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मशीन द्वारा पठनीय मतदाता सूची

(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2: विभिन्न संवैधानिक पदों पर नियुक्ति और विभिन्न संवैधानिक निकायों की शक्तियाँ, कार्य व उत्तरदायित्व)

संदर्भ 

भारतीय निर्वाचन आयोग (Election Commission of India: ECI) चुनावों में पारदर्शिता, सटीकता और सत्यापन में सरलता के लिए मतदाता सूचियों को मशीन द्वारा पठनीय बनाने की दिशा में काम कर रहा है।

क्या है मशीन पठनीय मतदाता सूची

  • ये मतदाता सूचियाँ एक मानकीकृत डिजिटल प्रारूप (जैसे- खोज योग्य पाठ, संरचित डाटा के साथ पी.डी.एफ.) में डिज़ाइन की गई हैं जिन्हें सॉफ्टवेयर द्वारा आसानी से पढ़ा जा सकता है।
  • यह तेज़ क्रॉस-सत्यापन, डाटा विश्लेषण और अन्य डिजिटल प्रणालियों के साथ एकीकरण को सक्षम बनाता है।

पूर्व में उपलब्धता 

  • वर्ष 2019 के आम चुनावों से एक वर्ष पहले चुनाव आयोग ने राज्य-स्तरीय मुख्य निर्वाचन अधिकारियों को अपनी वेबसाइट पर मशीन-पठनीय मतदाता सूची अपलोड करना बंद करने का आदेश दिया था।
  • तत्कालीन मुख्य चुनाव आयुक्त ने ऐसा विदेशी देशों को मतदाता सूची डाटा तक पहुँच को प्रतिबंधित करने के लिए किया था। 
  • कमलनाथ बनाम भारत निर्वाचन आयोग मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने वर्ष 2018 में चुनाव आयोग को मशीन-पठनीय मतदाता सूची डाटा प्रदान करने के लिए बाध्य करने से इनकार कर दिया था। 

आवश्यकता 

  • पारदर्शिता : मतदाता डाटा और दोहराव में विसंगतियों को दूर करता है।
  • दक्षता : राज्यों में नामों का तीव्र अद्यतन एवं सत्यापन।
  • एकरूपता : वर्तमान में विभिन्न राज्यों में नामावलियाँ विभिन्न प्रारूपों (स्कैन किए गए पी.डी.एफ., गैर-खोज योग्य चित्र) में उपलब्ध हैं।
  • तकनीकी उपकरणों के साथ एकीकरण : जी.आई.एस. मैपिंग, मतदाता ऐप्स और डाटा ऑडिट के साथ लिंक करने की सुविधा प्रदान करता है।
  • मतदाताओं के लिए आसानी : खोज योग्य नामावलियाँ नागरिकों के लिए अपनी प्रविष्टियों को सत्यापित करना आसान बनाती हैं।

चुनौतियाँ

  • गोपनीयता व डाटा सुरक्षा : मतदाता सूचियों में संवेदनशील व्यक्तिगत विवरण होते हैं।
  • डिजिटल विभाजन : दूरदराज के क्षेत्रों में पहुँच संबंधी समस्याएँ हो सकती हैं।
  • कार्यान्वयन में एकरूपता : इसके लिए चुनाव आयोग और राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों के बीच समन्वय आवश्यक है।

आगे की राह

  • पूरे भारत में एक मानकीकृत डिजिटल टेम्पलेट अपनाएँ जाने की आवश्यकता है।
  • डाटा सुरक्षा उपायों (एन्क्रिप्शन, प्रतिबंधित पहुँच) को सुद्ढ़ करने पर बल दिया जाना चाहिए।
  • सटीकता सुनिश्चित करने और दुरुपयोग को रोकने के लिए समय-समय पर ऑडिट करना अनिवार्य होना चाहिए।

निष्कर्ष

‘मशीन पठनीय’ मतदाता सूचियाँ भारत की चुनावी प्रणाली के आधुनिकीकरण की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम हैं। उचित सुरक्षा उपायों के साथ ये मतदाताओं का विश्वास मज़बूत करने के साथ ही त्रुटियों को कम कर सकती हैं और चुनावों को अधिक कुशल एवं पारदर्शी बना सकती हैं।

इसे भी जानिए!

  • भारत में मतदाता सूचियाँ वोट देने की अनुमति या अस्वीकृति देने वाली  आधिकारिक सूची होती है।
  • नए पात्र मतदाताओं के मतदान के लिए पंजीकरण कराने, पता बदलने या अपात्र होने पर इन्हें लगातार अपडेट किया जाता है। 
  • मतदाता सूचियाँ चुनाव आयोग के अधिकार क्षेत्र में जिला स्तर के अधिकारियों द्वारा तैयार की जाती हैं जिनके पास ERONET नामक एक डिजिटल एप्लिकेशन है। 
  • ERONET का उपयोग चुनाव आयोग मतदाता सूची में नए नाम जोड़ने या हटाने के आवेदनों को संसाधित करने के लिए करता है। 
  • चुनाव आयोग के पास भारत के प्रत्येक मतदाता के डाटा के पूरे भंडार तक पहुँच है। वे इस डाटा को ‘इमेज पीडीएफ’ फ़ाइलें उपलब्ध कराकर या राजनीतिक दलों और आम जनता को प्रिंटआउट देकर सुलभ बनाते हैं। 
  • मतदाता सूचियों में सभी मतदाताओं की एक तस्वीर शामिल होती है किंतु यह तस्वीर चुनाव आयोग की वेबसाइट पर उपलब्ध इमेज पी.डी.एफ. फाइलों में शामिल नहीं होती है। 
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