New
The Biggest Summer Sale UPTO 75% Off, Offer Valid Till : 31 May 2025 New Batch for GS Foundation (P+M) - Delhi & Prayagraj, Starting from 2nd Week of June. UPSC PT 2025 (Paper 1 & 2) - Download Paper & Discussion Video The Biggest Summer Sale UPTO 75% Off, Offer Valid Till : 31 May 2025 New Batch for GS Foundation (P+M) - Delhi & Prayagraj, Starting from 2nd Week of June. UPSC PT 2025 (Paper 1 & 2) - Download Paper & Discussion Video

कर्नाटक का गिग वर्कर्स विधेयक

(प्रारम्भिक परीक्षा : भारतीय अर्थव्यवस्था)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2 व 3 : सरकारी नीतियों और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये हस्तक्षेप और उनके अभिकल्पन तथा कार्यान्वयन के कारण उत्पन्न विषय, भारतीय अर्थव्यवस्था और संबंधित मुद्दे)

संदर्भ

कर्नाटक ने कर्नाटक प्लेटफ़ॉर्म-आधारित गिग वर्कर्स (सामाजिक सुरक्षा एवं कल्याण) विधेयक, 2024 का मसौदा प्रस्तुत किया है। इसमें राज्य में प्लेटफ़ॉर्म-आधारित गिग वर्कर्स के लिए सामाजिक सुरक्षा एवं कल्याण उपाय प्रदान करने का प्रयास किया गया है। 

किसे कहते हैं गिग वर्कर्स

  • गिग वर्कर स्वतंत्र ठेकेदार, ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म वर्कर, कॉन्ट्रैक्ट फ़र्म वर्कर, ऑन-कॉल वर्कर और अस्थायी कर्मचारी होते हैं। गिग वर्कर कंपनी के ग्राहकों को सेवाएँ प्रदान करने के लिए ऑन-डिमांड कंपनियों के साथ औपचारिक समझौते करते हैं।
  • भारत के सामाजिक सुरक्षा सहिंता, 2020 के अनुसार, गिग वर्कर वह व्यक्ति है जो पारंपरिक नियोक्ता-कर्मचारी संबंध के बाहर काम करता है या काम की व्यवस्था में भाग लेता है और ऐसी गतिविधियों से आय अर्जित करता है।
  • गिग वर्कर्स के दो समूह हैं : प्लेटफॉर्म वर्कर्स एवं नॉन-प्लेटफॉर्म वर्कर्स।
    • प्लेटफार्म वर्कर : जब गिग वर्कर, ग्राहकों से जुड़ने के लिए ऑनलाइन एल्गोरिथम मैचिंग प्लेटफॉर्म या ऐप का इस्तेमाल करते हैं, तो उन्हें प्लेटफॉर्म वर्कर कहा जाता है, जैसे- ज़ोमैटो व ब्लिंकिट में काम करने वाले ‘डिलीवरी पर्सन’।
    • गैर-प्लेटफार्म वर्कर : जो लोग ऑनलाइन एल्गोरिथम मैचिंग प्लेटफॉर्म या ऐप के बाहर काम करते हैं, वे गैर-प्लेटफ़ॉर्म कर्मचारी हैं, जिनमें निर्माण श्रमिक और गैर-प्रौद्योगिकी-आधारित अस्थायी कर्मचारी शामिल हैं, जैसे- ठेकेदार के माध्यम से मजदूर, रिक्शा चालक। 

भारत में गिग वर्कर्स की स्थिति 

  • एक अध्ययन के अनुसार, वर्ष 2020-21 में गिग कार्यबल भारत में गैर-कृषि कार्यबल का 2.6% या कुल कार्यबल का 1.5% था। वर्ष 2029-30 तक भारत में गिग कर्मचारियों का गैर-कृषि कार्यबल में 6.7% या भारत में कुल आजीविका में 4.1% योगदान होने की उम्मीद है।
  • नीति आयोग की इंडियाज बूमिंग गिग एंड प्लेटफॉर्म इकोनॉमी पर रिपोर्ट के अनुसार, गिग कार्यबल की संख्‍या बढ़कर वर्ष 2029-30 तक 2.35 करोड़ हो जाने की उम्मीद है। 
  • बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप (BCG) की रिपोर्ट के अनुसार, इन नौकरियों से देश के सकल घरेलू उत्पाद में 1.25% की वृद्धि हो सकती है।

गिग वर्कर्स के समक्ष प्रमुख समस्याएँ 

  • चूंकि, गिग इकॉनमी पारंपरिक व पूर्णकालिक रोजगार के दायरे से बाहर होती है, इसलिए गिग श्रमिकों के पास आमतौर पर बुनियादी रोजगार अधिकारों की कमी होती है। 
  • इनको निम्न समस्याओं का सामना करना पड़ता है : 
    • गैर-निर्धारित न्यूनतम मजदूरी
    • ओवरटाइम भुगतान की समस्या 
    • चिकित्सा अवकाश का अभाव
    • नियोक्ता-कर्मचारी विवादों का वैधानिक रूप से बाध्य समाधान

विधेयक की कुछ प्रमुख बिंदु

  • 'अधिकार-आधारित विधेयक' के रूप में पेश किया गया कर्नाटक का यह मसौदा विधेयक प्लेटफॉर्म-आधारित गिग श्रमिकों के अधिकारों की रक्षा करने का प्रयास करता है।  यह सामाजिक सुरक्षा, व्यावसायिक स्वास्थ्य एवं श्रमिकों की सुरक्षा के संबंध में एग्रीगेटर्स पर दायित्व डालता है। 
  • इस मसौदे का उद्देश्य अनुचित बर्खास्तगी के खिलाफ सुरक्षा उपाय करना, श्रमिकों के लिए दो-स्तरीय शिकायत निवारण तंत्र लाना और प्लेटफार्मों द्वारा तैनात स्वचालित निगरानी व निर्णयन प्रणालियों के संबंध में अधिक पारदर्शिता लाना है।
  • इस मसौदा विधेयक के अनुसार, एग्रीगेटर एवं कर्मचारी के बीच अनुबंध में उन आधारों की विस्तृत सूची होनी चाहिए, जिनके आधार पर एग्रीगेटर द्वारा अनुबंध समाप्त किया जा सकता है। 
    • इसमें यह भी प्रावधान है कि एग्रीगेटर लिखित में वैध कारण बताए बिना और 14 दिन की पूर्व सूचना दिए बिना किसी कर्मचारी को काम से हटा नहीं सकता है।

गिग कार्य संबंधी मुद्दों का उदय

  • विगत दशक से ऐप आधारित कैब एवं रिटेल डिलीवरी सेक्टर आदि में विकास के साथ गिग व प्लेटफ़ॉर्म वर्कर्स की संख्या में निरंतर वृद्धि हो रही है। 
  • हाल के दिनों में भारत में राजस्व बंटवारे, काम के घंटों (अवधि) और विभिन्न अन्य कार्य स्थितियों व रोजगार की शर्तों के मुद्दे पर गिग श्रमिकों द्वारा लगातार विरोध बढ़ रहा है। 
  • मौजूदा कानूनी ढांचे के भीतर गिग वर्कर्स से संबंधित मुद्दों को हल करना मुश्किल है क्योंकि गिग इकॉनमी में रोजगार संबंध की अपेक्षा श्रम कानूनों में कानूनी ढांचा स्वाभाविक रूप से नियोक्ता-कर्मचारी संबंध पर आधारित है।
  • गिग कर्मचारी कानूनी अधिकार के रूप में उचित व्यवहार, बेहतर कामकाजी परिस्थितियों और सामाजिक सुरक्षा तक पहुंच की मांग करते हैं।

विधेयक मसौदे के विरोध के मुख्य कारण 

  • राजस्थान एवं कर्नाटक द्वारा अपनाया गया कल्याण बोर्ड मॉडल गिग वर्कर्स के लिए कुछ कल्याणकारी योजनाएं प्रदान करता है किंतु यह संस्थागत सामाजिक सुरक्षा लाभों, जैसे- भविष्य निधि, ग्रेच्युटी या मातृत्व लाभ प्रदान नहीं करता है, जिसके लिए कानूनी रूप से हकदार नियमित कर्मचारी हैं। 
    • राजस्थान गिग श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित करने वाला देश का पहला राज्य है।
  • कर्नाटक का विधेयक गिग वर्कर्स के लिए न्यूनतम वेतन या काम के घंटों के मुद्दे को संबोधित नहीं करता है। अधिनियम की धारा 16 भुगतान कटौती के संबंध में आय सुरक्षा पर चर्चा करती है किंतु एग्रीगेटर्स व गिग वर्कर्स के बीच न्यूनतम आय, वेतन अधिकार या राजस्व बंटवारे की गारंटी नहीं देती है।
    • धारा 16(2) में वर्कर्स के लिए न्यूनतम राशि निर्दिष्ट किए बिना केवल साप्ताहिक भुगतान देने की आवश्यकता है।
  • सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020 और राजस्थान का प्लेटफ़ॉर्म-आधारित गिग वर्कर्स (पंजीकरण और कल्याण) अधिनियम, 2023 की तरह ही कर्नाटक का प्रस्तावित विधेयक गिग इकॉनमी में रोजगार संबंधों को संबोधित करने में विफल रहा है। 
    • यह रोजगार संबंधों को स्पष्ट नहीं करता है और नियोक्ताओं को कानूनी दायित्वों से मुक्त करता है, जिससे श्रमिकों के अधिकारों की रक्षा करना मुश्किल हो जाता है।

सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020 के मुख्य प्रावधान

  • इस संहिता में पहली बार श्रम कानूनों के दायरे में गिग श्रमिकों को शामिल किया गया है। इसमें श्रमिकों और कर्मचारियों के बीच अंतर किया गया है।
  • गिग कर्मचारियों के लिए एक सामाजिक सुरक्षा कोष की स्थापना का प्रावधान है, जिसमें गिग नियोक्ताओं को अपने वार्षिक टर्नओवर का 1-2% योगदान करना होगा।
  • केंद्र एवं राज्य सरकारों को गिग वर्कर्स के लिए उपयुक्त सामाजिक सुरक्षा योजनाएं बनानी चाहिए। 
  • यह संहिता योजनाओं के कार्यान्वयन की निगरानी के लिए केंद्र सरकार द्वारा एक राष्ट्रीय सामाजिक सुरक्षा बोर्ड के गठन की भी परिकल्पना करती है।

क्या किया जाना चाहिए

  • एक थिंक टैंक ने 'स्टार्टअप इंडिया पहल' की तर्ज पर 'प्लेटफॉर्म इंडिया पहल' शुरू करने की सिफारिश की है, जो सरलीकरण और हैंडहोल्डिंग, फंडिंग सहायता व प्रोत्साहन, कौशल विकास एवं सामाजिक वित्तीय समावेशन द्वारा प्लेटफॉर्मीकरण को गति देने के स्तंभों पर आधारित है। 
  • क्षेत्रीय एवं ग्रामीण व्यंजन, स्ट्रीट फूड आदि बेचने में संलग्न स्व-नियोजित व्यक्तियों को भी प्लेटफॉर्म से जोड़ा जा सकता है ताकि वे अपने उत्पाद को कस्बों व शहरों के व्यापक बाजारों में बेच सकें।
  • प्लेटफ़ॉर्म कर्मियों और अपने स्वयं के प्लेटफ़ॉर्म स्थापित करने में रुचि रखने वालों के लिए विशेष रूप से डिज़ाइन किए गए वित्तीय उत्पादों के माध्यम से इनकी संस्थागत ऋण तक पहुँच बढ़ाई जा सकती है।
  • सभी आकार के प्लेटफ़ॉर्म व्यवसायों को राजस्व-पूर्व और प्रारंभिक-राजस्व चरणों में उद्यम पूंजी निधि, बैंकों व अन्य वित्तपोषण एजेंसियों से अनुदान एवं ऋण प्रदान किया जाना चाहिए।
  • श्रमिकों और उनके परिवारों के लिए लैंगिक संवेदनशीलता व सुगम्यता जागरूकता कार्यक्रम, भारत में गिग एवं प्लेटफॉर्म श्रमिकों के लिए सामाजिक सुरक्षा का विस्तार तथा प्लेटफॉर्म अर्थव्यवस्था के प्रमुख पहलुओं पर एक व्यापक अध्ययन आयोजित करना आवश्यक है।
« »
  • SUN
  • MON
  • TUE
  • WED
  • THU
  • FRI
  • SAT
Have any Query?

Our support team will be happy to assist you!

OR