New
GS Foundation (P+M) - Delhi : 22nd August, 3:00 PM August Super Sale UPTO 75% Off, Valid Till : 15th Aug 2025 GS Foundation (P+M) - Prayagraj : 24th August, 5:30 PM August Super Sale UPTO 75% Off, Valid Till : 15th Aug 2025 GS Foundation (P+M) - Delhi : 22nd August, 3:00 PM GS Foundation (P+M) - Prayagraj : 24th August, 5:30 PM

कॉर्पोरेट निवेश में निरंतर गिरावट

(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3: भारतीय अर्थव्यवस्था तथा योजना, संसाधनों को जुटाने, प्रगति, विकास तथा रोज़गार से संबंधित विषय)

संदर्भ

  • भारत के सकल घरेलू उत्पाद, सार्वजनिक पूंजीगत व्यय में निरंतर वृद्धि के साथ ही उपभोग में सुधार हो रहा है। फिर भी, निजी कॉर्पोरेट निवेश की गति धीमी बनी हुई है, जिससे आर्थिक विकास की दीर्घकालिक स्थिरता को लेकर चिंताएँ बढ़ रही हैं।
  • 30 जून को सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (MoSPI) ने औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (IIP) की मासिक वृद्धि दर जारी की, जो नौ महीने के निचले स्तर 1.2% पर आ गई है।

निम्न कॉर्पोरेट निवेश के लिए उत्तरदायी कारण

  • कम क्षमता उपयोग : उद्योग पूरी क्षमता (~73-75%) का उपयोग नहीं कर रहे हैं, इसलिए उत्पादन बढ़ाने की कोई तत्काल आवश्यकता नहीं है।
  • कमज़ोर माँग परिदृश्य : ग्रामीण माँग कमजोर बनी हुई है। शहरी उपभोग का झुकाव धनी वर्ग की ओर है; निम्न-आय वर्ग अभी भी सतर्क हैं।
  • उच्च ब्याज दरें : भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) की सख्त मौद्रिक नीति (मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए) ने कंपनियों के लिए उधार लेने की लागत बढ़ा दी है।
  • वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता : वर्तमान में ज़ारी भू-राजनीतिक तनाव (जैसे- रूस-यूक्रेन, लाल सागर संकट) और प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में मंदी निर्यात-उन्मुख निवेश में विश्वास को कम करती है।
  • कंपनियों का बैलेंस शीट सुधारने पर ध्यान : महामारी के बाद कंपनियाँ निवेश करने के बजाय ऋण चुकाने और बैलेंस शीट सुधारने पर ध्यान केंद्रित कर रही हैं।
  • नीतिगत एवं नियामक अनिश्चितता : अनुमोदनों में देरी, अनुपालन मानदंडों में बदलाव और न्यायिक अड़चनें दीर्घकालिक निवेश में बाधा डालती हैं।

सकारात्मक संकेत

  • स्वस्थ कॉर्पोरेट लाभ : कई सूचीबद्ध कंपनियों को अच्छा लाभ मिल रहा है, जो निवेश की संभावना का संकेत देता है।
  • पीएलआई योजना : इलेक्ट्रॉनिक्स, ऑटो कंपोनेंट्स और सौर उपकरण जैसे क्षेत्रों में नए निवेश देखने को मिल रहे हैं।
  • डिजिटल और हरित क्षेत्र : डाटा सेंटर, इलेक्ट्रिक वाहन एवं नवीकरणीय ऊर्जा में रुचि बढ़ रही है।

आगे की राह

  • उपभोग मांग को बढ़ावा : मांग को प्रोत्साहित करने के लिए ग्रामीण आय और रोजगार सृजन में सुधार।
  • पूँजी की लागत को कम करना : मुद्रास्फीति में कमी आने पर, आर.बी.आई. ब्याज दरों में कटौती कर सकता है, जिससे निवेश की इच्छा बढ़ेगी।
  • नीतिगत स्थिरता और बुनियादी ढाँचे को बढ़ावा : पूर्वानुमानित कर, व्यापार एवं भूमि अधिग्रहण नीतियों में स्पष्टता के साथ ही निजी निवेश को आकर्षित करने के लिए सार्वजनिक बुनियादी ढाँचे पर निरंतर व्यय।
  • एम.एस.एम.ई. और नवाचार को समर्थन : ऋण पहुँच, अनुसंधान एवं विकास प्रोत्साहन और आपूर्ति श्रृंखला संपर्क को बढ़ावा
« »
  • SUN
  • MON
  • TUE
  • WED
  • THU
  • FRI
  • SAT
Have any Query?

Our support team will be happy to assist you!

OR
X