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गांधीसागर वन्यजीव अभयारण्य चीतों का दूसरा निवास स्थान

प्रारंभिक परीक्षा – चीता, गांधीसागर वन्यजीव अभयारण्य
मुख्य परीक्षा : सामान्य अध्यन प्रश्नपत्र 3 – पर्यावरण संरक्षण

सन्दर्भ 

  • हाल ही में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री द्वारा कहा गया कि गांधीसागर वन्यजीव अभयारण्य को अगले छह महीनों में चीतों के नये निवास स्थान के रूप में विकसित किया जायेगा।

महत्वपूर्ण तथ्य 

  • वन्यजीव विशेषज्ञों के अनुसार, कूनो नेशनल पार्क में चीतों की संख्या बढ़ने के बाद उनके लिए पर्याप्त क्षेत्र नहीं होगा, इसलिए उन्हें दूसरी जगह स्थानांतरित करना आवश्यक है।
  • गांधीसागर वन्यजीव अभयारण्य में विशाल खुले स्थान और झाड़ियों से घिरे घास के मैदान हैं, जो चीता के लिए आदर्श परिदृश्य ( landscape) है।

गांधीसागर वन्यजीव अभयारण्य

  • गांधीसागर वन्यजीव अभयारण्य, उत्तर-पश्चिमी मध्य प्रदेश (मंदसौर और नीमच जिलों) में राजस्थान की सीमा के पास स्थित है।
  • इसे वर्ष 1974 में वन्यजीव अभयारण्य के रूप में अधिसूचित किया गया।
  • चंबल नदी, गांधीसागर अभयारण्य से होकर बहती है और इसे दो भागों में विभाजित करती है।
  • खैर, सलाई, करधई, धावड़ा, तेंदू और पलाश आदि यहां पाई जाने वाली प्रमुख वृक्ष प्रजातियां हैं।
  • इस वन्यजीव अभयारण्य में चिंकारा, नीलगाय और चित्तीदार हिरण, तेंदुआ, धारीदार लकड़बग्घा और सियार जैसे जानवर पाए जाते हैं।
  • गांधीसागर वन्यजीव अभयारण्य में ऐतिहासिक, पुरातत्व और धार्मिक महत्व के कई स्थान हैं जैसे - चौरासीगढ़, चतुर्भुजनाथ मंदिर, भड़काजी रॉक पेंटिंग, नरसिंहझर हिंगलाजगढ़ किला, करकेश्वर मंदिर।

चीता

Tiger

  • वर्तमान में चीते की दो मान्यता प्राप्त उप-प्रजातियाँ– एशियाई चीता (Acinonyx jubatus venaticus) और अफ़्रीकी चीता (Acinonyx jubatus jubatus) मौजूद हैं। 
  • एशियाई चीते सिर्फ ईरान में ही पाए जाते हैं।
  • अफ्रीकी चीते का आकार व क्षमता ‘एशियाई चीते’ की तुलना में अधिक होती है। 
  • अफ्रीकी चीता पृथ्वी पर सबसे तेज़ रफ्तार वाला जीव है। यह प्राकृतिक रूप से पूर्वी व दक्षिणी अफ्रीका के निचले भू-भाग (सवाना घास के मैदान, कालाहारी मरुस्थल इत्यादि) में पाया जाता है।
  • चीता कई प्रकार के आवासों, जैसे- अर्ध-शुष्क घास का मैदान, तटीय झाड़ियाँ, जंगली सवाना, पर्वतीय क्षेत्र, बर्फीले रेगिस्तान और ऊबड़-खाबड़ अर्ध शुष्क क्षेत्रों में निवास में सक्षम है। 
  • चीता को 1 जुलाई, 1975 से ‘लुप्तप्राय वन्यजीव एवं वनस्पति प्रजाति अंतर्राष्ट्रीय व्यापार अभिसमय’ (CITIES) के परिशिष्ट-I के तहत संरक्षित किया गया है और वाणिज्यिक प्रयोग के लिये इसका अंतर्राष्ट्रीय व्यापार प्रतिबंधित है।
  • अफ्रीकी चीता को अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (IUCN) की लाल सूची में संवेदनशील (Vulnerable) तथा एशियाई चीते को गम्भीर संकटापन्न (Critically Endangered) के रूप में अधिसूचित किया गया है।

भारत में चीता 

  • पुरातत्वविदों के अनुसार, मध्य प्रदेश के मंदसौर के चतुर्भुज नाला की नवपाषण गुफा से प्राप्त एक पतली चित्तीदार बिल्ली सदृश्य जानवर के शिकार की चित्रकारी (Painting) को भारत में चीते की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि का प्रतीक माना जाता है।
  • भारत में चीते के शिकार का सर्वप्रथम उपलब्ध साक्ष्य 12वीं शताब्दी के संस्कृत साहित्य ‘मानसोल्लास’ में मिलता है। इसे ‘अभिलाषितार्थ चिंतामणि’ के नाम से भी जाना जाता है जिसकी रचना कल्याणी चालुक्य शासक सोमेश्वर-III ने की थी।
  • भारत में पहले चीते उत्तर में जयपुर एवं लखनऊ से दक्षिण के मैसूर तथा पश्चिम में कठियावाड से पूर्व में देवगढ़ तक पाए जाते थे।
  • अनुमानत: वर्ष 1947 में कोरिया रियासत के महाराज रामानुज प्रताप सिंह देव ने अपने शिकार के दौरान भारत के अंतिम तीन अभिलिखित एशियाई चीतों का शिकार किया। इसके बाद से भारतीय प्राकृतिक क्षेत्र में चीतों को विलुप्त माना जाने लगा।
  • भारत सरकार ने वर्ष 1952 में अधिकारिक तौर पर चीता को विलुप्त घोषित कर दिया।
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