New
GS Foundation (P+M) - Delhi : 20th Nov., 11:30 AM Diwali Special Offer UPTO 75% + 10% Off, Valid Till : 22nd Oct., 2025 GS Foundation (P+M) - Prayagraj : 03rd Nov., 11:00 AM Diwali Special Offer UPTO 75% + 10% Off, Valid Till : 22nd Oct. 2025 GS Foundation (P+M) - Delhi : 20th Nov., 11:30 AM GS Foundation (P+M) - Prayagraj : 03rd Nov., 11:00 AM

मियावाकी वन

( प्रारम्भिक परीक्षा : राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ; मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र-3 : विषय - संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण, पर्यावरण प्रभाव का आकलन)

चर्चा में क्यों?

जापान की मियावाकी पद्धति से प्रेरणा लेते हुए भारत में भी वनों की नई शृंखलाओं पर विभिन्न राज्यों द्वारा काम किया जा रहा है। इस पद्धति द्वारा निर्मित वनों को मियावाकी वन कहा जाता है।

मियावाकी पद्धति (MIYAWAKI METHOD)

  • यह वनरोपण की एक विशेष पद्धति है, जिसकी खोज अकीरा मियावाकी नामक जापान के एक वनस्पतिशास्त्री ने की थी। इसमें छोटे-छोटे स्थानों पर छोटे-छोटे पौधे रोपे जाते हैं, जो साधारण पौधों की तुलना में दस गुनी तेज़ी से बढ़ते हैं।
  • वर्ष 2014 में मियावाकी ने इसी पद्धति का प्रयोग करते हुए हिरोशिमा के समुद्री तट के किनारे पेड़ों की एक दीवार खड़ी कर दी थी, जिससे न सिर्फ शहर को सुनामी से होने वाले नुकसान से बचाया जा सका था, बल्कि दुनिया के सामने एक उदाहरण भी पेश किया गया कि किस प्रकार हम इन विशेष तकनीकों के माध्यम से बड़े खतरों को रोक सकते हैं।
  • यह पद्धति विश्व-भर में लोकप्रिय है और इसने शहरी वनरोपण की संकल्पना में क्रांति ला दी है। दूसरे शब्दों में, इस पद्धति ने घरों और परिसरों को उपवन में परिवर्तित कर दिया है। चेन्नई में भी यह पद्धति अपनाई जा चुकी है।

क्या है यह तकनीक?

  • इस तकनीक में 2 फीट चौड़ी और 30 फीट लम्बी पट्टी में 100 से भी अधिक पौधे रोपे जा सकते हैं।
  • पौधे पास-पास लगाने से उन पर मौसम की मार का विशेष असर नहीं पड़ता और गर्मियों के दिनों में भी पौधों के पत्ते हरे बने रहते हैं। पौधों की वृद्धि भी तेज़ गति से होती है।
  • कम स्थान में लगे पौधे एक ऑक्सीजन बैंक की तरह काम करते हैं और बारिश को आकर्षित करने में भी सहायक होते हैं।
  • एक प्राकृतिक वन को विकसित होने में 100 साल लगते हैं। लेकिन चूँकि मियावाकी पद्धति में, पौधों को सूर्य के प्रकाश के लिये प्रतिस्पर्धा करनी पड़ती है अतः इस पद्धति में पौधे तेज़ी से बढ़ते हैं, और 20-25 वर्षों में ही परिणाम प्राप्त होने लगता है।
  • इस तकनीक का इस्तेमाल केवल वन क्षेत्र में ही नहीं बल्कि घरों के गार्डन में भी किया जा सकता है।

भारत में मियावाकी पद्धति के अनुप्रयोग

  • विगत कुछ वर्षों में, नगरपालिकाओं की सक्रियता तथा पर्यावरणविदों के अथक प्रयासों से मियावाकी वन परियोजनाएं पूरे देश में प्रसिद्ध हो रही हैं।
  • तेलंगाना राज्य सरकार, घने वृक्षारोपण की 'यादाद्री' पद्धति (Yadadri’ method) का प्रयोग कर रही है, जिसके कारण वारंगल में सकरात्मक परिणाम सामने आए हैं।
  • इस क्रम में तमिलनाडु में, हरित योद्धा (green warriors) भी इस प्रकार के वन मॉडल को विकसित करने की कोशिश कर रहे हैं, जिससे न सिर्फ स्थानीय पारिस्थितिकी में सुधार आएगा बल्कि किसानों की आय का एक नया विकल्प भी खुलेगा।
« »
  • SUN
  • MON
  • TUE
  • WED
  • THU
  • FRI
  • SAT
Have any Query?

Our support team will be happy to assist you!

OR
X