी अर्थव्यवस्था ने पूर्ण लैंगिक समानता हासिल नहीं की है। 
  • सूचकांक में शामिल सभी 148 अर्थव्यवस्थाओं के लिए वर्ष 2025 में वैश्विक लैंगिक अंतराल स्कोर 68.8% तक पहुँच गया है।
  • मौजूदा दरों के आधार पर पूर्ण समानता कायम करने में 123 वर्ष लग जाएंगे।
  • आइसलैंड (92.6%) लगातार 16 वर्षों से सूचकांक में शीर्ष स्थान पर बना हुआ है और वर्ष 2022 से 90% से अधिक लैंगिक अंतराल को कम करने वाली एकमात्र अर्थव्यवस्था बना हुआ है।
  • भारत का पड़ोसी बांग्लादेश 24 वें स्थान पर है। इसके अतिरिक्त चीन 103वें, भूटान 119वें, नेपाल 125वें, श्रीलंका 130वें एवं पाकिस्तान 148वें स्थान पर है।
  • वर्ष 2006 और 2025 दोनों संस्करणों में शामिल अधिकांश अर्थव्यवस्थाओं के लिए जन्म के समय लिंगानुपात काफी हद तक अपरिवर्तित रहा है।
  • अल्बानिया एवं जॉर्जिया में अनुपात में क्रमशः 0.02 व 0.08 की मामूली वृद्धि हुई।
  • इसी अवधि में सर्वाधिक कमी भारत (-0.01) व फिलीपींस (-0.02) में देखी गई है।
  • वैश्विक स्तर पर दूसरा सबसे बड़ा अंतराल आर्थिक भागीदारी एवं अवसर है।
  • वर्ष 2025 संस्करण में शामिल 148 अर्थव्यवस्थाओं में इस उप-सूचकांक का स्कोर सूडान में 31.3% से लेकर बोत्सवाना में 87.3% तक है।
  • इस आयाम में भारत में समानता में वृद्धि हुई है जहाँ इसके स्कोर में 0.9% अंकों का सुधार हुआ है।
  • हालांकि, यह इस उप-सूचकांक के सबसे निचले पांच देशों में आता है- सूडान, पाकिस्तान, ईरान (34.9%), मिस्र (40.6%) एवं भारत (40.7%)

भारत की विभिन्न संकेतकों में स्थिति

  • इस रिपोर्ट से पता चलता है कि भारत में अनुमानित अर्जित आय में समानता 28.6% से बढ़कर 29.9% हो गई है।
  • रिपोर्ट में कहा गया है कि श्रम-बल भागीदारी दर में स्कोर वही (45.9%) बना हुआ है जो भारत के अब तक के उच्चतम स्तर को दोहराता है।
  • शैक्षिक प्राप्ति के संदर्भ में भारत का स्कोर 97.1% है जो साक्षरता एवं उच्च शिक्षा नामांकन में महिलाओं की हिस्सेदारी में सकारात्मक बदलाव को दर्शाता है। इसके परिणामस्वरूप समग्र रूप से उपसूचकांक के स्कोर में सकारात्मक सुधार हुआ है।
  • भारत ने स्वास्थ्य एवं जीवन रक्षा में भी उच्च समानता दर्ज की है जो जन्म के समय लिंगानुपात एवं स्वस्थ जीवन प्रत्याशा में बेहतर स्कोर के कारण संभव हुआ।
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