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भारत का पहला अंतरिक्ष मिशन- गगनयान

चर्चा में क्यों ?

इसरो अध्यक्ष वी. नारायणन ने बताया कि भारत का पहला मानवरहित अंतरिक्ष यान गगनयान मिशन (G1) इस वर्ष दिसंबर में अर्ध-मानव रोबोट व्योममित्र के साथ प्रक्षेपित होगा। उन्होंने कहा कि मिशन की अच्छी प्रगति हो रही है और अब तक कुल परीक्षणों का 80% यानी लगभग 7,700 परीक्षण पूरे हो चुके हैं। शेष 2,300 परीक्षण अगले वर्ष मार्च तक पूरे कर लिए जाएंगे।

गगनयान मिशन 

  • गगनयान भारत की एक महत्वाकांक्षी अंतरिक्ष मिशन है, जिसके अंतर्गत 3 सदस्यीय चालक दल को लगभग 400 किलोमीटर की निम्न पृथ्वी कक्षा (LEO) में तीन दिन के लिए भेजने और फिर उन्हें सुरक्षित रूप से पृथ्वी पर वापस लाने की योजना है। 
  • इस कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए भारत सरकार ने दो मानवरहित और एक मानवयुक्त मिशन को मंजूरी दी है। पहली मानवयुक्त उड़ान 2026 से पहले होने की संभावना है। 
  • गगनयान मिशन की सफलता भारत को अमेरिका, रूस और चीन के बाद मानव अंतरिक्ष उड़ान क्षमता हासिल करने वाला चौथा देश बनाएगी।

गगनयान मिशन का उद्देश्य और महत्व:

  • गगनयान का मुख्य उद्देश्य भारत में स्वदेशी मानव अंतरिक्ष उड़ान क्षमता का विकास करना है। 
  • इसके माध्यम से न केवल अंतरिक्ष यात्रियों को सुरक्षित रूप से कक्षा में भेजने और लाने की क्षमता विकसित होगी, बल्कि यह भारत के लिए दीर्घकालीन अंतरिक्ष अन्वेषण कार्यक्रमों की नींव भी रखेगा। 
  • इस मिशन से सूक्ष्मगुरुत्व वातावरण में प्रयोगों को प्रोत्साहन मिलेगा, जिससे चिकित्सा, भौतिकी और जैविक विज्ञान में नई खोजों का मार्ग खुलेगा। 
  • इसके साथ ही यह परियोजना भारतीय अनुसंधान प्रयोगशालाओं, उद्योगों और शैक्षणिक संस्थानों को एक साझा मंच प्रदान करती है।
  • इससे भारत को सौर मंडल और उससे आगे के अन्वेषण के लिए सस्ती और प्रभावी तकनीक विकसित करने की दिशा मिलेगी। यह छात्रों और युवाओं को विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में करियर बनाने के लिए प्रेरित करेगा। 
  • इसके अलावा, यह विदेश नीति का एक सशक्त उपकरण बनेगा क्योंकि इससे अंतरराष्ट्रीय सहयोग और साझेदारी को मजबूती मिलेगी।
  • सूक्ष्मगुरुत्व अनुसंधान से चिकित्सा, पदार्थ विज्ञान और जीव विज्ञान जैसे क्षेत्रों में महत्वपूर्ण खोजें संभव होंगी। साथ ही, गगनयान परियोजना से अंतरिक्ष उद्योग को गति मिलेगी, जिससे रोजगार और आर्थिक विकास दोनों को बढ़ावा मिलेगा।

मिशन हेतु आवश्यक तकनीकें 

  • इस मिशन के लिए इसरो को कई नई तकनीकों का विकास करना पड़ा है। सबसे पहले  LVM3 रॉकेट को मानव-योग्य प्रक्षेपण यान के लिए तैयार किया गया, जो इसरो का सबसे भरोसेमंद प्रक्षेपण यान है।
  • इसे विशेष रूप से संशोधित कर मानव को सुरक्षित रूप से अंतरिक्ष में ले जाने योग्य बनाया गया। 
  • इसमें तीन चरणीय प्रणोदन प्रणाली है; ठोस, द्रव और क्रायोजेनिक चरण  और इसमें क्रू एस्केप सिस्टम जैसी सुरक्षा तकनीक भी जोड़ी गई है।
  • दूसरी महत्वपूर्ण इकाई है कक्षीय मॉड्यूल (Orbital Module – OM), जिसमें क्रू मॉड्यूल और सेवा मॉड्यूल शामिल होंगे। 
  • क्रू मॉड्यूल अंतरिक्ष यात्रियों के रहने योग्य स्थान के रूप में काम करेगा, जिसमें नियंत्रण प्रणाली, जीवन रक्षक प्रणाली, एवियोनिक्स और पुनः प्रवेश के लिए विशेष सुरक्षा परत होगी। वहीं सेवा मॉड्यूल एक अदबावयुक्त संरचना होगी जो क्रू मॉड्यूल को ऊर्जा, प्रणोदन और तापीय नियंत्रण जैसी सुविधाएँ प्रदान करेगी।
  • क्रू एस्केप सिस्टम (CES) चालक दल की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए विकसित किया गया है, जो किसी आपात स्थिति में क्रू मॉड्यूल को रॉकेट से अलग कर देगा। इसके परीक्षण के लिए उड़ान परीक्षण वाहन और एबॉर्ट मिशन पहले ही सफलतापूर्वक पूरे किए जा चुके हैं। 
  • इसके अलावा, अंतरिक्ष यात्रियों को पृथ्वी जैसा वातावरण उपलब्ध कराने के लिए जीवन समर्थन प्रणाली विकसित की गई है, जिसमें ऑक्सीजन, जल, अपशिष्ट प्रबंधन और आपातकालीन निकास जैसी सुविधाएँ शामिल हैं।

अंतरिक्ष यात्री प्रशिक्षण

  • गगनयान मिशन के लिए अंतरिक्ष यात्रियों को विशेष प्रशिक्षण दिया जा रहा है। बेंगलुरु स्थित प्रशिक्षण केंद्र में उन्हें कक्षा प्रशिक्षण, शारीरिक क्षमता विकास, सिम्युलेटर अभ्यास, फ्लाइट सूट उपयोग, पैराबोलिक उड़ानों के जरिए सूक्ष्मगुरुत्व का अनुभव और एयरो-मेडिकल प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है।
  • इसके अतिरिक्त रिकवरी एवं उत्तरजीविता प्रशिक्षण भी शामिल है, ताकि वे आपात स्थिति से निपट सकें।

मिशन के विभिन्न चरण

  • मिशन को तीन चरणों में पूरा किया जाएगा। पहला है परीक्षण चरण, जिसमें एकीकृत वायु ड्रॉप टेस्ट, पैड एबॉर्ट टेस्ट और परीक्षण वाहन उड़ानें शामिल हैं। इन परीक्षणों का उद्देश्य पैराशूट प्रणाली, क्रू मॉड्यूल की आपात स्थिति में अलग होने की क्षमता और निरस्त मिशनों की सफलता को प्रमाणित करना है।
  • दूसरा चरण है मानवरहित मिशन, जिसमें तकनीक की विश्वसनीयता और सुरक्षा की पुष्टि की जाएगी। इसके लिए इसरो ने भारतीय नौसेना के सहयोग से जल जीवन रक्षा परीक्षण (WSTF) भी किया है। इस मिशन में मानव-सदृश महिला रोबोट ‘व्योममित्रा’ को भेजा जाएगा, जो सिस्टम के कार्य और सुरक्षा की जांच करेगी।
  • अंतिम और तीसरा चरण है मानवयुक्त मिशन, जिसमें 3 अंतरिक्ष यात्रियों को 400 किलोमीटर की कक्षा में भेजा जाएगा। यह भारत की अंतरिक्ष यात्रा के इतिहास में एक स्वर्णिम अध्याय होगा।

 गगनयान मिशन की चुनौतियाँ

  • इंसानों को अंतरिक्ष में भेजने के लिए भारी और जटिल प्रक्षेपण यान की आवश्यकता है, जो सामान्य संचार उपग्रहों की तुलना में कहीं अधिक जटिल कार्य है।
  • भारत में अभी तक पर्याप्त प्रशिक्षण और सिमुलेशन सुविधाएँ उपलब्ध नहीं हैं, जिसके कारण अंतरिक्ष यात्रियों के कुछ प्रशिक्षण मॉड्यूल के लिए अमेरिका और रूस पर निर्भर रहना पड़ता है। 
  • अंतरिक्ष में सीमित संसाधनों के साथ भोजन, जल और ऑक्सीजन उपलब्ध कराना और अपशिष्ट प्रबंधन करना भी कठिन कार्य है।
  • सबसे संवेदनशील पहलू है चालक दल की सुरक्षा। अंतरिक्ष के शून्य गुरुत्वाकर्षण वातावरण में उन्हें अवसाद, विकिरण के खतरे, थकान, निद्रा विकार और मानसिक तनाव जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। 
  • इन सभी चुनौतियों के बावजूद गगनयान भारत की अंतरिक्ष क्षमता और वैज्ञानिक प्रगति की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है।

प्रश्न. गगनयान मिशन में भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को किस कक्षा में भेजने की योजना है ?

(a) जियोस्टेशनरी कक्षा (GEO)

(b) भू-स्थैतिक स्थानांतरण कक्षा (GTO)

(c) निम्न पृथ्वी कक्षा (LEO) 

(d) ध्रुवीय कक्षा (Polar Orbit)

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