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मेड इन इंडिया लेबल योजना : भारतीय उत्पादों को वैश्विक पहचान

(प्रारंभिक परीक्षा: महत्त्वपूर्ण योजनाएं एवं कार्यक्रम)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2: सरकारी नीतियों और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये हस्तक्षेप तथा उनके अभिकल्पन एवं कार्यान्वयन के कारण उत्पन्न विषय)

संदर्भ

भारत ने कोविड-19 महामारी के दौरान आत्मनिर्भरता को अपनी प्राथमिकता बनाया और ‘आत्मनिर्भर भारत अभियान’ की शुरुआत की। इसके तहत मेक इन इंडिया पहल को और अधिक बल मिला। इसी क्रम में सरकार ने मेड इन इंडिया लेबल योजना शुरू की है।

मेड इन इंडिया लेबल योजना के बारे में 

परिचय 

यह योजना भारतीय उत्पादों को एक विशिष्ट पहचान, गुणवत्ता और वैश्विक बाजार में प्रतिष्ठा प्रदान करने के लिए डिज़ाइन की गई है। यह योजना न केवल घरेलू उद्योगों को प्रोत्साहित करती है, बल्कि उपभोक्ताओं में भारतीय उत्पादों के प्रति विश्वास भी बढ़ाती है।

योजना का उद्देश्य

  • भारतीय मूल के उत्पादों को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाना
  • घरेलू उद्योगों को ब्रांड के रूप में पहचान प्रदान करना
  • उपभोक्ताओं में उत्पाद की गुणवत्ता व प्रामाणिकता का विश्वास सुदृढ़ करना
  • आत्मनिर्भर भारत और वोकल फॉर लोकल अभियान को आगे बढ़ाना

योजना की विशेषताएँ

  • स्वैच्छिक प्रमाणन योजना : केवल वे निर्माता इस लेबल का उपयोग कर सकते हैं जो अपने उत्पादों का निर्माण/संयोजन भारत में करते हैं।
  • क्यूआर कोड युक्त लेबल : इससे उपभोक्ता को उत्पाद निर्माण स्थल, गुणवत्ता और अन्य जानकारी प्राप्त हो सकती है।
  • योजना का संचालन : भारतीय गुणवत्ता परिषद (QCI) और इंडिया ब्रांड इक्विटी फाउंडेशन (IBEF) के सहयोग से डी.पी.आई.आई.टी. (उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग) द्वारा
  • बजट : सरकार ने तीन वर्षों के लिए 995 करोड़ रुपए का प्रावधान किया है।

पात्रता व प्रक्रिया

  • केवल वही उद्यम पात्र होंगे जो अपने उत्पादों का निर्माण अधिकतर या पूर्णतः भारत में करते हैं।
  • गुणवत्ता मानकों और मूल्य संवर्धन (न्यूनतम 50%) को पूरा करना होगा।
  • आवेदन प्रक्रिया एम.आई.आई. (Make in India: MII) पोर्टल पर ऑनलाइन होगी, जिसके बाद सत्यापन और अनुमोदन के बाद लेबल उपयोग की अनुमति मिलेगी।

विभिन्न क्षेत्रों में विस्तार

  • इस्पात क्षेत्र : वर्ष 2023 में दो इस्पात उत्पादकों ने मेड इन इंडिया ब्रांडिंग अपनाई, जिससे उत्पादों को अंतर्राष्ट्रीय बाजार में मान्यता मिली।
  • वस्त्र और खादी : वर्ष 2024 में QCI एवं KVIC ने समझौता किया ताकि MSME और खादी उद्योगों को वैश्विक पहचान मिले।
  • इलेक्ट्रॉनिक्स : कानूनी माप विज्ञान नियमों में संशोधन कर क्यूआर कोड आधारित पारदर्शिता सुनिश्चित की गई।

योजना के लाभ

  • उपभोक्ताओं का विश्वास और पारदर्शिता बढ़ेगी।
  • भारतीय उद्योगों, विशेषकर MSME एवं स्टार्टअप्स को वैश्विक मंच पर पहचान मिलेगी।
  • रोजगार और निवेश में वृद्धि होगी।
  • भारत की रैंकिंग और प्रतिस्पर्धात्मकता वैश्विक स्तर पर बेहतर होगी।
  • निर्यात को बढ़ावा मिलेगा और ‘ब्रांड इंडिया’ की छवि सशक्त होगी।

चुनौतियाँ

  • छोटे उद्यमों के लिए गुणवत्ता मानकों और प्रमाणन की लागत
  • वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा में स्थायी स्थान बनाए रखना
  • उपभोक्ता जागरूकता और बाजार तक पहुँच सुनिश्चित करना

निष्कर्ष

मेड इन इंडिया लेबल योजना आत्मनिर्भर भारत, वोकल फॉर लोकल और मेक इन इंडिया जैसी पहलों की मजबूत कड़ी है। यह न केवल भारतीय उत्पादों को वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाएगी, बल्कि उपभोक्ताओं में विश्वास भी बढ़ाएगी। आने वाले समय में यह योजना भारत को ‘स्मार्ट नेशन’ और विनिर्माण हब बनाने में महत्वपूर्ण योगदान देगी।

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