(प्रारंभिक परीक्षा: महत्त्वपूर्ण रिपोर्ट एवं सूचकांक) (मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2: महत्त्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय संस्थान, संस्थाएँ और मंच- उनकी संरचना, अधिदेश) |
- जारीकर्ता : संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी उच्चायुक्त (UNHCR)
- यह वैश्विक संगठन शरणार्थियों, जबरन विस्थापित समुदायों और राज्यविहीन लोगों के जीवन को बचाने व उनके अधिकारों की सुरक्षा के लिए समर्पित है।
- शीर्षक : ‘फोर्स्ड डिस्प्लेसमेंट इन 2024 (Forced Displacement in 2024)’

रिपोर्ट के प्रमुख निष्कर्ष
विस्थापित लोगों की संख्या में वृद्धि
- रिपोर्ट के अनुसार, अप्रैल 2025 के अंत तक दुनिया भर में जबरन विस्थापित लोगों की संख्या 122.1 मिलियन होने का अनुमान है।
- यह पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 2.1 मिलियन की वृद्धि है।
- वर्ष 2024 के अंत तक दुनिया भर में रिकॉर्ड 123.2 मिलियन लोग जबरन अपने घरों से विस्थापित हो गए, जो वैश्विक आबादी का 67% है।
विस्थापन के कारण
- विस्थापन के मुख्य कारण सूडान, म्यांमार एवं यूक्रेन जैसे बड़े संघर्ष हैं।
- सूडान सर्वाधिक जबरन विस्थापित लोगों वाला देश बन गया है जहाँ 14.3 मिलियन शरणार्थी तथा ऐसे लोग हैं जिन्हें उनके घरों से निकाल दिया गया था किंतु वे देश में ही रह गए।
- सीरिया में अभी भी 13.5 मिलियन लोग जबरन विस्थापित हैं। इसके बाद अफगानिस्तान (10.3 मिलियन) और यूक्रेन (8.8 मिलियन) का स्थान है।

आतंरिक विस्थापन में वृद्धि
आंतरिक रूप से विस्थापित लोगों (IDP) की संख्या में 6.3 मिलियन की तीव्र वृद्धि हुई, जो वर्ष 2024 के अंत तक 73.5 मिलियन तक पहुँच गई। इसका अर्थ है कि अपने घरों से भागने के लिए मजबूर होने वाले 60% लोग कभी अपना देश नहीं छोड़ेंगे।
शरणार्थी प्रवास
- रिपोर्ट में पाया गया है कि 67% शरणार्थी पड़ोसी देशों में निवास करते हैं जिनमें से तीन-चौथाई शरणार्थियों को निम्न एवं मध्यम आय वाले देशों द्वारा लिया जाता है।
- वर्तमान में सबसे बड़ी शरणार्थी आबादी ईरान (3.5 मिलियन), तुर्की (2.9 मिलियन), कोलंबिया (2.8 मिलियन), जर्मनी (2.7 मिलियन) एवं युगांडा (1.8 मिलियन) में है।
विस्थापितों की घर वापसी
- वर्ष 2024 में कुल 9.8 मिलियन जबरन विस्थापित लोग घर लौट आए, जिनमें 1.6 मिलियन शरणार्थी शामिल हैं।
- हालाँकि, लौटने वाले कई लोग ऐसे देशों में चले गए हैं जो अभी भी राजनीतिक रूप से अस्थिर हैं या अत्यधिक असुरक्षित हैं, जैसे कि अफगान, जिन्हें वर्ष 2024 में घर लौटने के लिए मजबूर किया गया था।
- कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य, म्यांमार एवं दक्षिण सूडान जैसे देशों में बड़े पैमाने पर जबरन विस्थापन देखा गया, जबकि कुछ शरणार्थी एवं आंतरिक रूप से विस्थापित लोग अपने घर लौट गए।

धन की कमी
- दुनिया भर में शरणार्थियों की बढ़ती संख्या के बावजूद यू.एन.एच.सी.आर. को इस मौजूदा संकट से निपटने के लिए आवश्यक धन जुटाने में कठिनाई हो रही है।
- यू.एन.एच.सी.आर. के लिए वित्तपोषण वर्ष 2015 के स्तर के बराबर ही बना हुआ है।
- राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के कार्यकाल में अमेरिका द्वारा विदेशी मानवीय सहायता में की गई भारी कटौती ने कड़ी चोट पहुँचाई है।
- ब्रिटेन एवं अन्य यूरोपीय देश भी सैन्य व्यय बढ़ाने के कारण सहायता पर कम व्यय कर रहे हैं।
आह्वान
रिपोर्ट में अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से यू.एन.एच.सी.आर. कार्यक्रमों को वित्तपोषित करना जारी रखने का आह्वान किया गया है तथा कहा गया है कि ऐसी सहायता क्षेत्रीय एवं वैश्विक सुरक्षा में एक आवश्यक निवेश है।