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कोपरा के न्यूनतम समर्थन मूल्य में वृद्धि

(प्रारम्भिक परीक्षा, मुख्य परीक्षा, प्रश्न पत्र 3: प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष कृषि सहायता तथा न्यूनतम समर्थन मूल्य से संबंधित विषय; जन वितरण प्रणाली- उद्देश्य, कार्य, सीमाएँ, सुधार; बफर स्टॉक तथा खाद्य सुरक्षा संबंधी विषय; प्रौद्योगिकी मिशन; पशु पालन संबंधी अर्थशास्त्र।)

संदर्भ 

हाल ही में केंद्र सरकार द्वारा वर्ष 2025 सीजन के लिए कोपरा के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एम.एस.पी.) में वृद्धि की गई है।

सम्बंधित तथ्य 

  • वर्ष 2025 के लिए ‘मिलिंग कोपरा’ का एम.एस.पी. 420 रुपये बढ़ाकर 11,582 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया है, जबकि ‘बॉल कोपरा’ का एम.एस.पी. 100 रुपये बढ़ाकर 12,100 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया है।
  • केंद्र सरकार के अनुसार, वर्ष 2014 से 2025 तक, मिलिंग कोपरा के लिए एम.एस.पी. में 5,250 प्रति क्विंटल और बॉल कोपरा के लिए 5,500 प्रति क्विंटल की वृद्धि की गई है।
  • मिलिंग कोपरा (Milling copra) : मिलिंग कोपरा नारियल के सूखे टुकड़े होते हैं जिनका उपयोग नारियल तेल के निर्माण में किया जाता है। 
  • बॉल कोपरा (Ball Copra): आम तौर पर नारियल की गिरी (Coconut kernel) का बारीक, अच्छी तरह से सुखाया हुआ पूरा भाग होता है और इसका उपयोग कई खाद्य पदार्थों के साथ-साथ स्वादिष्ट मेवे में भी किया जाता है।
  • कोपरा के लिए एम.एस.पी. बढ़ाने के फैसले से कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश के किसानों को फायदा होगा, जहां मुख्य रूप से कोपरा का उत्पादन किया जाता है। 
    • कोपरा  उत्पादन में कर्नाटक की हिस्सेदारी सबसे ज्यादा 32.7% है, उसके बाद तमिलनाडु की हिस्सेदारी 25.7%, केरल की हिस्सेदारी 25.4% और आंध्र प्रदेश की हिस्सेदारी 7.7% है।
  • भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ लिमिटेड (नेफेड) और राष्ट्रीय सहकारी उपभोक्ता संघ (एनसीसीएफ) मूल्य समर्थन योजना (पीएसएस) के तहत कोपरा  और छिलका रहित नारियल की खरीद के लिए केंद्रीय नोडल एजेंसियों के रूप में कार्य करना जारी रखेंगे।

एम.एस.पी. के बारे में 

  • एम.एस.पी. का अर्थ मूलतः सरकार द्वारा किसानों को उनकी फसल के लिये दी जाने वाली न्यूनतम मूल्य की गारंटी से है। 
    • यह फसल लागत के डेढ़ गुने से अधिक होता है।
  • न्यूनतम समर्थन मूल्य की घोषणा कृषि लागत और मूल्य आयोग (CACP) की सिफारिशों के आधार पर फसलों के लिए बुवाई के मौसम की शुरुआत में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (CCEA) द्वारा की जाती है। 
  • गौरतलब है कि गन्ने के लिये न्यूनतम समर्थन मूल्य (एम.एस.पी.) के स्थान पर 'उचित और लाभकारी मूल्य' (FRP) की घोषणा की जाती है।

न्यूनतम समर्थन मूल्य (एम.एस.पी. ) का निर्धारण

  • एम.एस.पी. का निर्धारण करते समय कृषि लागत और मूल्य आयोग (CACP)  द्वारा तीन प्रकार की उत्पादन लागतों पर विचार किया जाता है -
    • A2 लागत में किसानों द्वारा बीज, उर्वरक, रसायन, भाड़े पर लिए गए श्रम, ईंधन और सिंचाई आदि पर किए गए सभी भुगतान, जिसमें नकद और वस्तु दोनों में शामिल हैं।
    • A2+FL इसमें A2 के साथ अवैतनिक पारिवारिक श्रम का अनुमानित मूल्य भी शामिल किया जाता है।
    • C2 लागत में A2+FL के साथ स्वामित्त्व वाली भूमि और अचल संपत्ति के किराए तथा ब्याज को भी शामिल किया जाता है।
  • न्यूनतम समर्थन मूल्य के संबंध में सिफारिशें तैयार करते समय CACP द्वारा उत्पादन की लागत के अतिरिक्त, निम्नलिखित कारकों को ध्यान में रखा जाता है -  
    • इनपुट कीमतों में बदलाव
    • इनपुट-आउटपुट मूल्य समानता
    • बाजार की कीमतों में रुझान
    • मांग और आपूर्ति
    • अंतर-फसल मूल्य समानता
    • औद्योगिक लागत संरचना पर प्रभाव
    • जीवन यापन की लागत पर प्रभाव
    • सामान्य मूल्य स्तर पर प्रभाव
    • अंतर्राष्ट्रीय मूल्य स्थिति
    • भुगतान की गई कीमतों और किसानों द्वारा प्राप्त कीमतों के बीच समानता।
    • जारी कीमतों पर प्रभाव और सब्सिडी के लिए प्रभाव
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