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भुगतान धोखाधड़ी में 70% से अधिक वृद्धि –RBI

चर्चा में क्यों?

  • भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) द्वारा जारी नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, अक्टूबर2023-मार्च 2024 अवधि में भुगतान धोखाधड़ी 70.64% बढ़कर 2,604 करोड़ रुपये हो गई है। 
  • आर.बी.आई. के आंकड़ों से पता चलता है कि मार्च 2024 को समाप्त छह महीने की अवधि के दौरान घरेलू भुगतान धोखाधड़ी की मात्रा भी बढ़कर 15.51 लाख हो गई, जो पिछले छह महीने की अवधि में 11.5 लाख थी।

आर.बी.आई .की हालिया रिपोर्ट 

  • RBI ने हालिया रिपोर्ट में केवल घरेलू वित्तीय लेनदेन पर विचार किया है। RBI द्वारा जारी नया प्रारूप ई-कॉमर्स लेनदेन को भी अपनी रिपोर्ट में शामिल करता है। 
    • इसके अंतर्गत FASTags का उपयोग करके लेनदेन, डिजिटल बिल भुगतान और एटीएम के माध्यम से कार्ड-टू-कार्ड ट्रांसफर, आदि भी सम्मिलित है। 
    • हालांकि, विफल लेनदेन, चार्जबैक, रिवर्सल, समाप्त कार्ड/ बटुए को बाहर रखा गया है। 
  • रिपोर्ट के अनुसार, अकेले मार्च में 471 करोड़ रुपये की 2.57 लाख भुगतान धोखाधड़ी हुईं और फरवरी में 503 करोड़ रुपये की 2.53 लाख धोखाधड़ी हुईं थी।
  • कुल मिलाकर, बैंकों ने 2023-24 के अप्रैल-सितंबर के दौरान 2,642 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी के 14,483 मामले दर्ज किए।
  • आरबीआई के आंकड़ों के मुताबिक, बैंकों और एनबीएफसी ने वित्त वर्ष 24 के दौरान 1.65 करोड़ क्रेडिट कार्ड उपयोगकर्ता जोड़े, जिससे कार्ड उपयोगकर्ताओं की कुल संख्या 10.18 करोड़ हो गई है।

भुगतान धोखाधड़ी के प्रभाव:-

  • भुगतान धोखाधड़ी से बैंकों के लिए प्रतिष्ठा, परिचालन और व्यावसायिक जोखिम पैदा होता है। 
  • इससे पूरी अर्थव्यवस्था की वित्तीय स्थिरता पर असर पड़ता है। 
  • भुगतान धोखाधड़ी के अत्यधिक बढ़ने से बैंकिंग प्रणाली में ग्राहकों का भरोसा कम हो जाता है। 
  • सख्त नियमों और बेहतर तकनीक के बावजूद, घोटालेबाज सिस्टम से खिलवाड़ करने के लिए नए रास्ते निकाल लेते है।

आम नागरिक को क्या करना चाहिए?

  • धोखाधड़ी और साइबर खतरों के लगातार विकसित हो रहे परिदृश्य के बारे में जानकर सतर्क रहने की आवश्यकता है।
  • अगर किसी ने बैंक खाते से धोखाधड़ी करके पैसे निकाल लिए हैं तो तुरंत अपने बैंक को सूचित करना चाहिए। 
  • किसी भी परिस्थिति में अन्य व्यक्ति या कॉल, ऑनलाइन माध्यम इत्यादि से अपनी निजी जानकारी को साझा नहीं करना चाहिए। 
  • लेन-देन के लिए हमेशा सत्यापित ऐप्स और वेबसाइटों का उपयोग करना।

आर.बी.आई .द्वारा धोखाधड़ी रोकने के लिए बैंको को दिशानिर्देश:-

  • बैंकों के पास अपने ग्राहकों के लिए ऐसे धोखाधड़ी के मामलों की रिपोर्ट करने के लिए एक समर्पित ढांचा होना चाहिए। यह सुनिश्चित करता है कि त्वरित कार्रवाई की जा सके।
  • बैंकों को ऐसे लेनदेन से जुड़ी सभी धोखाधड़ी गतिविधियों की आर.बी.आई. को रिपोर्ट करने में शीघ्र और सटीक होने की आवश्यकता है। 
  • बैंकों को ऐसे मामलों की जांच शुरू करने के लिए 'धोखाधड़ी रोकथाम और प्रबंधन कार्य' पर भी ध्यान केंद्रित करना चाहिए। 
  • सी.ई..ओ, ऑडिट समिति और बैंक की एक विशेष समिति को ऐसी सभी धोखाधड़ी सुरक्षा और जोखिम प्रबंधन जांच की निगरानी करनी चाहिए।
  • इसके अतिरिक्त, अपने बोर्ड से अनुमोदन के बाद प्रत्येक बैंक को अपनी आंतरिक धोखाधड़ी का पता लगाने और जांच नीतियां बनानी होंगी।
  • साथ ही, बैंकों को ग्राहकों को नवीनतम धोखाधड़ी और सुरक्षित डिजिटल भुगतान प्रथाओं के बारे में शिक्षित करने में संलग्न होना चाहिए।

आगे की राह:-

  • भुगतान धोखाधड़ी डिजिटल दुनिया में एक व्यापक और लगातार विकसित होने वाला खतरा है। व्यवसायों और व्यक्तियों को विभिन्न प्रकार की भुगतान धोखाधड़ी से स्वयं  को बचाने के लिए सतर्क रहना चाहिए।
  • सरकार IMEI को ब्लॉक करके और संदिग्ध खातों पर निकासी सीमा लगाकर वित्तीय क्षेत्र में साइबर धोखाधड़ी से निपटने के लिए कदम उठा रही है। 
    • लेकिन ये सभी कदम अपर्याप्त साबित हुए है, इससे समस्या की जड़ तक नहीं पहुंचा जा सका है , जिसके लिए अभी नए सख्त विनियामक फ्रेमवर्क की आवश्यकता है। 
  • भुगतान धोखाधड़ी के संबंध में आर.बी.आई. के दिशानिर्देश ग्राहकों की मदद करने और डिजिटल लेनदेन में सुरक्षा के महत्व को रेखांकित करने का एक सराहनीय प्रयास है, जिनका समयबद्ध एवं कठोरता से पालन होना चाहिए।
  • वित्तीय धोखाधड़ी के प्रति नियामकों, बैंको, सभी संस्थानों एवं आम नागरिको को जागरूक होने की आवश्यकता है। 

निष्कर्ष

नई तकनीकों के उद्भव ने भारत के वित्तीय परिदृश्य को बदल दिया है, एक ओर इसने भारत को डिजिटल अर्थव्यवस्था में तब्दील कर दिया है तो दूसरी ओर यह अपनी चुनौतियां भी लेकर आया है। भारत को यदि 5 ट्रिलियन अर्थव्यवस्था के रूप में वैश्विक वित्तीय क्षेत्र में अपनी मजबूत पहचान बनानी है, तो भुगतान धोखाधड़ी की चुनौती से पार पाना होगा।

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