New
GS Foundation (P+M) - Delhi : 05th Jan., 2026 Winter Sale offer UPTO 75% + 10% Off GS Foundation (P+M) - Prayagraj : 15th Dec., 11:00 AM Winter Sale offer UPTO 75% + 10% Off GS Foundation (P+M) - Delhi : 05th Jan., 2026 GS Foundation (P+M) - Prayagraj : 15th Dec., 11:00 AM

प्रवास पक्षियों के व्यवहार का परीक्षण

(प्रारंभिक परीक्षा : पर्यावरणीय पारिस्थितिकी, जैव-विविधता और जलवायु परिवर्तन संबंधी सामान्य मुद्दे)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3 : संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण, पर्यावरण प्रभाव का आकलन)

संदर्भ 

शीतकाल के दौरान भारत के कई क्षेत्रों में प्रवासी पक्षी आते हैं। 

प्रवासी पक्षियों का विशिष्ट व्यवहार  

  • पक्षियों द्वारा प्रवास करना पक्षियों का एक विशिष्ट व्यवहार है। पक्षी जहाँ प्रवास करते हैं, वहां की जलवायु उनके लिए उपयुक्त होती है और उन्हें पर्याप्त मात्रा में भोजन भी प्राप्त होता है। 
    • जीव वैज्ञानिकों के अनुसार पक्षी प्राय: उन्हीं स्थानों पर प्रवास करते हैं, जहां उनके पूर्वजों की कोई संतति अर्थात उनका कोई संबंधी मौजूद होता है।
  • प्रवासी पक्षी 5 किमी. से लेकर हजारों किमी. तक प्रवास करते हैं। इस लंबी व कठिन प्रवास पर निकलने से पहले पक्षी भरपूर मात्रा में भोजन करते हैं। इससे उनके पेट में चर्बी की एक परत बनने से लंबी यात्रा के दौरान उन्हें ऊर्जा प्रदान होती है।
  • प्रवासी पक्षी प्राय: झुण्ड में ही प्रवास करते हैं। इस दौरान अनेक पक्षियों की मौत भी हो जाती है।
  • अधिकतर प्रवासी पक्षी तेज धूप से बचने के लिए रात्रि में प्रवास यात्रा करते हैं जिनमें मुख्यत: गौरैया, पिटका एवं कस्तूरी आदि शामिल हैं। 
  • दिन एवं रात्रि दोनों समय झुंड बनाकर प्रवास करने वाले पक्षियों में नीलकंठ, बाज, अबाबील, सोहन पक्षी, बगुला, रोबिन व साइबेरियाई सारस आदि शामिल हैं। 

पक्षियों द्वारा प्रवास का मुख्य उद्देश्य

  • प्रतिकूल मौसम से अस्तित्व की सुरक्षा : ठंड के मौसम में पक्षी प्राय: मैदानी क्षेत्रों या भूमध्य रेखा के काफी निकट के क्षेत्रों में प्रवास करते हैं। इन क्षेत्रों में कड़ाके की ठंड से सुरक्षा और पर्याप्त आहार मिल जाता है। 
    • भीषण गर्मी से बचने के लिए पक्षी उत्तरी ध्रुव या अन्य ठंडे स्थानों की ओर प्रवास करते हैं। 
    • शीतकाल में ठंडी जगह के पक्षी भारत सहित दुनिया के गर्म देशों की ओर प्रवास करते हैं।
  • प्रजनन के लिए उपर्युक्त स्थान : प्रजनन एवं वंश वृद्धि के लिए प्रवास स्थल पर उन्हें अनुकूल वातावरण भी मिल जाता है।

प्रवासी पक्षियों द्वारा दिशा ज्ञान 

  • जैविक घड़ी द्वारा : प्रवासी पक्षी दिन में उड़ते समय सूर्य की बदलती स्थितियों से दिशा का ज्ञान प्राप्त करते हैं। प्रत्येक जीव के शरीर में एक जैविक घड़ी होती है जिसकी सहायता से प्रवासी पक्षी सूर्योदय व सूर्यास्त के समय और सूर्य की वर्तमान स्थिति के अनुसार दिशा का अनुमान लगा लेते हैं।  
  • तारों की सहायता : रात के समय पक्षी तारों की सहायता से दिशा का अनुमान लगाते हैं। 
  • पृथ्वी का चुंबकीय क्षेत्र : पक्षियों में ऐसी क्षमता होती है जिससे वे पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र को महसूस करते हैं और इसकी मदद से प्रवास मार्ग खोज लेते हैं। आकाश में घने बादल के कारण सूर्य व तारों की अनुपस्थिति में यह लाभकारी होता है। 
  • घ्राण शक्ति के द्वारा : दिशा तय करने के लिए कुछ पक्षियों द्वारा सूंघने की शक्ति का भी इस्तेमाल किया जाता है। उनमें प्रकृति की विशेष गंध को सूंघकर सही मार्ग पर आगे बढ़ने की प्राकृतिक क्षमता होती है। 
  • महत्वपूर्ण लैंडमार्क द्वारा : सूर्य, तारे, पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र और गंध के अलावा पक्षी प्रवास यात्रा के दौरान मार्ग में आने वाले महत्वपूर्ण लैंडमार्क (जैसे- समुद्र, जंगल या पर्वत श्रृंखला) को भी याद रखते हैं। 

भारत आने वाले प्रवासी पक्षी 

  • प्रत्येक वर्ष भारत में अनेक प्रवासी पक्षी आते हैं जिसका मुख्य कारण केंद्रीय एशियाई उड़ानमार्ग (सेंट्रल एशियन फ्लाइवे) जैसे महत्वपूर्ण प्रवासी मार्गों पर भारत की अवस्थिति है। 
    • राजस्थान के भरतपुर पक्षी अभयारण्य में साइबेरिया से आने वाले साइबेरियन क्रेन 
    • इन्हें ‘स्नो क्रेन’ भी कहते है। 
    • उत्तर भारत के अनेक आर्द्रभूमियों में तिब्बत एवं मध्य एशिया से आने वाले बार-हेडेड गूज 
    • नागालैंड में अमूर फाल्कन
    • गुजरात के कच्छ और मुंबई के थाने क्रीक में ग्रेटर फ्लेमिंगो 
    • संभवतः यह दुनिया का एकमात्र लंबी गुलाबी टांगों वाला पक्षी है। 
    • भारत की झीलों और नदियों के किनारे शरण लेने वाले रूडी शेलडक एवं नॉर्दर्न पिंटेल जैसे जल पक्षी 
    • शीतकाल में भारत प्रवास करने वाले यूरेशियन गौरैया रैप्टर प्रजाति के पक्षी 
    • राजस्थान एवं गुजरात में आने वाले पश्चिम एशिया के रोसी स्टारलिंग  
  • भारत का विविधतापूर्ण पारिस्थितिकी तंत्र इन प्रवासी पक्षियों के लिए एक महत्वपूर्ण प्रवास स्थल है जो उनके प्रवास चक्र में अहम भूमिका निभाता है।
    • दिल्ली के चिड़ियाघर में आने वाले धनेश, पेलिकन एवं बतख आदि प्रवासी पक्षी
    • उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले में बखिरा झील में प्रत्येक वर्ष नवंबर से लेकर जनवरी तक फुदकी, कौड़ील्ला, पिन टेल, स्पाटेड रेड शेंक, सुर्खाब एवं ब्राह्मिनी बतख जैसे अनेक प्रवासी पक्षी आकर रहते हैं।

इसे भी जानिए!

  • बर्ड रिंगिंग : यह प्रवसी पक्षियों के बारे में जानकारी एकत्र करने का एक वैज्ञानिक तरीका है। इसमें प्रवासी पक्षियों की टांगों में एल्यूमिनियम का छल्ला पहनाया जाता है और उसके विवरण को दर्ज करके आसमान में मुक्त कर दिया जाता है। 
    • उन छल्लों पर क्रम संख्या और छल्ला पहनने वाले का पता लिखा होता है ताकि जिसको भी वह पक्षी किसी भी स्थिति में मिले, तो वह व्यक्ति छल्ला पहनाने वाले को इसकी सूचना दे सके।
  • सालिम अली : भारत में पक्षियों के प्राकृतिक आवास, स्वभाव एवं उनके प्रवास को लेकर महत्वपूर्ण योगदान के कारण इन्हें ‘बर्ड मैन आफ इंडिया’ के नाम से जाना जाता है। 
    • ‘द बुक आफ इंडियन बर्ड्स’ इनकी प्रसिद्ध पुस्तक है।
« »
  • SUN
  • MON
  • TUE
  • WED
  • THU
  • FRI
  • SAT
Have any Query?

Our support team will be happy to assist you!

OR