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बागवानी क्लस्टर विकास कार्यक्रम

चर्चा में क्यों

किसानों की आय को दोगुना करने और फलों के उत्पादन एवं निर्यात में वृद्धि के लिये ‘बागवानी क्लस्टर विकास कार्यक्रम’ (HCDP) पर ज़ोर दिया जा रहा है।

प्रमुख बिंदु

  • कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने 55 बागवानी क्‍लस्‍टरों (समूह केंद्रों) की पहचान की है, जिनमें से 12 क्‍लस्‍टरों को इस कार्यक्रम के पायलट लॉन्च के लिये चुना गया है। इसे मंत्रालय के ‘राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड’ (NHB) द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा है। 
  • पायलट चरण के क्‍लस्‍टरों में निम्नलिखित शामिल हैं-
    •  सेब के लिये शोपियां (जम्मू-कश्मीर) एवं किन्नौर (हिमाचल प्रदेश)
    • आम के लिये लखनऊ (उत्तर प्रदेश), कच्छ (गुजरात) एवं महबूबनगर (तेलंगाना)
    • केले के लिये अनंतपुर (आंध्र प्रदेश) एवं थेनी (तमिलनाडु)
    • अंगूर के लिये नासिक (महाराष्ट्र)
    • अनानास के लिये सिपाहीजला (त्रिपुरा), सोलापुर (महाराष्ट्र) एवं चित्रदुर्ग (कर्नाटक) 
    • हल्दी के लिये पश्चिम जयंतिया हिल्स (मेघालय)
  • यह कार्यक्रम उत्पादन से पूर्व, उत्पादन, कटाई के बाद प्रबंधन, लॉजिस्टिक्स, विपणन और ब्रांडिंग सहित संपूर्ण मूल्य श्रृंखला की चुनौतियों का समाधान खोजता है।

लाभ 

  • इस कार्यक्रम से लगभग 10 लाख किसानों को मदद मिलेगी और सभी क्लस्टरों में लागू होने पर इसमें 10,000 करोड़ रुपये का निवेश आकर्षित होगा। 
  • साथ ही, इसका उद्देश्य लक्षित फसलों के निर्यात में 20-25% तक बढ़ोतरी करना और फसलों की प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाने के लिये क्‍लस्‍टर-विशिष्ट ब्रांड बनाना है।
  • एच.सी.डी.पी. को स्थान विशेष की भौगोलिक विशेषताओं का लाभ उठाने और बागवानी क्लस्टर के एकीकृत तथा बाजार अनुरूप विकास को बढ़ावा देने के लिये डिज़ाइन किया गया है।
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