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भारत-चीन सीमा विवाद: एक अवलोकन

(प्रारंभिक परीक्षा: अंतर्राष्ट्रीय संबंध)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2: भारत व इसके पड़ोसी- संबंध)

संदर्भ

भारत-चीन सीमा विवाद ब्रिटिश औपनिवेशिक काल की विरासत से उत्पन्न लगभग 3,488 किमी. लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर केंद्रित है। विवाद पश्चिमी (लद्दाख-अक्साई चिन), मध्य (हिमाचल-उत्तराखंड) और पूर्वी (सिक्किम-अरुणाचल) क्षेत्रों में फैला है। हालांकि, मंचू साम्राज्य के नक्शे (1721 और 1761) और शिमला सम्मेलन (1913-14) भारत के दावों का समर्थन करते हैं।

शिमला सम्मेलन के बारे में

  • उद्देश्य: ब्रिटिश भारत, तिब्बत एवं गणतंत्र चीन (RoC) के बीच सीमाओं को स्पष्ट करना
  • स्थान और समय: शिमला में वर्ष 1913-14 में सर हेनरी मैकमाहन की अध्यक्षता में
  • मुख्य परिणाम:
    • अरुणाचल प्रदेश को भारत में शामिल करती हुई मैकमाहन रेखा प्रस्तावित
    • RoC ने तिब्बत के हिमालय के दक्षिणी आदिवासी क्षेत्रों (अरुणाचल) पर दावा नकारा क्योंकि ये गैर-तिब्बती और स्व-शासित थे।
    • मार्च 1914 में भारत-तिब्बत सीमा समझौता हुआ जिसे 1914 संरेखण के रूप में जाना गया।
  • विवाद: चीन ने मैकमाहन रेखा को कभी पूरी तरह स्वीकार नहीं किया।
  • RoC का रुख:
    • शिमला सम्मेलन में RoC प्रतिनिधि ने स्पष्ट किया कि तिब्बत का असम की ओर आदिवासी पट्टी (अरुणाचल) पर कोई दावा नहीं है।
    • इन क्षेत्रों को भारत के प्रभाव क्षेत्र में छोड़ दिया गया।

भारत-चीन सीमा का मानचित्रण

  • मंचू नक्शे:
    • सम्राट कांग-ही का नक्शा (1721): तिब्बत को ट्रांस-हिमालयन राज्य नहीं माना गया; इसकी सीमा हिमालय तक सीमित रही।
    • सम्राट चिएन-लुंग का नक्शा (1761): पूर्वी तुर्किस्तान को ट्रांस-कुनलुन क्षेत्र नहीं माना; अक्साई चिन भी मंचू क्षेत्र का हिस्सा नहीं।
  • सीमा संरेखण:
    • 1914 संरेखण: मैकमाहन रेखा के अनुरूप, अरुणाचल को भारत में शामिल किया गया।
    • 1899 संरेखण: जल विभाजक सिद्धांत पर आधारित, कश्मीर-सिंकियांग सीमा (अक्साई चिन) तक निर्धारित।
  • ऐतिहासिक साक्ष्य:
    • मंचू शासन (1644-1911) के दौरान यूरोपीय जेसुइट्स की मदद से पैमाने वाले नक्शे
    • शिमला सम्मेलन में RoC ने गैर-तिब्बती क्षेत्रों पर दावा नहीं किया।
  • परिणाम: वर्ष 1914 एवं 1899 संरेखण भारत के दावों को मजबूती देते हैं।

सीमा विवाद : पृष्ठभूमि

  • RoC के दावे:
    • वर्ष 1943 में RoC ने मंचू नक्शों को नजरअंदाज कर भारतीय क्षेत्रों पर दावा किया और इसे ‘अस्पष्ट मसौदा’ करार दिया।
    • वर्ष 1947 में भारत-पाकिस्तान संघर्ष के दौरान RoC ने समान नक्शा दोहराया।
  • चीन की रणनीति:
    • RoC की नक्शा-निर्माण शैली को अपनाया।
    • वर्ष 1954 में चाउ एन-लाई ने नेहरू से स्वीकार किया कि पुराने नक्शे छापे गए, किंतु जानबूझकर सीमा बदलने की मंशा नहीं है।
  • 1960 वार्ता:
    • चाउ ने भारतीय साक्ष्यों में कमियां निकालने की कोशिश की किंतु चीनी साक्ष्यों का कम उल्लेख किया।
    • सिद्धांत-आधारित समाधान का प्रस्ताव दिया, जिसे विशेषज्ञों ने ‘एक जाल’ (Trap) करार दिया।

सीमा निर्धारण

  • क्षेत्रीय विभाजन:
    • पश्चिमी क्षेत्र: लद्दाख-अक्साई चिन (1865 जॉनसन लाइन, 1962 में चीन द्वारा कब्जा)
    • मध्य क्षेत्र: हिमाचल-उत्तराखंड
    • पूर्वी क्षेत्र: सिक्किम-अरुणाचल (मैकमाहन रेखा)
  • विवाद बिंदु:
    • भारत LAC को मैकमाहन रेखा के आधार पर देखता है; चीन अरुणाचल को ‘दक्षिण तिब्बत’ कहता है।
    • अक्साई चिन पर चीन का नियंत्रण रणनीतिक (तिब्बत-शिनजियांग राजमार्ग)
  • LAC अस्पष्टता: दोनों देशों के दावों एवं LAC में अंतर है और कोई स्पष्ट परिसीमन नहीं है।

वर्तमान चुनौतियां

  • ऐतिहासिक अस्पष्टता: औपनिवेशिक समझौतों व नक्शों की परस्पर विरोधी व्याख्याएं
  • सैन्यीकरण: दोनों पक्षों ने LAC पर सैन्य उपस्थिति में वृद्धि की है।
  • रणनीतिक हित:
    • चीन: अक्साई चिन में राजमार्ग, अरुणाचल में तिब्बती सांस्कृतिक दावे।
    • भारत: क्षेत्रीय अखंडता और रणनीतिक गहराई।
  • हालिया तनाव: 2020 में गलवान संघर्ष से अविश्वास में वृद्धि 
  • जलवायु परिवर्तन: हिमनद के पिघलने से संसाधन विवाद और बुनियादी ढांचे की चुनौतियां
  • चीन की सलामी स्लाइसिंग रणनीति: क्रमिक अतिक्रमण से LAC पर तनाव बढ़ाता है।

हालिया विकासक्रम

  • 2024:
    • अक्टूबर में विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने लद्दाख में पूर्ण सैन्य विघटन और गश्त समझौते की घोषणा की।
  • 2025:
    • भारत ने LAC पर 40 नए बॉर्डर आउट पोस्ट की वृद्धि की, 56 को उन्नत किया और गश्त की आवृत्ति में वृद्धि की।
    • चीन ने अप्रैल में ‘मानक मानचित्र’ जारी किया है जिसमें अरुणाचल एवं अक्साई चिन को चीन का क्षेत्र दिखाया गया है जिसकी भारत ने निंदा की है।
    • अमेरिका ने मैकमाहन रेखा को मान्यता दी है; भारत ने भूटान की गेलेफू माइंडफुलनेस सिटी का समर्थन किया है।

आगे की राह

  • पैकेज डील:
    • पूर्ण सीमा समाधान के साथ भू-राजनीतिक एवं व्यापार मुद्दों को संबोधित करना
    • वर्ष 1899 (अक्साई चिन) और वर्ष 1914 (अरुणाचल) संरेखणों की स्वीकृति
    • सुरक्षा चिंताओं के लिए क्षेत्रीय आदान-प्रदान
  • सिद्धांत:
    • समाधान दोनों देशों की गरिमा और आत्म-सम्मान के अनुरूप हो
    • कोई पक्ष हार न माने; समान और मित्रवत दृष्टिकोण अपनाएँ
  • रणनीति:
    • भारत: क्वाड जैसे क्षेत्रीय गठबंधनों को मजबूत करना
    • चीन: नक्शों से हटकर बातचीत पर ध्यान देना
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