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न्यायाधीशों की कमी से जूझते उच्च न्यायालय

संदर्भ

हाल ही में, भारत के मुख्य न्यायाधीश ने उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों की संख्या में वृद्धि करने तथा मौजूदा रिक्तियों को तत्काल भरने की आवश्यकता पर बल दिया है।

उच्च न्यायालयों में रिक्तियाँ

  • भारतीय न्यायपालिका सभी स्तरों पर न्यायाधीशों की कमी का सामना कर रही है। वर्तमान स्थिति के अनुसार भारत के कुल 25 उच्च न्यायालयों में 1098 स्वीकृत पद हैं, किंतु वर्तमान में कार्यरत न्यायाधीशों की कुल संख्या केवल 645 है।
  • अदालतों में न्यायाधीशों की रिक्ति लंबित मामलों की बढ़ती संख्या के कारणों में से एक है, क्योंकि मामलों की सुनवाई और निर्णय लेने के लिये पर्याप्त न्यायाधीश उपलब्ध नहीं हैं। 
  • वर्तमान में भारत की सभी अदालतों में लगभग चार करोड़ से अधिक मामले लंबित हैं। कुछ उच्च न्यायालय अपनी स्वीकृत न्यायिक शक्ति के आधे से ही कार्य कर रहे हैं।

उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों की नियुक्ति

  • उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है। उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति भारत के मुख्य न्यायाधीश तथा संबंधित राज्य के राज्यपाल से परामर्श के पश्चात् राष्ट्रपति द्वारा की जाती है।
  • अन्य न्यायाधीशों की नियुक्ति में संबंधित उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश से भी परामर्श किया जाता है। दो या दो से अधिक राज्यों के लिये एक ही उच्च न्यायालय की स्थिति में संबंधित राज्यों के राज्यपालों से राष्ट्रपति द्वारा परामर्श किया जाता है।

नियुक्ति प्रक्रिया में विलंब का कारण

  • संवैधानिक प्रावधानों के अलावा मेमोरेंडम ऑफ प्रोसीजर में उल्लिखित नियुक्ति प्रक्रिया बहुत जटिल व लंबी है।
  • इस ज्ञापन के अनुसार, नियुक्ति प्रक्रिया संबंधित उच्च न्यायालय द्वारा रिक्ति होने से कम से कम छह महीने पहले शुरू की जानी चाहिये। हालाँकि स्थायी समिति (2021) के अनुसार, उच्च न्यायालयों द्वारा इस समय सीमा का शायद ही कभी पालन किया जाता है।
  • यह ज्ञापन संबंधित उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश द्वारा शुरू किया जाता है, जो राज्य सरकार को नामांकित न्यायाधीशों की सिफारिश करता है।
  • इसके पश्चात् राज्य सरकार केंद्रीय कानून मंत्रालय को सिफारिश भेजती है। तत्पश्चात् कानून मंत्रालय इसे सर्वोच्च न्यायालय कॉलेजियम को भेजता है।
  • प्रक्रिया के अंतिम चरण में सर्वोच्च न्यायालय कॉलेजियम से सिफारिशें प्राप्त करने के बाद कार्यपालिका द्वारा उच्च न्यायालय में न्यायाधीशों की नियुक्ति की जाती है। नियुक्ति प्रक्रिया के इस चरण के लिये कोई समय-सीमा निर्धारित नहीं है।

न्यायाधीशों की संख्या निर्धारित करने का फ़ॉर्मूला

  • न्यायाधीश-से-जनसंख्या अनुपात: भारतीय विधि आयोग (1987) ने प्रति मिलियन जनसंख्या पर न्यायाधीशों की इष्टतम संख्या को प्रति मिलियन जनसंख्या पर 50 न्यायाधीशों तक बढ़ाने की सिफारिश की थी। जबकि, वर्ष 2020 की स्थिति के अनुसार प्रति मिलियन जनसंख्या पर केवल 21 न्यायाधीश थे।
  • निपटान की दर: प्रति न्यायाधीश निपटाए गए मामलों की औसत संख्या के आधार पर आवश्यक अतिरिक्त न्यायाधीशों की संख्या। वर्ष 2014 में विधि आयोग ने इस पद्धति का प्रस्ताव रखा।
  • भारित केस लोड विधि: स्थानीय परिस्थितियों में मामलों की प्रकृति और जटिलता को ध्यान में रखते हुए न्यायाधीशों द्वारा मामलों के निपटारे के आधार पर न्यायाधीशों की संख्या की गणना करना। यह मौजूदा बैकलॉग मामलों के साथ-साथ अधीनस्थ अदालतों में प्रतिवर्ष आने वाले नए मामलों को संबोधित करता है। वर्ष 2017 में सर्वोच्च न्यायालय ने इस मॉडल को स्वीकार किया।
  • समय-आधारित भारित केस लोड विधि: अनुभवजन्य अध्ययन के आधार पर अलग-अलग चरणों में विभिन्न प्रकार के मामलों में न्यायाधीशों द्वारा खर्च किये गए वास्तविक समय को ध्यान में रखते हुए आवश्यक न्यायाधीश शक्ति की गणना करना। संयुक्त राज्य अमेरिका में इस विधि का व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है। यह अधीनस्थ न्यायालयों के लिये आवश्यक न्यायाधीश शक्ति का आकलन करने के लिये राष्ट्रीय न्यायालय प्रबंधन तंत्र (2016) द्वारा अनुशंसित दीर्घकालिक विधि थी। इसमें प्रत्येक अदालत के केस लोड के निपटान के लिये आवश्यक ‘न्यायिक घंटों’ की कुल संख्या निर्धारित करना शामिल है। दिल्ली उच्च न्यायालय ने दिल्ली की कुछ अदालतों में लंबित मामलों के निपटारे के लिये आदर्श न्यायाधीशों की संख्या की गणना करने के लिये एक पायलट प्रोजेक्ट (2017-2018) में इस दृष्टिकोण का उपयोग किया।

निष्कर्ष

वर्तमान में भारतीय न्यायिक प्रणाली न्यायाधीशों की कमी का सामना कर रही है, जिसके कारण लंबित वादों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। त्वरित न्याय की सुविधा उपलब्ध कराने तथा न्यायालयों पर कार्य-बोझ को कम करने हेतु तात्कालिक रूप से एक त्वरित तथा पारदर्शी न्यायाधीश नियुक्ति प्रणाली की आवश्यकता है।

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