संदर्भ
हाल ही में भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICSSR) ने सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ डेवलपिंग सोसाइटीज़ (CSDS) को महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों से जुड़े आंकड़ों में कथित ‘छेड़छाड़’ (Data Manipulation) के आरोप में कारण बताओ नोटिस जारी करने का निर्णय लिया है। यह विवाद सोशल मीडिया पर किए गए एक भ्रामक दावे से जुड़ा है, जिसे बाद में हटा दिया गया।
ICSSR के बारे में
- यह भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद (Indian Council of Social Science Research: ICSSR), शिक्षा मंत्रालय के अधीन कार्यरत देश की शीर्ष वैधानिक संस्था है।
- यह भारत में सामाजिक एवं मानविकी अनुसंधान को बढ़ावा देने और उसका समन्वयन करने का दायित्व निभाती है।
पृष्ठभूमि
- ICSSR की स्थापना वर्ष 1969 में की गई थी।
- इसका उद्देश्य सामाजिक विज्ञान अनुसंधान को प्रोत्साहन देना और अनुसंधान संस्थानों के बीच सहयोग स्थापित करना था।
- प्रारंभ से ही यह भारत सरकार के प्रमुख थिंक-टैंक के रूप में कार्य करती रही है।
उद्देश्य
- सामाजिक विज्ञान अनुसंधान को गुणवत्तापूर्ण बनाना
- विभिन्न विश्वविद्यालयों और संस्थानों में शोध को प्रोत्साहित करना
- अनुसंधान के लिए वित्तीय सहायता एवं अनुदान प्रदान करना
- नीति-निर्माण में वैज्ञानिक और प्रमाण-आधारित शोध को शामिल करना
- अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारतीय सामाजिक अनुसंधान को बढ़ावा देना
भूमिका और कार्य
- अनुसंधान प्रोत्साहन : शोध परियोजनाओं के लिए अनुदान और फेलोशिप प्रदान करना
- प्रकाशन : शोध पत्र, जर्नल और रिपोर्ट प्रकाशित करना
- डाटा बैंक : सामाजिक-आर्थिक सर्वेक्षण एवं अध्ययन के लिए डाटा संग्रहण व उपलब्धता
- संस्थान सहायता : विभिन्न शोध संस्थानों को वित्तीय एवं तकनीकी सहयोग देना
- नीति योगदान : सरकार की नीतियों और योजनाओं के लिए शोध-आधारित सिफारिशें देना
सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ डेवलपिंग सोसाइटीज़ (CSDS)
- CSDS की स्थापना वर्ष 1963 में राजनीति विज्ञानी रजनी कोठारी ने दिल्ली में की थी। यह एक स्वायत्त सामाजिक विज्ञान अनुसंधान संस्थान है।
- इस केंद्र को वैश्विक दक्षिण के अग्रणी बौद्धिक संस्थानों में से एक माना जाता रहा है।
- इस केंद्र में सामाजिक विज्ञान और मानविकी के बीच संबंध स्थापित करने तथा भारतीय भाषाओं में राजनीतिक और नैतिक विचारों की गैर-यूरोपीय वंशावली की खोज करने की नई प्रतिबद्धता है।
- इसको वर्ष 1969 से भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय के अंतर्गत भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICSSR), नई दिल्ली द्वारा सहायता प्रदान की जा रही है।
- तुलनात्मक लोकतंत्र के लिए ‘लोकनीति’ कार्यक्रम की स्थापना वर्ष 1997 में CSDS के एक शोध कार्यक्रम के रूप में की गई थी।
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हालिया विवाद
- अगस्त 2025 में CSDS के प्रोफेसर संजय कुमार ने (सोशल मीडिया पर) महाराष्ट्र विधानसभा और लोकसभा चुनावों में मतदाताओं की संख्या में भारी गिरावट (अंतर) का दावा किया।
- बाद में उन्होंने अपनी गलती स्वीकार करते हुए पोस्ट हटा दी किंतु इस पर विवाद खड़ा हो गया।
- ICSSR ने आरोप लगाया कि CSDS ने चुनाव आयोग की साख को प्रभावित करने के उद्देश्य से भ्रामक आंकड़े प्रस्तुत किए।
- ICSSR ने इसे अनुदान नियमों का उल्लंघन मानते हुए CSDS को कारण बताओ नोटिस जारी करने का निर्णय लिया।
चुनौतियाँ
- राजनीतिक हस्तक्षेप का आरोप: कई बार शोध संस्थानों पर पक्षपातपूर्ण शोध करने का आरोप लगता है।
- फंडिंग में पारदर्शिता: अनुदान वितरण की निष्पक्षता सुनिश्चित करना चुनौती है।
- डाटा की प्रामाणिकता: विश्वसनीय एवं सटीक डाटा का संग्रह करना व उपयोग करना।
- शोध गुणवत्ता: शोध कार्य की गुणवत्ता को बनाए रखना और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाना।
- संस्थान की स्वतंत्रता: शोध संस्थानों को राजनीतिक दबाव से मुक्त रखना।
आगे की राह
- डाटा पारदर्शिता बढ़ाना: सभी शोध और आंकड़े सार्वजनिक रूप से सत्यापन योग्य बनाना
- शोध नैतिकता को सख्ती से लागू करना: शोधकर्ताओं के लिए आचार संहिता और कड़े मानदंड लागू करना
- निगरानी व मूल्यांकन: वित्तपोषित संस्थानों की समय-समय पर स्वतंत्र समीक्षा करना
- अंतर्राष्ट्रीय सहयोग: विदेशी संस्थानों के साथ मिलकर शोध गुणवत्ता को बेहतर बनाना
- जन विश्वास बहाली: ICSSR को उसके अधीन संस्थान में निष्पक्ष और तथ्य-आधारित अनुसंधान सुनिश्चित करना