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भारत की पहली AI-संचालित आंगनवाड़ी एवं संभावनाएं

(प्रारंभिक परीक्षा: समसामयिक घटनाक्रम)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2 व 3:
स्वास्थ्य, शिक्षा, मानव संसाधनों से संबंधित सामाजिक क्षेत्र/सेवाओं के विकास और प्रबंधन से संबंधित विषय; विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी- विकास एवं अनुप्रयोग और रोज़मर्रा के जीवन पर इसका प्रभाव)

संदर्भ

27 जुलाई, 2025 को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री ने महाराष्ट्र के नागपुर जिले के वडधमना गांव में भारत की पहली कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) संचालित आंगनवाड़ी का उद्घाटन किया। 

भारत में आंगनवाड़ी की स्थिति

  • आंगनवाड़ी भारत सरकार की एकीकृत बाल विकास सेवा (ICDS) योजना का हिस्सा हैं, जो वर्ष 1975 में शुरू हुई थी। 
  • इसका उद्देश्य 0-6 वर्ष के बच्चों, गर्भवती एवं धात्री महिलाओं को पोषण, स्वास्थ्य व प्रारंभिक शिक्षा प्रदान करना है।
  • यह ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में कुपोषण, स्वास्थ्य समस्याओं और शिक्षा की कमी से निपटने का एक महत्वपूर्ण साधन है।
  • भारत में लगभग 13.7 लाख आंगनवाड़ी केंद्र संचालित हैं, जिनमें लगभग 14 लाख आंगनवाड़ी कार्यकर्ता एवं सहायिकाएँ कार्यरत हैं, जो समुदाय और सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं के बीच कड़ी का काम करती हैं।

भारत की पहली AI संचालित आंगनवाड़ी

  • परिचय: नागपुर जिला परिषद के ‘मिशन बाल भरारी’ (Mission Bal Bharari) के अंतर्गत शुरू की गई यह परियोजना ग्रामीण बच्चों को डिजिटल साक्षरता और गुणवत्तापूर्ण प्रारंभिक शिक्षा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
  • उद्देश्य: ग्रामीण-शहरी डिजिटल अंतर (Digital Divide) को समाप्त करना।
  • सुविधाएं: वडधमना गांव की यह आंगनवाड़ी AI-सक्षम स्मार्ट बोर्ड, वर्चुअल रियलिटी (VR) हेडसेट्स, टैबलेट्स और इंटरएक्टिव डिजिटल कंटेंट से सुसज्जित है।
  • सहायता: तकनीकी भागीदार के रूप में Qolaba फर्म, भारत सरकार के IndiaAI कार्यक्रम के तहत इस पहल से जुड़ी है।
  • लागत: इस परियोजना को नागपुर जिला परिषद के CESS फंड से लगभग 9.5 लाख रुपए की लागत से शुरू किया गया।

विशेषताएँ

  • AI-सक्षम इंटरएक्टिव स्मार्ट बोर्ड और 10 VR हेडसेट्स के माध्यम से बच्चों की सीखने की प्रक्रिया को रोचक और व्यावहारिक बनाया गया।
  • Wi-Fi सक्षम CCTV कैमरे पारदर्शिता बनाए रखने के लिए लगाए गए हैं।
  • AI आधारित गमिफाइड (Gamified) लर्निंग सिस्टम के ज़रिये बच्चों की प्रतिक्रिया समय और समझदारी को ट्रैक किया जाता है।
  • सीखने की गति के आधार पर AI सिस्टम कठिनाई स्तर को स्वतः समायोजित करता है।
  • आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के लिए 3 महीने का प्रशिक्षण मॉड्यूल तैयार किया गया है,ताकि वे तकनीक से सहज हो सकें।

डिजिटल अंतराल को पाटने की दिशा में कदम

  • यह पहल ग्रामीण क्षेत्रों के बच्चों को शहरी बच्चों के समान डिजिटल शिक्षा का अवसर देने के उद्देश्य से की गई है।
  • AI-सक्षम शिक्षण विधियों से बच्चों में सीखने में रुचि, उपस्थिति एवं शैक्षणिक प्रदर्शन में वृद्धि देखी गई है।
  • पहले जहां केवल 10 बच्चे नियमित रूप से आते थे, अब 25 से अधिक बच्चे प्रतिदिन आंगनवाड़ी आते हैं।

चुनौतियाँ

  • तकनीकी उपकरणों की सुरक्षा और रखरखाव ग्रामीण क्षेत्रों में एक चुनौती है।
  • आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं पर पहले से कई जिम्मेदारियाँ हैं जिसके चलते तकनीकी प्रशिक्षण और उसके उपयोग में कठिनाई आती है।
  • ग्रामीण समुदाय एवं अभिभावकों को नई तकनीकों के प्रति जागरूक करना और विश्वास दिलाना भी एक चुनौती है।
  • डिजिटल ढांचे की स्थापना में इंटरनेट कनेक्टिविटी और तकनीकी संसाधनों की उपलब्धता बाधा बन सकती है।

आगे की राह

  • इस मॉडल को जिले की 40 अन्य आंगनवाड़ियों में विस्तारित करने की योजना है।
  • AI की मदद से पोषण ट्रैकिंग, भौतिक और मानसिक विकास की निगरानी करने की योजना है।
  • भविष्य में जनरेटिव AI का उपयोग कर बहुभाषी शिक्षा सामग्री विकसित करने की दिशा में काम किया जाएगा।
  • इस मॉडल को राष्ट्रीय स्तर पर अन्य ग्रामीण आंगनवाड़ियों में लागू करने की योजना है, जिससे यह तकनीकी पहल एक सामाजिक आंदोलन बन सके।
  • पोषण ट्रैकर के डाटा का उपयोग कर बच्चों के पोषण और सीखने के परिणामों की वास्तविक समय में निगरानी की जाएगी।
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