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भारत को प्रस्तुत करती बीटिंग द रिट्रीट की धुनें

चर्चा में क्यों?

इस वर्ष ‘बीटिंग द रिट्रीट’ समारोह से 'अबाइड विद मी' (Abide With Me) गीत की धुन को हटा दिया गया है। सरकार का मानना है कि आज़ादी के 75वें वर्ष में भारतीय धुनों को बजाना अधिक उपयुक्त है। विदित है कि वर्ष 1950 से यह धुन बीटिंग द रिट्रीट समारोह का हिस्सा थी।

अबाइड विद मी 

  • यह ईसाई धर्म का एक प्रार्थना गीत है, जिसकी रचना स्कॉटिश कवि हेनरी फ्रांसिस लाइट ने वर्ष 1847 में की थी। इस धुन का बजना भारत की पंथनिरपेक्षता का द्योतक है।
  • यह महात्मा गांधी के पसंदीदा भजनों में से एक थी। महात्मा गांधी के अनुसार, ‘अबाइड विद मी’ स्वतंत्रता संग्राम के निराशाजनक वर्षों में साहस और शक्ति प्रदान करती थी।
  • वस्तुतः यह भजन केवल धार्मिक विश्वास तक ही सीमित नहीं है, बल्कि इसकी मानवतावादी अपील सार्वभौमिक है। 

‘बीटिंग द रिट्रीट’ समारोह

  • इसका आयोजन प्रत्येक वर्ष गणतंत्र दिवस की परेड के पश्चात् 29 जनवरी को नई दिल्ली के विजय चौक पर होता है। 
  • इस वर्ष के आयोजन में ‘कदम-कदम बढ़ाए जा’, ‘हिंद की सेना’, ‘ऐ मेरे वतन के लोगों’ की धुनों के साथ कुल 26 धुनें बजाई जाएँगी।  
  • इस वर्ष के समारोह का समापन ‘सारे जहाँ से अच्छा’ की धुन के साथ होगा। 
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