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K-वीज़ा: चीन की नई सॉफ्ट रणनीति

(प्रारंभिक परीक्षा: समसामयिक घटनाक्रम)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2: भारत के हितों पर विकसित व विकासशील देशों की नीतियों तथा राजनीति का प्रभाव; प्रवासी भारतीय)

संदर्भ 

जहाँ अमेरिका ने अपने H-1B वीज़ा की फीस को बढ़ाकर लगभग $100,000 कर दिया है, वहीं चीन ने अंतरराष्ट्रीय विज्ञान और तकनीक के पेशेवरों को आकर्षित करने के लिए ‘K वीज़ा’ की घोषणा की है। यह वीज़ा 1 अक्तूबर से लागू होगा और इसका उद्देश्य वैश्विक युवा प्रतिभाओं को चीन की रिसर्च एवं इनोवेशन प्रणाली से जोड़ना है।

K वीज़ा के बारे में

  • K वीज़ा चीन द्वारा शुरू किया गया एक नया वीज़ा श्रेणी है जो विशेष रूप से विज्ञान, तकनीक, इंजीनियरिंग एवं गणित (STEM) क्षेत्रों में काम करने वाले युवा पेशेवरों के लिए है। 
  • इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसके लिए किसी चीनी कंपनी या संस्था से आमंत्रण (Invitation) की जरूरत नहीं है।

K वीज़ा की मुख्य विशेषताएँ 

  • मल्टीपल एंट्री (Multiple Entry): वीज़ा धारक कई बार चीन आ-जा सकते हैं।
  • लंबी वैधता और प्रवास (Extended Stay): अन्य वीज़ा की तुलना में लंबे समय तक रहने की अनुमति है।
  • कोई आमंत्रण जरूरी नहीं: चीनी नियोक्ता से पूर्व अनुमति की जरूरत नहीं है।
  • गतिविधियों की आज़ादी: वीज़ा धारक शिक्षा, शोध, व्यापार, सांस्कृतिक आदान-प्रदान और स्टार्टअप जैसे क्षेत्रों में सक्रिय रह सकते हैं।

K वीज़ा के लाभ

  • वैश्विक प्रतिभा को आकर्षित करना: दुनिया भर के योग्य वैज्ञानिक एवं तकनीकी पेशेवरों को चीन आने के लिए प्रोत्साहित करेगा।
  • शोध एवं नवाचार को बढ़ावा: युवाओं की भागीदारी से चीन की R&D प्रणाली मजबूत होगी।
  • इंटरनेशनल सहयोग: बिना बाधा के विभिन्न देशों के वैज्ञानिकों के बीच साझेदारी को बढ़ावा मिलेगा।
  • स्टार्टअप एवं उद्यमिता में अवसर: नवाचार एवं उद्यमशीलता को नया बल मिलेगा।

इसके निहितार्थ

  • वैश्विक प्रतिस्पर्धा में चीन आगे: अमेरिका की वीज़ा नीतियों के विपरीत यह कदम चीन को प्रतिभा की वैश्विक होड़ में मजबूत करेगा।
  • प्रवासी पेशेवरों की बढ़ती संख्या: पहले ही 2025 की पहली छमाही में 38 मिलियन से ज़्यादा विदेशी यात्राएं दर्ज हुई हैं।
  • नवाचार आधारित अर्थव्यवस्था को बल: टैलेंट पावर स्ट्रैटेजी के तहत तकनीकी विकास को रफ्तार मिलेगी।

H-1B वीज़ा का विकल्प

  • H-1B वीज़ा अभी भी अमेरिका की टेक इंडस्ट्री के लिए अहम है, खासकर भारतीयों के लिए (71% H-1B वीज़ा भारतीयों के पास हैं)।
  • हालाँकि, K वीज़ा उन लोगों के लिए एक नया एवं आकर्षक विकल्प बन सकता है जो H-1B की सीमाओं व बढ़ती लागत से परेशान हैं।
  • विशेषकर शुरुआती करियर में चीन अब एक ‘विकल्प बाजार’ के रूप में उभर सकता है।

भारत के लिए चुनौतियाँ

  • ब्रेन ड्रेन की आशंका: भारत के कुशल STEM पेशेवर चीन की ओर आकर्षित हो सकते हैं।
  • प्रतिस्पर्धा में कमी: यदि भारत युवा वैज्ञानिकों को अवसर नहीं देगा, तो प्रतिभाएँ दूसरे देशों की ओर रुख करेंगी।
  • नीति एवं अवसरों की कमी: अभी तक भारत में ऐसा कोई व्यापक अंतर्राष्ट्रीय प्रतिभा-अनुकूल वीज़ा मॉडल नहीं है।
  • यदि चीन भारतीय पेशेवर को बड़ी संख्या में आकर्षित कर लेता है तो भविष्य की साझेदारियाँ प्रभावित हो सकती हैं।

आगे की राह

  • भारत को भी मजबूत वीज़ा नीति बनानी होगी, जो विदेशी टैलेंट को आकर्षित कर सके और देश में बने टैलेंट को रोके।
  • उच्च शिक्षा, अनुसंधान एवं स्टार्टअप इकोसिस्टम में सुधार जरूरी है ताकि भारत ग्लोबल टैलेंट की पहली पसंद बन सके।
  • नीतिगत लचीलापन एवं नवाचार को बढ़ावा देने वाली योजनाएं बनानी होंगी।
  • अमेरिका एवं चीन दोनों की नीतियों का गहराई से विश्लेषण कर भारत को अपना रोडमैप तैयार करना चाहिए।
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