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ध्रुवों से निष्कर्षित होने वाली ऊष्मा का मापन

संदर्भ

हाल ही में, नासा ने प्रीफ़ायर मिशन के अंतर्गत जलवायु उपग्रह के रूप में एक छोटे क्यूबसैट को लॉन्च किया है, जो पृथ्वी के ध्रुवों पर ऊष्मा उत्सर्जन का अध्ययन करेगा।

पृथ्वी के ध्रुवों पर ऊष्मा उत्सर्जन मापने की आवश्यकता

  • पृथ्वी के ऊर्जा बजट का विश्लेषण : सूर्य से पृथ्वी पर आने वाली ऊष्मा की मात्रा और पृथ्वी से अंतरिक्ष में जाने वाली ऊष्मा की मात्रा के बीच संतुलन को पृथ्वी के ऊर्जा बजट के रूप में परिभाषित किया जाता है।
    • इस प्रकार, इन दोनों के बीच का अंतर पृथ्वी के तापमान और जलवायु को निर्धारित करता है।
  • सुदूर-अवरक्त विकिरण (far-infrared radiation) की माप : आर्कटिक और अंटार्कटिका से निकलने वाली ऊष्मा की एक बड़ी मात्रा सुदूर-अवरक्त विकिरण (far-infrared radiation) के रूप में उत्सर्जित होती है। 
    • अभी तक इस प्रकार की ऊर्जा को मापने का कोई तरीका नहीं था, यह क्यूबसैट प्रीफ़ायर मिशन एक विकल्प हो सकता है। 
  • विद्युत चुम्बकीय विकिरण (प्रकाश) की अवरक्त सीमा के भीतर 3 μm से 1,000 μm की तरंग दैर्ध्य को विशेष रूप से सुदूर-अवरक्त के रूप में जाना जाता है।
  • प्रीफ़ायर (PREFIRE) मिशन क्या है?
  • आर्कटिक और अंटार्कटिका ध्रुवों का अध्ययन करने के मिशन को प्रीफ़ायर (फ़ार-इन्फ्रारेड एक्सपेरिमेंट में पोलर रेडियंट एनर्जी) नाम दिया गया है।
  • इस मिशन को नासा और विस्कॉन्सिन-मैडिसन विश्वविद्यालय (यूएस) द्वारा संयुक्त रूप से संचालित किया जा रहा है। 
  • मिशन के अंतर्गत दोनों उपग्रहों को अंतरिक्ष में भेजा जाना है, दोनों ही उपग्रह 6U क्यूबसैट है।
    • इनके सौर पैनल, जो उपग्रह को ऊर्जा देते हैं, की ऊंचाई लगभग 90 सेमी और चौड़ाई लगभग 120 सेमी है।
  • इन दोनों उपग्रहों को लगभग 525 किलोमीटर की ऊंचाई पर ‘निकट-ध्रुवीय कक्षा’ में स्थापित किया जाएगा।
  • कार्य : 
    • आर्कटिक और अंटार्कटिका से अंतरिक्ष में उत्सर्जित होने वाली ऊष्मा की माप करना और पृथ्वी की जलवायु पर इसके प्रभाव का पता लगाना।
    • ये दोनों क्यूबसैट पृथ्वी के ध्रुव से सुदूर-अवरक्त विकिरण का अध्ययन कर सकते हैं। 
    • साथ ही उनके द्वारा एकत्र किए गए डेटा से वैज्ञानिकों को ग्रह के ऊर्जा बजट को बेहतर ढंग से समझने में मदद मिलेगी।
  • विशेषताएं :
    • आर्कटिक और अंटार्कटिका से अवरक्त और सुदूर-अवरक्त विकिरण की मात्रा को मापने के लिए प्रत्येक प्रीफायर क्यूबसैट एक थर्मल इन्फ्रारेड स्पेक्ट्रोमीटर से सुसज्जित है, जिसे थर्मल इन्फ्रारेड स्पेक्ट्रोमीटर (TIRS) के रूप में जाना जाता है। 
    • नासा के अनुसार, स्पेक्ट्रोमीटर में अवरक्त प्रकाश को विभाजित करने और मापने के लिए विशेष आकार के दर्पण और डिटेक्टर होते हैं।
    • क्यूबसैट ध्रुवों पर वायुमंडलीय जल वाष्प और बादलों में फंसे सुदूर-अवरक्त विकिरण की मात्रा तथा यह क्षेत्र में ग्रीनहाउस प्रभाव को कैसे प्रभावित करता है, को भी मापेगा ।

क्यूबसैट के बारे में

  • क्या हैं : क्यूबसैट अनिवार्य रूप से लघु उपग्रह हैं। 
    • इनका मूल डिज़ाइन 10 सेमी x 10 सेमी x 10 सेमी का घन होता है, जो ‘एक इकाई’ या ‘1U’ बनता है। इसका वजन 1.33 किलोग्राम से अधिक नहीं होता है।
    • नासा के अनुसार, क्यूबसैट के मिशन के आधार पर, इन इकाइयों की संख्या 1.5, 2, 3, 6 और 12U हो सकती है।
  • इसे पहली बार सन् 1999 में सैन लुइस ओबिस्पो (कैल पॉली) में कैलिफोर्निया पॉलिटेक्निक स्टेट यूनिवर्सिटी और स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी द्वारा शैक्षिक उपकरण के रूप में विकसित किया गया था।
  • लाभ : पारंपरिक उपग्रहों की तुलना में क्यूबसैट उपग्रहों की कम लागत और कम द्रव्यमान के कारण, उन्हें प्रौद्योगिकी प्रदर्शन, वैज्ञानिक अनुसंधान और वाणिज्यिक उद्देश्यों के लिए कक्षा में स्थापित किया जाने लगा।

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