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वैश्विक पारिस्थितिकी तंत्र एटलस

(प्रारंभिक परीक्षा, सामान्य अध्ययन 3: संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण, पर्यावरण प्रभाव का आकलन।)

संदर्भ 

  • 22 अक्टूबर, 2024 को जैव विविधता पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (Convention on Biological Diversity : CBD) के 16वें सम्मेलन (COP-16) में वैश्विक पारिस्थितिकी तंत्र एटलस लॉन्च किया गया।
  • यह वैश्विक पारिस्थितिकी प्रणालियों के मानचित्रण एवं निगरानी पर ध्यान केंद्रित करने वाला अपनी तरह का पहला उपकरण है।

वैश्विक पारिस्थितिकी तंत्र एटलस के बारे में 

  • विकासकर्ता : ग्रुप ऑन अर्थ ऑब्जर्वेशन (GEO)
  • उद्देश्य : पृथ्वी पर जीवन के लिए महत्वपूर्ण प्राकृतिक प्रणालियों को समझने और उनकी सुरक्षा करने के हमारे तरीके में बदलाव लाना। 

महत्व

  • यह विभिन्न पारिस्थितिक तंत्रों के स्वास्थ्य और जोखिमों के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करता है।
    • एटलस को अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ के वैश्विक पारिस्थितिकी तंत्र वर्गीकरण के साथ संरेखित करके भूमि, मीठे पानी और समुद्री क्षेत्रों सहित सभी प्रकार के पारिस्थितिक तंत्रों के लिए सुसंगत व विश्वसनीय जानकारी प्राप्त किया जा सकता है।
    • इससे सरकारों, व्यवसायों, वित्तीय संस्थानों और स्थानीय समुदायों को टिकाऊ प्रबंधन के लिए बेहतर निर्णय लेने में मदद मिल सकती है।
  • डाटा संबंधी चुनौतियों का समाधान : यह अपर्याप्त डाटा, अव्यवस्थित सूचना और विभिन्न समूहों के बीच प्रयासों के समन्वय में कठिनाई जैसी चुनौतियों का समाधान करता है।
    •  वर्तमान में विश्व आवास विनाश और बढ़ते तापमान जैसी गंभीर पर्यावरणीय समस्याओं का सामना कर रहा है। ऐसे में यह  एटलस आवश्यक आंकड़े उपलब्ध करा कर इसके समाधान में सहायता प्रदान करता है।
    • विशेषज्ञों के अनुसार, अव्यवस्थित डाटा स्रोतों और देशों के बीच असंगतियों के कारण दुनिया के 55 % से अधिक पारिस्थितिकी तंत्रों को अभी तक पूरी तरह से समझा नहीं जा सका है।
  • जैव विविधता हॉटस्पॉट : यह जैवविविधता के प्रमुख स्थलों की पहचान करने तथा संरक्षण प्रयासों पर नजर रखने में मदद करता है।
  • डाटा एकीकरण : एटलस में मौजूदा राष्ट्रीय पारिस्थितिकी तंत्र मानचित्रों को सम्मिलित किया गया है तथा पृथ्वी अवलोकन, कृत्रिम बुद्धिमत्ता और क्षेत्रीय डाटा संग्रह जैसी उन्नत तकनीकों का उपयोग किया गया है। 
  • अंतर्राष्ट्रीय दायित्व: कुनमिंग-मॉन्ट्रियल वैश्विक जैव विविधता ढाँचे अंतर्गत प्रगति पर नज़र रखने में देशों की सहायता करता है और पारिस्थितिकी तंत्र की स्थिति एवं संरक्षित क्षेत्रों की निगरानी को सुविधाजनक बनाता है।
  • सीमा पार सहयोग : इसका एक उदाहरण दक्षिण अफ्रीका और मोजाम्बिक देशों में देखा गया है। 
    • ये पड़ोसी देश सवाना एवं प्रवाल भित्तियों जैसे पारिस्थितिकी तंत्रों को साझा करते है और एटलस के माध्यम से पारिस्थितिकी तंत्र मानचित्रों की तुलना करके, दोनों देश जोखिम वाले क्षेत्रों की पहचान करते हुए सुरक्षात्मक कार्यों को प्राथमिकता दे सकते हैं।

विभिन्न हितधारकों के लिए लाभ

  • सरकार : नीति-निर्माण और CBD के अनुपालन का समर्थन
  • कंपनी : पर्यावरणीय जोखिमों को रणनीतियों में शामिल करने में सहायता
  • स्थानीय समुदाय : संरक्षण प्रयासों में स्वदेशी समूहों को सशक्तीकरण 
  • वित्तीय संस्था : स्थायी निवेश निर्णयों का मार्गदर्शन 
  • शोधकर्ता और शिक्षाविद : वैज्ञानिक अध्ययन के लिए डाटा सुलभता 

निष्कर्ष

वैश्विक पारिस्थितिकी तंत्र एटलस पर्यावरण संरक्षण प्रयासों में एक महत्वपूर्ण प्रगति का प्रतिनिधित्व करता है जो भावी पीढ़ियों के लिए पारिस्थितिकी तंत्रों की सुरक्षा के लिए सूचित निर्णय लेने मदद करता है और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देता है।

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