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प्रमुख आयोग/संस्था

1.लोकपाल

2.राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (NCBC)

3.संघ लोक सेवा आयोग (UPSC)

4.विधि आयोग

5. राष्ट्रीय महिला आयोग

 

लोकपाल

Lokpal

  • यह एक भ्रष्टाचार-रोधी संस्था है, जिसे लोकपाल और लोकायुक्त अधिनियम, 2013 द्वारा स्थापित किया गया है। इसका उद्देश्य लोक सेवकों से जुड़े भ्रष्टाचार के मामलों की जांच करना और उन पर मुकदमा चलाना है।
  • प्रथम और द्वितीय प्रशासनिक सुधार आयोग (ARC), दोनों ने लोकपाल संस्था की स्थापना की सिफारिश की थी।
  • राज्य स्तर पर लोकायुक्त का गठन किया जाता है, लेकिन इसकी संरचना सभी राज्यों में एक समान नहीं है।
    • लोकायुक्त की नियुक्ति: राज्यपाल द्वारा (आम तौर पर संबंधित राज्य उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश और राज्य विधान सभा में विपक्ष के नेता के परामर्श से) की जाती है।

लोकपाल की संरचना:

  • लोकपाल में एक अध्यक्ष (वर्तमान या भूतपूर्व भारत का मुख्य न्यायाधीश (CJI) या सुप्रीम कोर्ट का वर्तमान या भूतपूर्व न्यायाधीश) और 8 सदस्य होते हैं।
  • लोकपाल के 50% सदस्य न्यायिक पृष्ठभूमि के होते हैं।
  • इनकी नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है।

लोकपाल का कार्यकाल:

  • लोकपाल के अध्यक्ष और सदस्य का कार्यकाल उनके पदभार ग्रहण करने की तारीख से पाँच वर्ष या 70 वर्ष की आयु प्राप्त करने तक (जो भी पहले हो) होता है।
  • लोकपाल का अध्यक्ष और सदस्य सेवानिवृत्ति के बाद पुनः लोकपाल के अध्यक्ष या सदस्य के रूप में नियुक्ति के लिए पात्र नहीं होंगे।
    • हालांकि, यदि किसी सदस्य का कुल कार्यकाल पाँच वर्ष से अधिक नहीं हुआ हो, तो उसे लोकपाल के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया जा सकता है।

प्रथम और वर्तमान लोकपाल:

  • न्यायमूर्ति पिनाकी चंद्र घोष (2019) भारत के पहले लोकपाल थे।
  • वर्तमान लोकपाल न्यायमूर्ति ए. एम. खानविलकर हैं।

 राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (NCBC)

राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (NCBC) के बारे में:

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  • संवैधानिक निकाय:
    राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग को 102वें संविधान संशोधन अधिनियम, 2018 के तहत संविधान में जोड़ा गया है। यह अनुच्छेद 338B के तहत स्थापित किया गया है।
    अनुच्छेद 338B के अनुसार, केंद्र और प्रत्येक राज्य सरकार के लिए यह अनिवार्य है कि वे OBCs (पिछड़ा वर्ग) के अधिकारों को प्रभावित करने वाले सभी प्रमुख नीतिगत मामलों पर NCBC से परामर्श करें।
  • संरचना:
    आयोग की संरचना में एक अध्यक्ष, एक उपाध्यक्ष और तीन अन्य सदस्य होते हैं, जिनकी नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है। उनकी सेवा शर्तें भी राष्ट्रपति द्वारा निर्धारित की जाती हैं।
  • शक्तियां:
    आयोग के पास सिविल न्यायालय की सभी शक्तियां होती हैं।

राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग के प्रमुख कार्य:

  1. पिछड़े वर्गों के लिए रक्षोपायों की जांच और निगरानी करना।
  2. पिछड़े वर्गों द्वारा अधिकारों से वंचित होने के संबंध में विशिष्ट शिकायतों की जांच करना।
  3. OBCs के सामाजिक-आर्थिक विकास पर सलाह देना और उनकी प्रगति का मूल्यांकन करना।
  4. OBCs की उन्नति के संबंध में अन्य कार्य करना, जो राष्ट्रपति द्वारा निर्दिष्ट किए गए हों।
  5. पिछड़े वर्गों के लिए रक्षोपायों को लागू करने के संबंध में राष्ट्रपति को वार्षिक रूप से रिपोर्ट प्रस्तुत करना और सिफारिशें करना।

संघ लोक सेवा आयोग (UPSC)

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संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) के बारे में:

  • संविधानिक प्रावधान:
    अनुच्छेद 315 में उल्लेख है कि संघ के लिए एक लोक सेवा आयोग और प्रत्येक राज्य के लिए एक लोक सेवा आयोग होगा।

UPSC के अध्यक्ष के बारे में (अनुच्छेद 316):

  • नियुक्ति:
    UPSC के अध्यक्ष की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है।
  • कार्यकाल:
    UPSC के अध्यक्ष का कार्यकाल 6 वर्ष या 65 वर्ष की आयु (जो भी पहले हो) तक होता है।
  • नियुक्ति के लिए पात्रता:
    UPSC के अध्यक्ष के लिए केंद्र सरकार या किसी राज्य सरकार के अधीन कम से कम दस वर्षों तक सरकारी सेवा में कार्य का अनुभव होना आवश्यक है।
  • सेवानिवृत्ति के बाद:
    UPSC के अध्यक्ष को भारत सरकार या किसी राज्य सरकार के अधीन नियोजन यानी रोजगार के लिए पात्र नहीं माना जाएगा।
  • पद से हटाया जाना:
    UPSC के अध्यक्ष को निम्नलिखित परिस्थितियों में राष्ट्रपति द्वारा पद से हटाया जा सकता है
    • यदि उन्हें दिवालिया घोषित कर दिया गया हो।
    • यदि वह अपने कार्यकाल के दौरान अपने पद के कर्तव्यों के अलावा किसी अन्य सवेतन नियोजन या रोजगार में संलग्न हो।
    • यदि वह मानसिक या शारीरिक विकृति के कारण पद पर बने रहने के लिए अक्षम हो।

विधि आयोग

Law-Commission

चर्चा में क्यों?

राष्ट्रपति ने 23वें विधि आयोग के गठन को मंजूरी दे दी है।  इसका गठन तीन साल के लिए किया गया है, जो 1 सितंबर, 2024 से 31 अगस्त, 2027 तक के कार्यकाल के लिए होगा।

23वें विधि आयोग:

  • इस आयोग का मुख्य कार्य भारतीय विधिक व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए कानूनी सुधारों की समीक्षा करना और सुझाव देना है।
  • इसमें एक पूर्णकालिक अध्यक्ष, चार सदस्य, और अतिरिक्त पदेन एवं अंशकालिक सदस्य शामिल होंगे।

भारतीय विधि आयोग के बारे में:

  • गठन: विधि आयोग का गठन पहली बार 1834 में गवर्नर-जनरल द्वारा लॉर्ड मैकाले की अध्यक्षता में किया गया था।
  • कानूनी आधार: विधि आयोग का गठन चार्टर एक्ट, 1833 के तहत दिए गए अधिकारों के आधार पर किया गया था।
  • संस्था का प्रकार: यह एक गैर-सांविधिक निकाय है, जिसे विधि एवं न्याय मंत्रालय की अधिसूचना द्वारा गठित किया जाता है।
  • मुख्य उद्देश्य: इसका उद्देश्य समाज में न्याय सुनिश्चित करने और विधि के शासन के तहत सुशासन को बढ़ावा देने के लिए कानूनों में सुधार हेतु सिफारिशें करना है।
  • कार्य: यह विधिक विषयों पर रिसर्च करता है और विचारार्थ विषयों के आधार पर सिफारिशें प्रदान करता है।

राष्ट्रीय महिला आयोग

 National-Commission-for-Women

राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW):

  • स्थापना: 31 जनवरी, 1992
  • संवैधानिक आधार: राष्ट्रीय महिला आयोग अधिनियम, 1990 के तहत गठित
  • प्रकार: वैधानिक निकाय
  • उद्देश्य: महिलाओं के संवैधानिक और कानूनी अधिकारों की रक्षा करना और उन्हें सशक्त बनाना।

संरचना:

  • एक अध्यक्ष
  • पाँच अन्य सदस्य
    • कम से कम एक सदस्य अनुसूचित जाति (SC) और एक अनुसूचित जनजाति (ST) समुदाय से अनिवार्य रूप से होना चाहिए।
  • एक सदस्य सचिव
    (सभी की नियुक्ति भारत सरकार द्वारा की जाती है)

महिला आयोग के प्रमुख कार्य:

  1. महिलाओं के अधिकारों की सुरक्षा और उनके संवैधानिक प्रावधानों की निगरानी।
  2. महिलाओं के साथ हिंसा, उत्पीड़न और भेदभाव के मामलों की जांच करना।
  3. सरकार को महिला कल्याण योजनाओं और कानूनी सुधारों पर परामर्श देना।
  4. लैंगिक समानता और महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देना।
  5. महिलाओं से संबंधित विषयों पर रिपोर्ट तैयार करना और अनुशंसा देना।
  6. महिलाओं की शिकायतों का निवारण और उनके अधिकारों के हनन के मामलों में हस्तक्षेप करना।

महिला आयोग की शक्तियां:

  • आयोग को सिविल न्यायालय की सभी शक्तियां प्राप्त हैं।
  • यह किसी भी व्यक्ति को समन जारी कर सकता है, दस्तावेजों की जांच कर सकता है और साक्ष्य एकत्र कर सकता है।
  • आयोग सरकार को कानूनी सुधारों के लिए सुझाव दे सकता है।
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