चर्चा में क्यों ?
हाल ही में पंजाब सरकार ने एक ऐतिहासिक निर्णय लेते हुए बैलगाड़ी दौड़, कुत्तों की दौड़, घुड़दौड़ और कबूतर दौड़ जैसे पारंपरिक विरासती खेलों पर से लंबे समय से चले आ रहे प्रतिबंध को हटा दिया है।

पृष्ठभूमि:
- 1997 से पशु क्रूरता की आशंका के चलते ये खेल प्रतिबंधित थे।
- इसके बाद 2014 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के कारण भी इन पर प्रतिबंध जारी रहा।
- हालांकि, 2025 में पंजाब विधानसभा द्वारा पारित "Prevention of Cruelty to Animals (Punjab Amendment) Bill, 2025" के माध्यम से इन खेलों के आयोजन को पुनः वैधता प्रदान की गई है।
मुख्य विशेषताएँ:
- यह संशोधन पशु क्रूरता से जुड़े नियमों के भीतर रहकर इन खेलों को पुनः आयोजित करने की अनुमति देता है।
- आयोजन के दौरान पशुओं को शारीरिक क्षति या अत्याचार से बचाने के लिए कड़ी निगरानी और नियमों का पालन सुनिश्चित किया जाएगा।
- बैलों को नियंत्रित करने के लिए केवल ताली बजाने जैसी कोमल तकनीकों के उपयोग पर बल दिया गया है।
- पशुओं को हानिकारक खाद्य या प्रथाओं से बचाने हेतु सरकारी अधिकारी निगरानी करेंगे।
सांस्कृतिक महत्व:
- ये खेल पंजाब की ग्रामीण विरासत और सामाजिक एकता का प्रतीक हैं।
- कबूतर दौड़, बैलगाड़ी रेस और घुड़दौड़ जैसे आयोजन पंजाब के त्योहारों और मेलों का अभिन्न अंग रहे हैं।
- इनके पुनरुद्धार से युवाओं में परंपरा से जुड़ाव बढ़ेगा और डिजिटल व्यसनों से भी राहत मिलेगी।
प्रश्न. हाल ही में किस राज्य सरकार ने बैलगाड़ी दौड़ जैसे पारंपरिक विरासती खेलों पर से प्रतिबंध हटाया है ?
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