New
GS Foundation (P+M) - Delhi : 28th Sept, 11:30 AM Hindi Diwas Offer UPTO 75% + 10% Off, Valid Till : 15th Sept. 2025 GS Foundation (P+M) - Prayagraj : 25th Sept., 11:00 AM Hindi Diwas Offer UPTO 75% + 10% Off, Valid Till : 15th Sept. 2025 GS Foundation (P+M) - Delhi : 28th Sept, 11:30 AM GS Foundation (P+M) - Prayagraj : 25th Sept., 11:00 AM

जम्मू-कश्मीर उपराज्यपाल की प्रशासनिक शक्तियों में वृद्धि

(मुख्य परिक्सः, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2 : भारतीय संविधान- विशेषताएँ, संशोधन, महत्त्वपूर्ण प्रावधान और बुनियादी संरचना, संघ एवं राज्यों के कार्य तथा उत्तरदायित्व, संघीय ढाँचे से संबंधित विषय एवं चुनौतियाँ)

संदर्भ

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने जम्मू एवं कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 की धारा 55 के तहत संशोधित नियमों को अधिसूचित किया है। इसके तहत जम्मू एवं कश्मीर के उपराज्यपाल (Lieutenant Governor : LG) की प्रशासनिक भूमिका में वृद्धि की गई है। अब जम्मू एवं कश्मीर उपराज्यपाल के पास दिल्ली के उपराज्यपाल के समान ही (अधिक) शक्तियां होंगी।

संशोधित अधिसूचित नियम 

  • जम्मू एवं कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 की धारा 55 के तहत संशोधित नियमों में एल.जी. की भूमिका को परिभाषित करने वाली नई धाराएँ शामिल की गईं। 
  • इस संशोधन से पुलिस, सार्वजनिक व्यवस्था एवं अखिल भारतीय सेवा से संबंधित मामलों में उपराज्यपाल को अधिक अधिकार मिल गए हैं।

नवीनतम अधिसूचना के अनुसार प्रमुख बदलाव 

  • पुलिस, लोक व्यवस्था, अखिल भारतीय सेवा और भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के संबंध में वित्त विभाग की पूर्व सहमति की आवश्यकता वाले किसी भी प्रस्ताव को तब तक स्वीकार या अस्वीकार नहीं किया जाएगा जब तक कि इसे मुख्य सचिव के माध्यम से उपराज्यपाल के समक्ष नहीं रखा जाता है।
  • प्रशासनिक सचिवों एवं अखिल भारतीय सेवा (AIS) कैडर के अधिकारियों के स्थानांतरण से संबंधित प्रस्ताव सामान्य प्रशासन विभाग के प्रशासनिक सचिव द्वारा मुख्य सचिव के माध्यम से जम्मू एवं कश्मीर के उपराज्यपाल को प्रस्तुत किए जाएंगे।
  • कानून, न्याय एवं संसदीय कार्य विभाग न्यायिक कार्यवाही में महाधिवक्ता और महाधिवक्ता की सहायता के लिए अन्य विधि अधिकारियों की नियुक्ति के प्रस्ताव को मुख्य सचिव तथा मुख्यमंत्री के माध्यम से उपराज्यपाल के अनुमोदन के लिए प्रस्तुत करेगा।
  • अभियोजन की स्वीकृति देने या अस्वीकार करने या अपील दायर करने से संबंधित कोई भी प्रस्ताव विधि, न्याय एवं संसदीय कार्य विभाग द्वारा मुख्य सचिव के माध्यम से उपराज्यपाल के समक्ष रखा जाएगा।
  • इसके तहत जेल, अभियोजन निदेशालय एवं फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला से संबंधित सभी मामले भी उपराज्यपाल को सौंपे जाने हैं।

जम्मू एवं कश्मीर की वर्तमान स्थिति

  • 5 अगस्त, 2019 को संविधान के अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू एवं कश्मीर का विशेष दर्जा रद्द कर दिया गया था। 
    • इसी के तहत पूर्ववर्ती राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू एवं कश्मीर और लद्दाख में विभाजित कर दिया गया था। लद्दाख में विधानसभा नहीं है। 
    • केंद्र सरकार के अनुसार, विधानसभा चुनाव होने के बाद जम्मू एवं कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल कर दिया जाएगा। 
  • सर्वोच्च न्यायालय की संवैधानिक पीठ ने निर्वाचन आयोग को 30 सितंबर, 2024 से पहले जम्मू एवं कश्मीर विधानसभा चुनाव कराने का आदेश दिया है। 

जम्मू एवं कश्मीर तथा दिल्ली केंद्रशासित प्रदेश 

  • जम्मू एवं कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 जम्मू एवं कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश के गठन का मार्ग प्रशस्त करता है। 
    • इसके अनुसार, यह दो अन्य केंद्र शासित प्रदेशों, यथा- राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली तथा पुडुचेरी के समान होगा। 
    • इसके तहत कुछ विषयों पर कानून निर्माण के लिए एक विधानसभा होगी और ऐसे कानून से संबंधित विषयों पर उपराज्यपाल को सहायता एवं सलाह देने के लिए एक मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में मंत्रिपरिषद का गठन किया जाएगा। 
    • विधानसभा के दायरे से बाहर के विषयों के लिए उपराज्यपाल को मुख्यमंत्री की सहायता एवं सलाह की आवश्यकता नहीं है।
  • इस अधिनियम की धारा 32 के अनुसार, सार्वजनिक व्यवस्था एवं पुलिस से संबंधित विषयों को छोड़कर राज्य व समवर्ती सूचियों से संबंधित विषयों में किसी भी विषय पर कानून का निर्माण विधानसभा द्वारा किया जा सकता है। 
    • दिल्ली में भी यही स्थिति है।
  • इस अधिनियम की धारा 55 के अनुसार, उपराज्यपाल मंत्रियों को कार्य आवंटित करने, मंत्रियों के साथ कार्य के अधिक सुविधाजनक संचालन के लिए मंत्रिपरिषद की सलाह पर नियम बनाएंगे। यही नियम राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली पर भी लागू होता है। 
  • अधिनियम की धारा 36(3) के अनुसार, ‘संघ राज्य क्षेत्र की संचित निधि से व्यय’ से संबंधित कोई भी विधेयक संघ राज्य क्षेत्र की विधानसभा द्वारा तब तक पारित नहीं किया जाएगा जब तक कि उपराज्यपाल ने विधानसभा को विधेयक पर विचार करने की सिफारिश नहीं की हो। यही नियम राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली पर भी लागू होता है।
  • अनुच्छेद 239AA एवं 69वें संविधान संशोधन के आधार पर दिल्ली विधानसभा सातवीं अनुसूची में शामिल राज्य सूची की प्रविष्टि 18 में उल्लिखित भूमि से संबंधित मामलों पर कानून नहीं बना सकती है जबकि  जम्मू एवं कश्मीर विधानसभा इस विषय पर कानून बना सकती है।
  • नए संशोधित नियमों के अनुसार, उप-राज्यपाल जम्मू एवं कश्मीर सरकार में वर्तमान में कार्यरत किसी अधिकारी की पोस्टिंग में बदलाव कर सकता है। हालाँकि, दिल्ली में यह स्पष्ट नहीं है कि अधिकारियों का स्थानांतरण उपराज्यपाल के विशेष अधिकार क्षेत्र में होगा या नहीं और यह मुद्दा न्यायालय में लंबित है।
« »
  • SUN
  • MON
  • TUE
  • WED
  • THU
  • FRI
  • SAT
Have any Query?

Our support team will be happy to assist you!

OR
X