(प्रारंभिक परीक्षा: समसामयिक घटनाक्रम) (मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2: सरकारी नीतियों और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये हस्तक्षेप तथा उनके अभिकल्पन व कार्यान्वयन के कारण उत्पन्न विषय) |
संदर्भ
केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय की विशेषज्ञ मूल्यांकन समिति (EAC) ने अरुणाचल प्रदेश के सुबनसिरी नदी पर प्रस्तावित 2,220 मेगावाट (MW) ओजू जलविद्युत परियोजना को पर्यावरणीय मंजूरी दे दी है। यह परियोजना चीन सीमा के निकट स्थित है और सुबनसिरी बेसिन में सबसे ऊपरी तथा सबसे बड़ी परियोजना होगी।
ओजू जलविद्युत परियोजना के बारे में
- परियोजना क्षमता: 2,220 मेगावाट
- विकासकर्ता: ओजू सुबनसिरी हाइड्रो पावर कॉर्पोरेशन प्रा. लि.
- परियोजना की स्वीकृति: विशेषज्ञ समिति द्वारा हाइड्रोलॉजी एवं पारिस्थितिकीय प्रवाह डेटा की समीक्षा के बाद
- परियोजना स्थल: अपर सुबनसिरी जिला (अरुणाचल प्रदेश)
नदी: सुबनसिरी नदी
- स्थान: तकसिंग ब्लॉक के रेडी गाँव से लगभग 5 किमी. नीचे
मुख्य बिंदु
- वन भूमि उपयोग: 750 हेक्टेयर वन भूमि का डायवर्जन
- जलमग्न क्षेत्र: लगभग 43 हेक्टेयर भूमि
- पुनर्वास: 9 परिवार का विस्थापन
- अध्ययन: ग्लेशियल लेक फ्लड आकलन (Glacial Lake Flood Assessment) और डैम-ब्रेक विश्लेषण पूर्ण
- सार्वजनिक सुनवाई: अगस्त 2024 में रेडी गाँव में आयोजित
परियोजना के लाभ
- ऊर्जा उत्पादन: उत्तर-पूर्व क्षेत्र में बिजली की उपलब्धता में वृद्धि
- रोजगार: निर्माण एवं रखरखाव में स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर
- क्षेत्रीय विकास: सड़क, संचार एवं बुनियादी ढांचे में सुधार
- रणनीतिक महत्व: चीन सीमा के पास ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करना
चीन से विवाद
- चीन ब्रह्मपुत्र (यारलुंग त्संगपो) पर कई हाइड्रो प्रोजेक्ट बना रहा है।
- भारत की चिंता : जल प्रवाह में परिवर्तन, डाउनस्ट्रीम प्रभाव
- ओजू प्रोजेक्ट भारत की सीमा के पास ऊर्जा उपस्थिति को मजबूत करेगा।
पर्यावरणीय चिंताएँ
- पुराना क्यूम्युलेटिव इम्पैक्ट असेसमेंट (CIA) और कैरीइंग कैपेसिटी स्टडी (CCS) (2014) को अपडेट करने की मांग
- जंगल की कटाई से जैव विविधता पर प्रभाव
- ग्लेशियर पिघलने और संभावित फ्लैश फ्लड का खतरा
ऊर्जा एवं सिंचाई पर प्रभाव
- बिजली उत्पादन में वृद्धि से उद्योग और घरेलू जरूरतें पूरी होंगी।
- सुबनसिरी नदी बेसिन में जल प्रबंधन और सिंचाई क्षमता में सुधार होगा।
चुनौतियाँ
- पर्यावरणीय मंजूरी से जुड़े विरोध और न्यायिक अवरोध
- स्थानीय जनजातियों का पुनर्वास और सामाजिक स्वीकृति
- चीन सीमा पर सुरक्षा जोखिम
- पुरानी स्टडी डाटा पर आधारित निर्णय लेने का खतरा
आगे की राह
- अद्यतन अध्यनन : नवीन CIA व CCS अध्ययन की आवश्यकता
- सतत विकास : पर्यावरण संरक्षण और विकास में संतुलन
- स्थानीय भागीदारी : जनजातीय समुदायों को निर्णय में शामिल करना
- आपदा प्रबंधन : ग्लेशियल लेक आउटबर्स्ट फ्लड (GLOF) के लिए तैयारियां
जलविद्युत परियोजनाओं के प्रकार
- रन-ऑफ-द-रिवर प्रोजेक्ट: नदी के प्राकृतिक प्रवाह पर आधारित तथा पर्यावरणीय प्रभाव कम
- स्टोरेज डैम प्रोजेक्ट: बड़े जलाशय बनाकर पानी का भंडारण किया जाता है, अधिक बिजली उत्पादन
- पंप्ड स्टोरेज प्रोजेक्ट: बिजली की अधिकता में पानी ऊपर पंप कर भंडारण किया जाता है और जरूरत पर बिजली पैदा की जाती है।
पूर्वोत्तर और चीन सीमा पर प्रमुख जलविद्युत परियोजनाएँ
- लोअर सुबनसिरी परियोजना (2000 MW, असम-अरुणाचल)
- दिबांग बहुउद्देशीय परियोजना (2880 MW, अरुणाचल)
- कामेंग हाइड्रोइलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट (600 MW, अरुणाचल)
- तालोंग प्रोजेक्ट, तवांग प्रोजेक्ट (अरुणाचल)
- सियांग बेसिन प्रोजेक्ट्स (ब्रह्मपुत्र की सहायक नदियों पर प्रस्तावित)
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