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मार्स ओडिसी मिशन

  • नासा ने मार्स ओडिसी ऑर्बिटर से हमारे सौरमंडल के सबसे बड़े ज्वालामुखी ‘ओलंपस मॉन्स’ (Olympus Mons) का एक दृश्य कैप्चर किया है।
  • वर्ष 2001 का मार्स ओडिसी मिशन (Mars Odyssey Mission) मंगल ग्रह की सतह के रासायनिक तत्वों एवं खनिजों का वैश्विक मानचित्र बनाने वाला पहला अंतरिक्ष यान था। 
  • इस अंतरिक्ष यान के पास पृथ्वी के अतिरिक्त किसी अन्य ग्रह की कक्षा (Orbit) में सबसे लंबे समय तक लगातार सक्रिय रहने का भी रिकॉर्ड है। 
  • इसने फरवरी 2002 से अगस्त 2004 तक अपने प्राथमिक विज्ञान मिशन को सफलतापूर्वक पूरा किया। 
  • ओडिसी वर्तमान में भी सक्रिय है और बादलों, कोहरे व ठंढ का अध्ययन कर रहा है। यह भविष्य में मंगल पर यानों के उतरने (लैंडिंग) को सुरक्षित बनाने के लिए सतह की चट्टानों का मानचित्रण कर रहा है और ऑर्बिटर इस ग्रह के चारों ओर 100,000वें चक्कर के करीब है।
  • ओडिसी की दूरसंचार उपप्रणाली में एक्स-बैंड माइक्रोवेव फ्रीक्वेंसी रेंज में संचालित एक रेडियो प्रणाली और अल्ट्रा हाई फ़्रीक्वेंसी (UHF) रेंज में संचालित एक प्रणाली शामिल हैं।
  • एक्स-बैंड प्रणाली का उपयोग पृथ्वी एवं ऑर्बिटर के बीच संचार के लिए किया जाता है जबकि यू.एच.एफ. प्रणाली का उपयोग ओडिसी व किसी भी समय मंगल ग्रह की सतह पर मौजूद किसी भी लैंडर के बीच संचार के लिए किया जाता है।

मंगल ऑर्बिटर मिशन (Mars Orbiter Mission : MOM)

  • क्या है : मंगल ग्रह पर भारत का पहला अंतरग्रहीय मिशन
  • प्रक्षेपण : 05 नवंबर, 2013 को पीएसएलवी-सी25 (PSLV-C25) से
  • जीवनकाल : निर्धारित जीवनकाल 6 माह
  • हालाँकि, इसने 24 सितंबर, 2021 को अपनी कक्षा में 7 वर्ष पूरे कर लिए हैं।
  • शामिल पेलोड : मंगल की सतह की विशेषताओं, आकृति विज्ञान, खनिज विज्ञान एवं मंगल के वायुमंडल का अध्ययन करने के लिए पाँच वैज्ञानिक पेलोड से सुसज्जित
  • विशिष्टता : इसरो मंगल की कक्षा में सफलतापूर्वक अंतरिक्ष यान भेजने वाली चौथी अंतरिक्ष एजेंसी
  • मिशन के उद्देश्य : मुख्यत: तकनीकी उद्देश्य में यात्रा चरण के दौरान पर्याप्त स्वायत्तता के साथ संचालन करने में सक्षम मंगल ऑर्बिटर अंतरिक्ष यान का डिज़ाइन, निर्माण व  प्रक्षेपण शामिल

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