New
GS Foundation (P+M) - Delhi : 28th Sept, 11:30 AM Hindi Diwas Offer UPTO 75% + 10% Off, Valid Till : 15th Sept. 2025 GS Foundation (P+M) - Prayagraj : 25th Sept., 11:00 AM Hindi Diwas Offer UPTO 75% + 10% Off, Valid Till : 15th Sept. 2025 GS Foundation (P+M) - Delhi : 28th Sept, 11:30 AM GS Foundation (P+M) - Prayagraj : 25th Sept., 11:00 AM

भारतीय बीमा विनियामक एवं विकास प्राधिकरण

सरकार ने आर्थिक मामलों के विभाग (डीईए) के पूर्व सचिव अजय सेठ को भारतीय बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण (आईआरडीएआई) का नया अध्यक्ष नियुक्त किया है।

भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (IRDAI) के बारे में

ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

  • भारत में बीमा क्षेत्र की शुरुआत वर्ष 1818 में ओरिएंटल लाइफ इंश्योरेंस कंपनी से हुई थी।
  • स्वतंत्रता के बाद बीमा कंपनियों का राष्ट्रीयकरण हुआ:
    • वर्ष 1956 में जीवन बीमा क्षेत्र का राष्ट्रीयकरण कर LIC की स्थापना हुई।
    • वर्ष 1972 में जनरल बीमा क्षेत्र का राष्ट्रीयकरण कर GIC की स्थापना हुई।
  • आर्थिक उदारीकरण के बाद निजी और विदेशी निवेश को बीमा क्षेत्र में अनुमति देने की मांग बढ़ी। जिसके लिए वर्ष 1994 में सरकार ने आर.एन. मल्होत्रा समिति गठित की गई, जिसने बीमा क्षेत्र में सुधारों की सिफारिश की।
  • इस समिति की सिफारिशों के आधार पर IRDAI की स्थापना वर्ष 1999 में IRDA Act, 1999 के तहत की गई।
  • यह संस्था अप्रैल 2000 से स्वायत्त नियामक निकाय के रूप में कार्यरत है।

उद्देश्य 

  • बीमा धारकों के हितों की रक्षा करना।
  • बीमा क्षेत्र का विनियमन और संतुलित विकास सुनिश्चित करना।
  • बाजार में प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देना और पारदर्शिता लाना।
  • निवेशकों और ग्राहकों में विश्वास बनाए रखना।
  • नवीन बीमा उत्पादों के लिए मार्ग प्रशस्त करना।

संरचना

  • IRDAI एक स्वायत्त और वैधानिक निकाय है, जिसमें सदस्यों की नियुक्ति केंद्र सरकार द्वारा की जाती है।
  • इसमें निम्नलिखित सदस्य होते हैं: (अधिकतम कुल 10 सदस्य)
    • 1 अध्यक्ष
    • अधिकतम 5 पूर्णकालिक सदस्य
    • अधिकतम 4 अंशकालिक सदस्य

भूमिका

  • विनियामक निकाय: भारत में जीवन और गैर-जीवन बीमा क्षेत्रों को नियंत्रित और पर्यवेक्षण करने वाली शीर्ष संस्था।
  • पॉलिसीधारक संरक्षण: पॉलिसीधारकों के अधिकारों की रक्षा के लिए नियम और दिशानिर्देश लागू करना।
  • बाजार विकास: बीमा क्षेत्र में नवाचार, डिजिटलीकरण और वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देना।
  • वित्तीय निगरानी: बीमा कंपनियों की वित्तीय सेहत और सॉल्वेंसी की निगरानी करना।
  • अंतरराष्ट्रीय सहयोग: वैश्विक मानकों के अनुरूप बीमा बाजार को बनाए रखने के लिए अंतरराष्ट्रीय नियामकों के साथ सहयोग करना।

प्रमुख कार्य

  • पंजीकरण एवं लाइसेंसिंग: बीमा कंपनियों, मध्यस्थों व एजेंटों को पंजीकरण प्रमाणपत्र जारी करना; नवीनीकरण, संशोधन, निलंबन या रद्द करना
  • उत्पाद अनुमोदन : बीमा उत्पादों एवं पॉलिसियों को बाजार में लाने से पहले उनकी समीक्षा और अनुमोदन करना
  • प्रीमियम नियमन : अनुचित मूल्य निर्धारण को रोकने के लिए प्रीमियम दरों को नियंत्रित करना
  • निरीक्षण एवं ऑडिट : विनियामक मानकों का पालन सुनिश्चित करने के लिए बीमा कंपनियों का नियमित निरीक्षण एवं ऑडिट करना
  • शिकायत निवारण : एकीकृत शिकायत प्रबंधन प्रणाली (IGMS) के माध्यम से पॉलिसीधारकों की शिकायतों का समाधान करना
  • उपभोक्ता शिक्षा : बीमा के लाभों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए शैक्षिक वेबसाइट एवं अभियान का संचालन
« »
  • SUN
  • MON
  • TUE
  • WED
  • THU
  • FRI
  • SAT
Have any Query?

Our support team will be happy to assist you!

OR
X